बिहार में पहली बार दो डिप्टी सीएम, यहीं से शुरू हुई ये परंपरा; जानें- कहां रहे हैं सबसे ज्यादा उप मुख्यमंत्री और इस पद का इतिहास
Bihar Govt Formation 2020 उप मुख्यमंत्री का पद राज्य सरकार में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। बिहार से ही इस पद की शुरुआत हुई थी। जानें- कैसे शुरू हुई ये परंपरा। कैसे दिलाई जाती है इन्हें शपथ और क्या होते हैं इनके संवैधानिक अधिकार।
बिहार, ऑनलाइन डेस्क। Bihar Govt Formation 2020: बिहार चुनाव 2020 में बंपर जीत के बाद नीतीश कुमार ने सोमवार को सातवीं बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। उनके साथ 14 कैबिनेट मंत्रियों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली है। इन सबके बीच सबसे ज्यादा चर्चा है बिहार के दो उप मुख्यमंत्रियों तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी की। वैसे तो दोनों राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं, लेकिन डिप्टी के तौर पर इनके नाम ने कई को चौंका दिया। बिहार के लिए ये फार्मूला नया है। इससे पहले यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी दो उप मुख्यमंत्रियों का फॉर्मूला अपनाया था। क्या आप जानते हैं कि किस राज्य सरकार में सबसे ज्यादा उप मुख्यमंत्री रहे हैं? उप मुख्यमंत्री की संवैधानिक जिम्मेदारी क्या होती है? क्यों इस पद को इतना अहम माना जाता है? इन्हें कैसे शपथ दिलाई जाती है?
मुख्यमंत्री समेत 15 मंत्रियों ने ली शपथ
सोमवार शाम को बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार ने सातवीं बार शपथ ली। उनके साथ दोनों डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को भी राज्यपाल ने शपथ दिलाई। सीएम और दो डिप्टी सीएम के अलावा नीतीश कैबिनेट के 13 अन्य मंत्रियों ने भी समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ ली है। इससे पहले भाजपा नेता सुशील मोदी नीतीश सरकार में उप मुख्यमंत्री रहे हैं।
यूपी में भी हैं दो डिप्टी सीएम
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में भी दो उपमुख्यमंत्री हैं। वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री के तौर पर योगी आदित्यनाथ का नाम तय किया। वहीं उनकी कैबिनेट में उप मुख्यमंत्री के तौर पर दिनेश शर्मा और केशव प्रसाद मौर्य को जगह मिली। अभी तक यूपी में दो डिप्टी सीएम का फार्मूला कामयाब रहा है।
16 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश में हैं उप मुख्यमंत्री
वर्तमान में देश के 15 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में ही डिप्टी सीएम हैं। इनमें से आंध्र प्रदेश में सबसे ज्यादा 5 डिप्टी सीएस हैं। ये डिप्टी सीएम की अब तक की सर्वाधिक संख्या है। कर्नाटक में फिलहाल तीन डिप्टी सीएम हैं। उत्तर प्रदेश के अलावा गोवा में भी वर्तमान में दो उप मुख्यमंत्री हैं। इसके अलावा अन्य राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश में एक-एक डिप्टी सीएम ही हैं।
उप मुख्यमंत्री व उप प्रधानमंत्री की संवैधानिक जिम्मेदारी
