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Bihar Election Flashback: आदि शंकराचार्य मठ से पहुंच गए बिहार विधानसभा, लॉटरी से बने मंत्री

Bihar Election Flashback बोधगया मठ के मैनेजर जयराम गिरि दो बार विधायक चुने गए। 1969 में जब वे चुनाव लड़े तो गेरुआ वस्त्रधारी जयराम गिरि के समर्थन में मठ के साधु-संत ने भी प्रचार किया था। वे कर्पूरी ठाकुर के मंत्रिमंडल में मंत्री भी बने।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 18 Oct 2020 05:20 PM (IST)Updated: Sun, 18 Oct 2020 05:20 PM (IST)
Bihar Election Flashback: आदि शंकराचार्य मठ से पहुंच गए बिहार विधानसभा, लॉटरी से बने मंत्री
बिहार के बोधगया का आदि शंकराचार्य मठ। जागरण आर्काइव।

विनय कुमार मिश्र, बोधगया। बात 1969 की है। बोधगया के आदि शंकराचार्य मठ के मैनेजर जयराम गिरि ने गुरुआ सीट से निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़ा था। गेरुआ वस्त्रधारी जयराम गिरि के समर्थन में मठ के साधु-संत भी प्रचार के लिए क्षेत्र में आ गए। जनसमर्थन भी मिला। नतीजा, चुनाव जीतकर विधायक तो बने ही कर्पूरी ठाकुर के मंत्रिमंडल में मंत्री भी बन गए। 

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मंत्री बनने का वाकया भी रोचक है। मंत्री पद के लिए विधायकों के नाम की पर्ची डालकर लॉटरी निकली गई थी। दरअसल, कुल तीन निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे। उनमें से किसी एक को ही मंत्री बनाया जाना था। लॉटरी में जयराम गिरि का नाम आया। उन्हें कृषि एवं नदी घाटी विभाग का मंत्री बनाया गया था। हालांकि वे अल्प समय तक ही मंत्री रह पाए क्योंकि सरकार ही करीब छह महीने तक रह पाई। वे गेरुआ वस्त्र में ही विधानसभा जाते थे।

आठ हजार मतों से हुए विजयी 

मठ के दरबारी दीनदयाल गिरि बताते हैं कि जयराम गिरि ने कांग्रेस के टिकट पर दोबारा 1972 में गुरुआ विधानसभा से चुनाव लड़ा। इस बार भी आठ हजार मतों से विजयी हुए। तब केदार पांडे बिहार में मुख्यमंत्री बने थे लेकिन इस बार जयराम गिरि को मंत्री पद नहीं मिला। हालांकि उस वक्त मठ कांग्रेस का समर्थन करता था। मुख्यमंत्री के कहने पर पार्टी को चंदा भी दिया जाता था। 

छह हजार रुपये खर्च कर लड़े चुनाव


दीनदयाल बताते हैं कि उस समय चुनाव में ज्यादा खर्च नहीं होता था। जयराम गिरि जब पहली बार चुनाव लड़े तो उस समय छह हजार रुपये खर्च हुए थे जबकि दूसरी बार में 12 हजार की राशि खर्च की गई थी। बाद में चुनावों में धन-बल हावी होने पर जयराम गिरि ने चुनाव लडऩे की मंशा त्याग दी। तीसरी बार चुनाव नहीं लड़ा। 


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