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बिहार में मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने वालों की चांदी, कोर्ट से मिलने वाले सैंपल की नहीं हो रही जांच

बिहार की इकलौती लैब में कानूनी नमूनों की जांच बंद खाद्य प्रयोगशाला की एनएबीएल की मान्यता जनवरी से ही हो गई है खत्म नोडल पदाधिकारी बोले- तैयार किया जा रहा है क्वालिटी मैनुअल खाने-पीने के केवल सर्वे सैंपल की लैब में हो रही है जांच

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 09:30 AM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 09:30 AM (IST)
बिहार में मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने वालों की चांदी, कोर्ट से मिलने वाले सैंपल की नहीं हो रही जांच
पटना स्थित राजकीय खाद्य एवं औषधि जांच प्रयोगशाला। जागरण

पटना सिटी, जागरण संवाददाता। खाने-पीने की चीजों में मिलावट की जांच करने वाली अगमकुआं स्थित बिहार की इकलौती खाद्य प्रयोगशाला खुद ही बीमार पड़ गई है। नमूनों की जांच के लिए आवश्यक राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड यानी एनएबीएल की मान्यता जनवरी से ही समाप्त है। ऐसे में खाद्य सामग्री से जुड़े कानूनी पक्ष के नमूनों की जांच बंद है। केवल बाजार से सर्वे के दौरान लिए जाने वाले नमूनों की ही लैब में जांच हो रही है।

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मान्‍यता बहाल कराने के प्रयास में जुटे अधिकारी

प्रयोगशाला के नोडल पदाधिकारी सह स्वास्थ्य विभाग में अपर सचिव डॉ. कौशल किशोर ने बताया, लैब की एनएबीएल मान्यता बहाल करने की दिशा में स्वास्थ्य विभाग प्रयासरत है। लैब के लिए आवश्यक क्वालिटी मैनुअल तैयार किया जा रहा है। लैब में कई जरूरी जांच मशीनें लगा कर इसे विकसित करने की दिशा में काम जारी है। एनएबीएल की मान्यता प्राप्त करन लेने में जल्द ही इसमें सफलता मिलेगी।

क्या होता है कानूनी नमूना

विशेषज्ञ के अनुसार, जब किसी खाद्य नमूने की जांच रिपोर्ट में मिलावट या अन्य गड़बड़ी सामने आती है, तब आरोपित पक्ष को जांच रिपोर्ट को चुनौती देने के लिए एक महीने का समय दिया जाता है। निर्धारित फीस जमाकर आरोपित पक्ष जांच को लिए गए एक खाद्य सामग्री के चार नमूनों में से ही एक नमूनों को जांच के नेशनल फूड लैब कोलकाता या गाजियाबाद भेजता है। वहां की जांच रिपोर्ट ही मान्य होती है। यही लीगल जांच अगमकुआं स्थित लैब में बंद है।

लैब में विश्लेषक नहीं, केवल छह टेक्नीशियन

जानकारी के अनुसार इस महत्वपूर्ण लैब की उपेक्षा का ये हाल है कि कई आवश्यक उपकरण अभी नहीं हैं। स्थायी खाद्य विश्लेषक नहीं हैं। केवल छह टेक्नीशियन के बूते ही लैब में हर महीने लगभग चार सौ सर्वे नमूनों की जांच चल रही है। नोडल पदाधिकारी डॉ. कौशल किशोर ने कहा कि रिक्त पदों को भरने का प्रयास जारी है।

आइएलसी के तहत दो राज्यों से पहुंचे नमूने

पदाधिकारी की मानें तो एनएबीएल की मान्यता प्राप्त करने के लिए इंटर लैब कंपेरिजन आवश्यक है। इसी के तहत अगमकुआं स्थित लैब में झारखंड से तेल, बेसन, छनिया पाउडर तथा भुवनेश्वर से सरसों तेल का नमूना जांच के लिए पहुंचा है। इस लैब से हल्दी पाउडर जांच के लिए कोलकाता स्थित तीन लैब तथा झारखंड व भुवनेश्वर लैब भेजा गया है।


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