उप मुख्यमंत्री अथवा उप प्रधानमंत्री का पद संवैधानिक नहीं है। इस पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति को मुख्यमंत्री अथवा प्रधानमंत्री की संवैधानिक शक्तियां प्राप्त नहीं होती हैं। इन पदों पर तैनात व्यक्ति मुख्यमंत्री अथवा प्रधानमंत्री की गैरमौजूदगी में मंत्रिमंडल की अगुआई नहीं कर सकता है। इन पदों पर नियुक्त नेताओं को अतिरिक्त भत्ता या अतिरिक्त वेतन नहीं मिलता है। दरअसल ये पद संवैधानिक जरूरतों को पूरा करने के लिये नहीं, बल्कि राजनीतिक तुष्टिकरण के लिए होता है। सत्ताधारी पार्टी राजनीतिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए उप मुख्यमंत्री अथवा उप प्रधानमंत्री पद पर किसी को नियुक्त करती है। उप मुख्यमंत्री अथवा उप प्रधानमंत्री भी कैबिनेट के अन्य मंत्रियों की तरह ही शपथ लेते हैं। यही वजह है कि बहुत सी सरकार में उप मुख्यमंत्री अथवा उप प्रधानमंत्री का कोई पद नहीं रहा है। 15 अगस्त 1947 से 15 दिसंबर 1950 तक (3 साल 122 दिन) वल्लभ भाई पटेल देश के पहले उप प्रधानमंत्री रहे हैं।
डिप्टी पीएम की शपथ लेने पर हुआ था विवाद
1989 से 1991 तक केंद्र में जनता दल की सरकार रही। इस सरकार में पहले विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) और फिर चंद्र शेखर प्रधानमंत्री बने। दोनों की कैबिनेट में देवी लाल को उप प्रधानमंत्री बनाया गया। पहली बार देवी लाल ने खुद को डिप्टी पीएम कहकर शपथ ली थी। इससे ऐसा विवाद खड़ा हुई कि तब के अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी को सुप्रीम कोर्ट में कहना पड़ा कि संविधान में उप प्रधानमंत्री का कोई पद नहीं है। देवीलाल कैबिनेट में एक मंत्री की तरह ही काम करेंगे।
बिहार से शुरू हुई डिप्टी सीएम की परंपरा
डिप्टी सीएम की परंपरा बिहार से ही शुरू हुई थी। आजादी से पहले वर्ष 1937 से 1939 तक डॉ अनुग्रह नारायण सिन्हा बिहार के डिप्टी प्रीमियर थे। इसके बाद वर्ष 1946 से 1957 तक (11 साल 94 दिन) डॉ अनुग्रह नारायण सिन्हा बिहार के डिप्टी सीएम पद पर तैनात रहे। वर्ष 1967 से 1968 तक (329 दिन) कर्पूरी ठाकुर इस पर सबसे कम अवधि के लिए तैनात रहे। बतौर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का कार्यकाल दूसरा सबसे लंबा रहा है। वह वर्ष 2005 से 2013 और फिर 2017 से 2020 तक (कुल 10 साल 316 दिन) इस पद पर रहे हैं। तेजस्वी यादव भी 2015 से 2017 तक (1 साल 248 दिन) राज्य के उप मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
1967 से अन्य राज्यों में शुरू हुई परंपरा
बिहार के बाद राजस्थान और पंजाब (PEPSU) ने सबसे पहले डिप्टी सीएम पद पर नियुक्त की। राज्यस्थान में 1951 से 1952 तक टीका राम पालिवाल उप मुख्यमंत्री रहे। पटियाला एंड ईस्ट पंजाब स्टेट यूनियन (अब पंजाब) में 1951 से 1952 तक ब्रिश भान डिप्टी सीएम पद पर तैनात रहे हैं। अब के पंजाब में 1969 से 1970 तक बलराम दास टंडन पहले उप मुख्यमंत्री रहे हैं। इसके बाद 1959 से 1962 तक केवी रंगा रेड्डी आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम रहे हैं। 1960 से 1962 तक आर शंकर केरल के डिप्टी सीएम रहे हैं। 1967 में डिप्टी सीएम के प्रचलन ने जोर पकड़ा। आंध्र प्रदेश में 1967 से 1972 तक जेवी नरसिंघ राव, हरियाणा में 1967 में 223 दिन के लिए चंद राम, मध्य प्रदेश में 1967 से 1969 तक वीरेंद्र कुमार सखलेचा, उत्तर प्रदेश में 1967 से 1968 तक राम प्रकाश गुप्ता और पश्चिम बंगाल में मार्च 1967 से नवंबर 1967 तक ज्योति बसु पहले उप मुख्यमंत्री रहे हैं। इसके बाद ही अन्य राज्यों में भी उप मुख्यमंत्री बनाने की परंपरा शुरू हुई।