अब डॉक्टर सैकड़ों मील दूर बैठ सुन रहे मरीज की धड़कन
दिल का हाल जानने के लिए अब दिल के करीब होना जरूरी नहीं।
पटना। दिल का हाल जानने के लिए अब दिल के 'करीब' होना जरूरी नहीं। विशेषज्ञ डॉक्टर आपकी सेहत का हाल सैकड़ों किलोमीटर दूर से जानकर बीमारी एवं इलाज के बारे में सलाह दे सकते हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) पटना के इंक्यूबेशन सेंटर में डॉ. अमजद अली द्वारा तैयार डिवाइस से डॉक्टर सैकड़ों मील दूर से ही मरीजों की धड़कन सुनने के साथ उनकी अनुभूति जान रहे हैं।
विशेषज्ञ डॉक्टर गांव या कस्बे के स्वास्थ्य केंद्र में बैठे मरीज की शारीरिक स्थिति की जानकारी इस डिवाइस के माध्यम से जान सकते हैं। यह डिवाइस काफी कम डेटा स्पीड की स्थिति में भी काम करती है। गांव या कस्बे के स्वास्थ्य केंद्र में रखी डिवाइस से मरीज की पल्स रेट, रक्तचाप (बीपी), वजन, तापमान, शुगर लेवल, नाक, कान और गले के अंदर तथा शरीर के बाहरी भाग का निरीक्षण दूर बैठे डॉक्टर कर सकते हैं। जरूरत पड़ने पर तत्काल ईसीजी की रिपोर्ट भी देख सकते हैं।
इस दरम्यान दोनों एक-दूसरे को देखने के साथ-साथ बातचीत भी कर सकते हैं। भाषा में परेशानी होने पर गूगल ट्रांसलेट का भी सहारा लिया जा सकता है। पटना के अतिरिक्त सिवान और मोतिहारी के 50 से अधिक डॉक्टर इसके माध्यम से मरीजों का इलाज कर रहे हैं।
डॉ. अमजद अली देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेद्र प्रसाद के गांव जीरादेई (सिवान) के रहने वाले हैं। यूक्रेन से एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद कई वर्षो तक राज्य के सरकारी अस्पतालों में सेवा दी। डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ से जुड़कर टीकाकरण व संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए काम किया। फील्ड ड्यूटी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में बदहाल स्वास्थ्य सेवा देखने के बाद इस डिवाइस को बनाने का विचार उनके मन में आया।
अमेरिका व यूरोप की डिवाइस से 10 गुनी सस्ती :
डॉ. अमजद अली के अनुसार उनकी डिवाइस अमेरिका और यूरोप में तैयार डिवाइस से 10 गुनी सस्ती है। विदेश में इसकी कीमत लगभग 15 लाख रुपये है। आइआइटी में तैयार डिवाइस का सॉफ्टवेयर, कैमरा व ऑडियो सिस्टम, स्टेथोस्कोप, ईसीजी आदि सिस्टम अंतरराष्ट्रीय मानक के हैं। डिवाइस को ऑपरेट करने के लिए फ्री में ट्रेनिग की व्यवस्था है। डॉक्टर घर बैठे अपने मोबाइल से भी मरीज से जुड़ सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में डेटा स्पीड कम होने की शिकायत आम है। 100 केबी से कम डेटा पर भी यह बेहतर सर्विस देता है।
ग्रामीण चिकित्सा व्यवस्था के लिए वरदान :
इंक्यूबेशन सेंटर के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ. प्रमोद कुमार तिवारी के अनुसार यह डिवाइस ग्रामीण चिकित्सा व्यवस्था के लिए वरदान होगी। पहले चरण में ही इसकी गुणवत्ता का स्तर 95 फीसद से अधिक है। डॉक्टरों से फीडबैक के आधार पर इसे और बेहतर बनाया जा रहा है। 1.5 लाख में किट उपलब्ध है। कई सहयोगी उपकरण के साथ-साथ इसे आइआइटी पटना के इंक्यूबेशन सेंटर से 2.5 लाख रुपये में प्राप्त किया जा सकता है। मल्टीपर्पज क्लीनिक से जुड़े डॉक्टर भी इसका उपयोग कर सकते हैं।