पटना में बढ़ा डेंगू का खतरा, अब तक 200 से अधिक मरीज आ चुके हैं सामने; मलेरिया का भी डर
Mosquito Related Disease in Patna मच्छरों की रोकथाम में लापरवाही पड़ेगी भारी डेंगू चिकनगुनिया जापानी इंसेफेलाइटिस मलेरिया से लेकर जीका वायरस तक के वाहक हैं मच्छर स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत मलेरिया शाखा व नगर निकायों पर है इसकी रोकथाम की जिम्मेदारी
पटना, जागरण संवाददाता। डेंगू, चिकनगुनिया, जापानी इंसेफेलाइटिस, जीका वायरस से लेकर मलेरिया जैसे रोगों के वाहक मच्छर ही होते हैं। राजधानी समेत प्रदेश में मच्छरजनित रोगों के मामले कम हुए हैं या दूसरे शब्दों में कहें कि इलाज की बेहतर दवाएं आने से मौतें कम हो रही हैं। यही कारण है कि इसकी निगरानी और रोकथाम के उपायों में उदासीनता दिख रही है। अब तक सिर्फ पटना जिले में सरकारी आंकड़ों के अनुसार सात लोगों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। ये वे मामले हैं जिन्होंने आरएमआरआइ या एम्स में एलाइजा विधि से जांच कराई थी। वहीं जांच की लोकप्रिय विधि एनएस-1 किट से अबतक जिले में दो सौ से अधिक लोग चपेट में आ चुके हैं।
हालांकि, मलेरिया विभाग उन्हीं इलाकों में फागिंग व एंटी लार्वा का छिड़काव करा रहा है जहां डेंगू मामलों की पुष्टि एलाइजा विधि से हुई है। दूसरी ओर नगर निगम जिस पर पूरे शहर में मच्छरों की रोकथाम के लिए फागिंग की जिम्मेदारी है उसने अभी तक नियमित फागिंग शुरू नहीं की है।
मच्छरों के लिए अनुकूल हैं परिस्थितियां
नेपाल से सटे इलाके का मौसम मच्छरों की संख्या बढ़ाने के अनुकूल है। लेकिन राजधानी पटना में जलजमाव और उमस भरा मौसम भी इनकी संख्या बढ़ाने में काफी सहयोग करता है। यही कारण है कि 2019 में एडीज मच्छर जनित डेंगू रोग महामारी बनकर सामने आया था। प्रदेश में बारिश की अनियमितता के कारण तापमान में काफी उतार-चढ़ाव देखा जाता है। कभी गर्मी तो कभी हल्की ठंड का मौसम अगस्त से अक्टूबर तक बना रहता है। यही वे मौसम है जब मच्छर सबसे ज्यादा परेशान करते हैं।
एडीज मच्छर है सबसे खतरनाक
यूं तो दुनिया में मच्छरों की अनकों प्रजातियां हैं लेकिन इनमें से केवल सौ ही इंसानों का खून पीकर उनतक विभिन्न रोगों को पहुंचाने का काम करती हैं। इनमें एडीज एजिप्ट मच्छर सबसे खतरनाक है। यही वह मच्छर है जिससे डेंगू, यलो फीवर, चिकनगुनिया, जीका वायरस जैसे खतरनाक रोग इंसानों में फैलते हैं। हालांकि, सबसे ज्यादा लोगों को बीमार करने वाला मच्छर मादा एनाफिलीज माना जाता है।
जहां से सूचना मिल रही, करा रहे फागिंग
एसीएमओ डा. अविनाश कुमार सिंह ने बताया कि मच्छरों की रोकथाम के लिए फागिंग व एंटी लार्वा का छिड़काव कराया जा रहा है। तीन जगहों से डेंगू के मामलों की सूचना मिली थी, वहां सूर्यास्त के समय फागिंग कराई जा रही है। वहां एंटी लार्वासाइड्स का छिड़काव करने को भी कहा गया है। किट से जांच की मान्यता नहीं होने के कारण वहां छिड़काव नहीं कराया जा रहा है।
पटना के ये इलाके हैं संवेदनशील
पटनासिटी, गायघाट, महेंद्रू, गर्दनीबाग, खाजेकला, पत्थर की मस्जिद, ट्रांसपोर्ट नगर, कंकड़बाग, पाटलिपुत्र, दानापुर, राजीवनगर, फुलवारीशरीफ, पीरबहोर, मंदिरी, संपतचक, शास्त्रीनगर,रामकृष्णा नगर, पल्लवीनगर, राजेंद्र नगर आदि। 2019 में इन इलाकों में सबसे ज्यादा संक्रमित पाए गए थे।