Vivah Muhurat/ Marriage Dates in January 2021: जनवरी में शादी के लिए केवल एक मुहूर्त, नहीं कर पाए तो होगा तीन महीने का इंतजार
Vivah Muhurat / Marriage Dates in January 2021 खरमास खत्म होते ही शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त शुरू हालांकि विवाह के लिए अभी करना होगा इंतजार। जनवरी महीने में शादी के लिए केवल एक मुहूर्त है। इसके बाद शादी के लिए मुहूर्त तीन महीने बाद अप्रैल में हैं।
पटना, जागरण संवाददाता। Vivah Muhurat / Marriage Dates in January 2021 बीते 14 जनवरी को मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के मौके पर सूर्य का मकर राशि में परिवर्तन करने के साथ 16 दिसंबर से चले आ रहे खरमास (kharmas) का भी समापन हो गया। खरमास समापन के साथ ही मांगलिक कार्य आरंभ हो गए हैं। खरमास समाप्ति के बाद मुंडन, गृह-प्रवेश आदि मांगलिक कार्य शुरू हो गए हैं, लेकिन शादी-विवाह को लेकर जनवरी में केवल एक मुहूर्त 18 तारीख को है। इसके बाद अप्रैल से शुभ मुहूर्त बन रहा है। फरवरी और मार्च में शादी के लिए कोई मुहूर्त नहीं है। अप्रैल में भी शादी के मुहूर्त आखिरी हफ्ते से शुरू हो रहे हैं।
22 अप्रैल से शुरू हो रहे शादी के मुहूर्त
वाराणसी पंचांग के अनुसार 12 फरवरी को पूर्व दिशा में गुरु का उदय होगा वहीं 17 फरवरी से शुक्र अस्त होंगे। शादी -ब्याह के लिए गुरु और शुक्र का प्रबल होना जरूरी है। ऐसे में वैवाहिक कार्य 22 अप्रैल से आरंभ होगा। 14 मार्च से लेकर 13 अप्रैल तक खरमास का संयोग होने से शादी ब्याह कार्य पर विराम लगेगा। वहीं इस वर्ष मिथिला पंचांग के अनुसार फरवरी में 17 और 21 को शादी का लग्न है। शादी के लिए मई माह में सबसे अधिक शुभ मुहूर्त है।
2021 में शुभ विवाह मुहूर्त
बनारसी पंचांग के अनुसार
जनवरी : 18
अप्रैल: 22,24,25,26,27,28,29,30
मई: 1,2,7,8,9,13,14,21,22,23,24,26,28,29,30
जून: 3,4,5,16,19,20,22,23,24
जुलाई: 1,2,7,13,15
नवंबर: 15,16,20,21,28,29,30
दिसंबर: 1,2,6,7,11,13
मैथिली पंचांग के अनुसार
फरवरी - 17, 21
अप्रैल 16, 23, 25, 26, 30
मई 04, 06, 10, 11, 20, 21, 24, 25, 27, 28
जून 04, 06, 10, 11, 20, 21, 24,25, 27, 28
जुलाई 01, 04, 07,14, 15
नवंबर 19, 21, 22, 24
दिसंबर 01, 02, 05, 08, 09, 10, 13.
शुभ मुहूर्त के लिए ये है जरूरी
पंचागों के हवाले से ज्योतिष आचार्य ने बताया कि शादी के शुभ मुहूर्त के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु तथा मीन लग्न में से किसी एक का रहना जरूरी है, वहीं रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भाद्र, उत्तरा आषाढ़ में एक नक्षत्र की उपस्थिति भी अनिवार्य है। सबसे उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा और हस्त नक्षत्र का रहना जरूरी है।