सहजन की खेती पर प्रति हेक्टेयर 37 हजार अनुदान, 17 जिलों में किया जाएगा योजना का क्रियान्वयन
बिहार में सहजन की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने 50 फीसद अनुदान की व्यवस्था की गई है। कोरोना के चलते दो साल की योजना एक साथ पूरी की जाएगी।
पटना, जेएनएन। बिहार में सहजन की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने 50 फीसद अनुदान की व्यवस्था की है। फिलहाल 17 जिलों में योजना का क्रियान्वयन करना है। कोरोना के चलते दो साल की योजना एक साथ पूरी की जाएगी। कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य में सहजन की खेती के विस्तार की योजना है। फिलहाल इसके लिए 353.585 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
कार्य में प्रति हेक्टेयर 74 हजार रुपये की आएगी लागत
योजना का क्रियान्वयन 17 जिलों गया, औरंगाबाद, नालंदा, पटना, रोहतास, कैमूर, भागलपुर, नवादा, भोजपुर, जमुई, बांका, मुंगेर, लखीसराय, बक्सर, जहानाबाद, अरवल एवं शेखपुरा में किया जाएगा। प्रति हेक्टेयर 74 हजार रुपये की लागत आएगी। किसानों को दो किस्तों में 50 फीसद अनुदान दिया जाएगा। पहले वर्ष 27,750 रुपये और दूसरे वर्ष में 90 फीसद पौधा जीवित रहने पर नौ हजार 250 रुपये मिलेंगे। उन्होंने कहा कि पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट के तहत सहजन के विभिन्न उत्पादों में मूल्य संवर्द्धन के लिए सोलर कोल्ड रूम, सोलर ड्रायर तथा प्राइमरी पैक हाउस को शामिल किया गया है।
तीन सौ रोगों से बचाव में कारगर है सहजन
कलस्टर के किसानों का पंजीकरण प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साझीदार के रूप में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सहजन बहुवर्षीय सब्जी देने वाला पौधा है। इसके सभी भागों का प्रयोग किया जाता है, जो तीन सौ रोगों में कारगर है। इसमें 92 तरह के विटामिन, 46 तरह के एंटी ऑक्सीडेंट गुण, 36 तरह के दर्दनिवारक और 18 तरह के एमिनोएसिड पाया जाता है। इसे मुनगा भी कहा जाता है। इसके फूल-फल एवं पत्तियों के भोजन के रूप में व्यवहार किया जाता है। छाल, पत्ती, बीज, गोंद, जड़ आदि से आयुर्वेदिक दवाएं बनती हैं। 17 जिलों में योजना का क्रियान्वयन करना है 53.585 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं। इनमें गया, औरंगाबाद, नालंदा, पटना, रोहतास, कैमूर, भागलपुर, नवादा, भोजपुर, जमुई, बांका, मुंगेर, लखीसराय, बक्सर, जहानाबाद, अरवल एवं शेखपुरा शामिल हैं।