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इस लड़की ने तोड़ा लंबी सड़क का गुरुर, कहा- जीवन में करना है बहुत काम, इवांका ट्रंप भी हैं मुरीद

पिता को साइकिल पर बैठा लड़की ने तोडा़ 1200 किमी सड़क का गुरुर कहा- जीवन में करना है बहुत काम

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 01:23 PM (IST)Updated: Mon, 25 May 2020 07:56 AM (IST)
इस लड़की ने तोड़ा लंबी सड़क का गुरुर, कहा- जीवन में करना है बहुत काम, इवांका ट्रंप भी हैं मुरीद
इस लड़की ने तोड़ा लंबी सड़क का गुरुर, कहा- जीवन में करना है बहुत काम, इवांका ट्रंप भी हैं मुरीद

पटना/ दरभंगा, जागरण टीम। महज 15 साल की उम्र में इस लड़की ने लॉकडाउन में लंबी सड़क का गुरुर तोड़ा। साथ ही अपने साथ परिवार की मजबूरी की उम्र भी पूरी कर दी। देखते-देखते उसकी पहचान देश की सीमाओं के बाहर तक जा पहुंची। अब वह पढ़-लिखकर जीवन में बेहतर करना चाहती है। देश के लिए साइकिलिंग में गोल्‍ड मेडल जीतना भी उसका सपना है। जी हां, हम बात कर रहे हैं दरभंगा की ज्‍योति की, जिसकी मुरीद अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप तक हो गई हैं। आखिर एक पुरानी साइकिल पर घायल पिता को बैठा गुरुग्राम से दरभंगा तक का 1200 किमी लंबा से अधिक का सफर कोई आसान काम नहीं था।

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अब बदलने लगी है ज्‍योति की दुनिया

लॉकडाउन में गुरुग्राम से पिता को साइकिल पर बैठाकर 1200 किलोमीटर दूर अपने गांव दरभंगा के सिरहुल्ली तक लाने वाली ज्योति कुमारी की दुनिया बदलने लगी है। लोग उसकी मदद को आगे आ रहे हैं।

राज्‍य सरकार ने कराया नौवीं कक्षा में दाखिला

ज्योति ने वर्ष 2017 में मध्य विद्यालय सिरहुल्ली से आठवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की थी, लेकिन आर्थिक कठिनाइयों की वजह से आगे पढ़ाई जारी नहीं रख सकी। अब शिक्षा विभाग ने उसका नौवीं कक्षा में नामांकन कराया है। शिक्षा विभाग की ओर से उसे एक नई साइकिल, दो जोड़ी पोशाक, जूता-मोजा, स्कूल बैग और नौवीं कक्षा की पुस्तकें भी भेंट की गईं हैं। शिक्षा विभाग की ओर से दरभंगा के जिला शिक्षा पदाधिकारी डॉ. महेश प्रसाद सिंह के नेतृत्व में एक टीम ज्योति के गांव पहुंची और उसका पास के उच्च माध्यमिक विद्यालय में नौवीं कक्षा में नामांकन कराया।

स्पोर्टिंग स्किल में मदद करेगा शिक्षा विभाग

इस दौरान बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक संजय सिंह भी टीम के साथ ऑनलाइन जुड़े रहे। उन्‍होंने उन्‍होंने ज्योति की स्पोर्टिंग स्किल को भी आगे बढ़ाने में शिक्षा विभाग की पूरी मदद का भरोसा दिया।

मदद के लिए आगे आ रहे विधायक व राजनेता

ज्‍योति की मदद के लिए दरभंगा के विधायक संजय सरावगी भी आगे आए। उन्‍होंने उससे मुलाकात कर उपहार दिए तथा लॉकडाउन के बाद अच्‍छी साइकिल देने का आश्‍वासन दिया। कहा कि ज्‍योति ने मिथिला का मान-सम्‍मान पूरे विश्‍व में बड़ाया है।  विधायक के अलावा जन अधिकार पार्टी के अध्‍यक्ष व पूर्व सांसद पप्‍पू यादव भी ज्‍योति से मिले। उन्‍होंने ज्‍योति को 20 हजार रुपये दिए तथा आगे पढ़ाने व साइकिलिंग की प्रैक्टिस कराने का भरोसा दिया।

सहायता के लिए बढ़े कई संसथाओं के भी हाथ

बिहार प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष सह रोटरी क्लब के सदस्य नीरज खेडिय़ा भी ज्योति से मिले तथा उसे एक साइकिल दी। हर संभव मदद का भरोसा भी दिया। लायंस क्लब ऑफ दरभंगा भी रविवार को ज्योति की मदद के लिए आगे आ रहा है। क्लब के अध्यक्ष एसएम माइकल ने बताया कि उसके परिवार को एक महीने का राशन दिया जाएगा, ताकि लॉकडाउन में किसी तरह की परेशानी न हो।

दीदी की पुरानी साइकिल से किया लंबा सफर

दैनिक जागरण से बातचीत में ज्‍योति ने गुरुग्राम से दरभंगा स्थित गांव तक के सफर का अनुभव साझा किया। साथ ही अपने दिल की कई बातें कहीं। उसने कहा कि मुख्‍यमंत्री साइकिल योजना के तहत उसकी बड़ी दीदी को 2013 में जो साइकिल मिली थी, उसे ही लेकर वह गुरुग्राम गई थी। उसी पुरानी साइकिल पर वह एक दुर्घटना में घायल हो गए पिता को लेकर घर आई। उसने बताया कि 1200 किमी की इस यात्रा के दौरान पिता-पुत्री रोज कुछ देर बैठकर आराम करते थे, फिर लंबी सड़क पर निकल पड़ते थे।

पिता का हौसला बढ़ा बढ़ती रही और आ गई मंजिल

ज्‍योति ने कहा कि सड़क लंबी थी। कई बार पिता का धैर्य टूट जाता था तो वह समझाती थी, उनका हौसला बढ़ाती थी, फिर आगे चल पड़ती थी। धीरे-धीरे रास्‍ता छोटा होता गया और मंजिल आ ही गई। साइकिल से गांव आने पर लोगों को आश्‍चर्य हुआ। फिर खबर फैल गई। उसने अपनी कहानी दुनिया के सामने रख मदद दिलाने के लिए दैनिक जागरण का शुक्रिया अदा किया।

आगे पढ़-लिखकर जीवन में करना चाहती बेहतर

ज्‍याेति ने कहा कि अब वह पढ़-लिखकर जीवन में बेहतर करना चाहती है। आगे साइकिलिंग की तैयारी में भी जुटेगी। साइकिलिंग फेडरेशन ने भी उसे टेस्‍ट के बाद ट्रेनिंग देने की घोषणा की है। इसके लिए वह लॉकडाउन के बाद दिल्‍ली जाएगी। ज्‍योति साइकिलिंग में देश के लिए गोल्‍ड मेडल जीतना भी चाहती है।

माता-पिता को बेटी पर गर्व, बोले- वह लाई अच्‍छे दिन

मां फूलो देवी व पिता मोहन पासवान को ऐसी बेटी पर गर्व है। ज्योति के दो छोटे भाई और दोनों बहनें भी उसकी उपलब्धि पर फूले नहीं समा रहे। सबों की बातों का सारांश बताएं तो यही है कि ज्योति ने परिवार की मजबूरियों की उम्र का अंत कर दिया। अब अच्‍छे दिन आ गए हैं।


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