Paush Purnima: पौष माह की पूर्णिमा 28 जनवरी को, गंगा स्नान का अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल
पूर्णिमा का दिन भर रहेगा प्रभाव गंगा में डुबकी लगाने से अश्वमेघ यज्ञ जैसा फल पूर्णिमा के दिन गुरुपुष्य योग व सर्वार्थ सिद्धि का बन रहा योग 27 जनवरी की रात 12.31 बजे पूर्णिमा तिथि आरंभ का आरंभ 28 जनवरी की रात 1232 बजे तक पूर्णिमा
पटना, जागरण संवाददाता। Paush Purnima: सनातन धर्म में पौष माह की पूर्णिमा का बड़ा महत्व बताया गया है। इस दिन चंद्रमा (Full Moon Night) अपने संपूर्ण आकार में रहता है। हिंदू धर्म ग्रंथ के अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन दान, गंगा स्नान (Ganga Snan) और सूर्य देव को अर्घ्य देने का भी विशेष महत्व बताया गया है। इस माह में 28 जनवरी को पूर्णिमा का व्रत मनाया जाएगा। ज्योतिष आचार्य की मानें तो पौष माह सूर्य देव का माह कहा जाता है। इस माह में सूर्य देव की आराधना करने का भी विशेष फल मिलता है। ज्योतिष शास्त्र में पूर्णिमा का विशेष महत्व बताया गया है।
गंगा स्नान से मिलता है अश्वमेघ यज्ञ के बराबर फल
चंद्रमा को मन का कारक भी माना गया है। पौष पूर्णिमा के दिन गुरुपुष्य योग व सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है। ऐसे में किसी प्रकार के शुभ कार्य संपन्न किया जा सकता है। इस दिन गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है। ज्योतिष आचार्य के अनुसार 27 जनवरी की रात 12.31 बजे पूर्णिमा तिथि आरंभ हो जाएगी। वही 28 जनवरी की रात 12:32 बजे तक रहेगी। उदया तिथि मान होने के कारण 28 जनवरी को ही पूर्णिमा पर पूजा अर्चना होगी। पूरे दिन गुरु पुष्य नक्षत्र व सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग बना रहेगा। ऐसे में श्रद्धालु गंगा स्नान करने के साथ मंदिरों में पूजा अर्चना करने के साथ गरीबों के बीच दान पुण्य कर सकते हैं।
प्रयागराज में कल्पवास की भी होगी शुरुआत
ज्योतिष आचार्य ने बताया कि पौष माह में ही मकर संक्रांति के दिन सूर्य का मकर राशि में प्रवेश होने से मांगलिक कार्य आरंभ हो गया है। इसके साथ ही मकर राशि में सूर्य के साथ गुरु, शुक्र व शनि का भी संचरण हो रहा है। यह ज्योतिष के अनुसार शुभ फल देने वाला है। वहीं दूसरी ओर मोक्ष की धरती कहे जाने वाले प्रयागराज में ही कल्पवास शुरू हो जाएगा। ऐसे में साधकों को भी मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। श्रद्धालुओं के किए गए दान से पितर भी प्रसन्न होकर आशीष प्रदान करते हैं।