भारत को जल्द मिलेगी एक और स्वदेशी वैक्सीन, पटना एम्स में कार्बेवैक्स का तीसरे चरण का परीक्षण शुरू
New Covid-19 Vaccine इसमें पूरे वायरस के बजाय सिर्फ वहीं हिस्से होते हैं जो इम्युन पावर को सक्रिय करते हैं इसलिए दुष्प्रभाव की आशंका न के बराबर होती है। हालांकि इस वैक्सीन की प्रभावशीलता वायरस की पूर्ण कोशिका से बनी दवा के बराबर ही होती है।
पटना, जागरण संवाददाता। Bihar CoronaVirus Vaccine Trial News: जापानी इंसेफेलाइटिस वैक्सीन और टिटनेस के लिए एंटी सीरम तैयार करने वाली हैदराबाद की कंपनी बायोलाजिकल ई की कोविड वैक्सीन कार्बेवैक्स का तीसरे चरण का परीक्षण एम्स पटना में शुरू हो गया है। सौ लोगों पर इसका परीक्षण किया जाएगा। इस वैक्सीन के भी दो डोज लगेंगे। यह जानकारी एम्स के निदेशक डा. प्रभात कुमार सिंह ने मंगलवार को दी। बताते चलें कि यह कंपनी पहले ही जानसन एंड जानसन समेत वैक्सीन बनाने वाली चार कंपनियों के साथ काम कर रही थी। इस स्वदेशी कंपनी को भारत सरकार के सहयोग के साथ जैव प्रौद्योगिकी विभाग से सौ करोड़ की वित्तीय सहायता व अन्य तकनीकी सहयोग भी मुहैया कराए जा रहे हैं। यह वैक्सीन कोवैक्सीन व कोविशील्ड के बजाय तीसरी तकनीकी एम-आरएनए प्रोटीन सब यूनिट के आधार पर तैयार की गई है।
दुष्प्रभाव नहीं होने के साथ भंडारण भी आसान
बायोलाजिकल ई कंपनी की वैक्सीन कई मायने में देश की जरूरतों के अनुसार होगी। एम-आरएनए तकनीक की आरबीडी प्रोटीन सब-यूनिट सिद्धांत पर तैयार इस वैक्सीन को सामान्य फ्रिज में स्टोर किया जा सकता है। आरबीडी प्रोटीन सब यूनिट, बीमार करने वाले कोरोना वायरस के वे खास हिस्से होते हैं, जिसका वैक्सीन बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।
दुष्प्रभाव की आशंका नहीं के बराबर
इस वैक्सीन को लगाने के बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक तंत्र वायरस को पहचान कर उसे निष्क्रिय करना शुरू कर देता है। इसमें पूरे वायरस के बजाय सिर्फ वहीं हिस्से होते हैं जो इम्युन पावर को सक्रिय करते हैं, इसलिए दुष्प्रभाव की आशंका न के बराबर होती है। हालांकि, इस वैक्सीन की प्रभावशीलता वायरस की पूर्ण कोशिका से बनी दवा के बराबर ही होती है। दुष्प्रभाव की आशंका नहीं होने के कारण इस वैक्सीन को वे लोग भी ले सकते हैं, जिनका इम्युन सिस्टम बहुत कमजोर है।
28 दिन बाद दी जाएगी दूसरी डोज
देश में इस्तेमाल की जा रही कोविशील्ड व कोवैक्सीन जैसे ही बायोलोजिकल ई वैक्सीन की भी दो डोज लेनी होंगी। दूसरी डोज 28 दिन बाद ली जा सकेगी। इसे मांसपेशियों में दिया जाता है। इस वैक्सीन के आने के बार भारत की टीका उत्पादन क्षमता काफी बढ़ जाएगी।