Mysterious: सोनपुर के काली घाट का अनसुलझा रहस्य, यहां डूबने वाले की नहीं मिलती है लाश
Unsolved mystery of Kali Ghat बिहार के सारण (छपरा) जिले के सोनपुर की ख्याति विश्व प्रसिद्ध पशु मेले को लेकर रही है। बिहार के दो प्रमुख शहरों पटना और हाजीपुर से बिल्कुल सटे सोनपुर के काली घाट का एक रहस्य आज भी लोगों में चर्चा का विषय बना रहता है।
सोनपुर (सारण), संवाद सहयोगी। बिहार के सारण (छपरा) जिले के सोनपुर की ख्याति विश्व प्रसिद्ध पशु मेले को लेकर रही है। बिहार के दो प्रमुख शहरों पटना और हाजीपुर से बिल्कुल सटे सोनपुर के काली घाट का एक रहस्य आज भी लोगों में चर्चा का विषय बना रहता है। सोनपुर कस्बा गंगा और गंडक नदियों के संगम पर बसा है। गंगा पार करते ही लोग पटना और गंडक पार करते ही हाजीपुर पहुंच जाते हैं। सोनपुर के ऐतिहासिक घाट ज्यादातर गंडक के किनारे हैं। इन्हीं में से एक घाट है, काली घाट। लोगों की धारणा है कि यहां डूबने वाले किसी शख्स की आज तक लाश नहीं मिली, चाहे कितनी भी तलाश कर ली जाए। स्थानीय लोग इसको लेकर तरह-तरह के कयास लगाते हैं। सोमवार को यहां हुए हादसे के बाद इस चर्चा ने फिर जोर पकड़ लिया।
घाट के नीचे सुरंग होने का कयास लगाते हैं लोग
आसपास के लोग बताते हैं कि सोनपुर के काली घाट पर आज तक गंडक नदी में जो भी डूबा, उसका शव शायद ही बरामद हो सका। लगभग चार दशक पहले यहां के अधिकांश लोगों की यह धारणा थी कि अति प्राचीन पत्थर से निर्मित इस घाट के नीचे कोई सुरंग अथवा खोह है, जिसमें डूबने वाला अटक जाता है और बाद में नदी में रहने वाले घडिय़ाल उसे निवाला बना लेते हैं।
अभी लबालब भरी है गंडक नदी
अभी गंडक नदी ना केवल लबालब भरी है, बल्कि उसकी तेज धार देखकर ही भय उत्पन्न होता है। अच्छे-अच्छे तैराकों के कलेजे भी कांप जा रहे हैं। दूसरी ओर नहाने वाले बाज नहीं आते। घाट पर फूल-माला तथा पूजन सामग्री बेचने वालों ने बताया कि बाहर से बराबर यहां पूजा-पाठ तथा नारायणी नदी में स्नान करने आने वालों का तांता लगा रहता है। ऐसे में सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से बरसात के मौसम में तट पर बैरिकेङ्क्षडग की जानी चाहिए।
सोमवार को डूबने वाले छात्र का नहीं मिला शव
सोनपुर के काली घाट पर डूबे छात्र के शव का काफी खोजबीन के बाद भी पता नहीं चल सका है। एसडीआरएफ की दो-दो टीमों ने मंगलवार को काफी दूर तक सर्च अभियान चलाया, फिर भी शव बरामद नहीं हो सका। गौरतलब है कि सोमवार को पूर्णिया, भागलपुर व बांका के हाजीपुर में रहकर बीसीए की पढ़ाई करने वाले पांच छात्र स्नान के दौरान गंडक नदी की तेज धारा में बह गए थे। इनमें से चार को तो नाविकों ने किसी तरह बचा लिया था, लेकिन बांका जिले के अमरपुर थानाक्षेत्र अंतर्गत कुलहरिया के राकेश झा के पुत्र अभिनव कुमार का कोई पता नहीं चला। कयास लगाया जा रहा कि उसका शव नदी की तलहटी के किसी खोह में फंस गया होगा।
यह भी हो सकती है वजह
सोनपुर के पास ही गंडक नदी गंगा में मिल जाती है। दोनों नदियों का यह संगम स्थल काली घाट से बहुत अधिक दूर नहीं है। गंडक में ज्यादातर हादसे बाढ़ और बारिश के दिनों में होते हैं, जब इस नदी में काफी तेज बहाव रहती है। यह भी हो सकता है कि नदी में फंसने वाले बहकर गंगा में चले जाते हों।