Vat Savitri Pooja 2020: जानें वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त, संक्रमण काल में घर में ऐसे करें पूजा
आज वट सावित्री पूजा है। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए कुछ महिलाएं घर में तो कुछ एहतियात बरतते हुए बाहर निकल वट वृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना कर रही हैं।
पटना, जेएनएन। आज वट सावित्री पूजा है। अखंड सौभाग्य की कामना को लेकर सुहागिन वट वृक्ष की पूजा कर रही हैं। कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए कुछ महिलाएं घर में तो कुछ एहतियात बरतते हुए बाहर निकल वट वृक्ष के नीचे पूजा-अर्चना कर रही हैं। राजधानी में सुबह से ही चहल-पहले देखी जा रही है। घर की छतों पर बड़ी संख्या में महिलाओं ने प्रतीकात्मक वृक्ष लगाकर पूजा शुरू कर दी है।
शुक्रवार की सुबह शहर के विभिन्न चौक-चौराहे पर पूजन सामग्री की खरीदारी करती महिलाएं नजर आईं। शहर के बेली रोड, बोरिंग रोड, राजापुर पुल, कदमकुआं आदि जगहों पर भीड़ का नजारा देखने को मिला। रूकनपुरा की आशा देवी ने कहा कि इस बार घर पर ही वट वृक्ष के पत्ते और टहनी को गमले में लगाकर पूजा-अर्चना कर रही हैं। क्योंकि कोरोना के कारण मंदिर और बाहर में भीड़ लगाना ठीक नहीं है। कोरोना से बचाव को लेकर भी ध्यान देना है।
बोरिंग रोड चौराहे पर पूजन सामग्री खरीद रही विनीता ने कहा 10 रुपये में वट वृक्ष के टहनी और दो-दो रुपये में उसके पत्तों को खरीद घर ले जा रही है। कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर इस बार अपने घर पर ही पूजा करने की योजना है। विनिता ने कहा कि पंडितजी ने भी घर पर ही पूजा करने का परामर्श दिया है।
घर लाकर ऐसे करें पूजा
आचार्य पीके युग ने कहा कि अखंड सौभाग्य और पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन वट सावित्री का व्रत रख कर पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करती हैं। इस दिन सुहागिन बांस के पात्र में अन्न धन, नारियल, कच्चा सुत लेकर वट वृक्ष के पास पूजा अर्चना कर सौभाग्य की रक्षा के लिए निर्जला व्रत कर पूजा करेंगी। उन्होंने धाॢमक मान्यता के अनुसार कहा कि वट वृक्ष के पत्ते और टहनी को घर लाकर उसे प्रतिकात्मक रूप से पूजा अर्चना की जा सकती है। वट वृक्ष की धाॢमक और वैज्ञानिक महत्ता भी है। वृक्ष की छाल में में विष्णु, जड़ों में ब्रह्मा और शाखाओं में भगवान शिव का वास माना जाता है। साथ ही वट वृक्ष ऑक्सीजन प्रदान करने के साथ इसके पत्तों से निकलने वाले रस चोट, मोच में भी काम आता है। वही बारिश के दिनों में वट वृक्ष जल का सर्वाधिक सरंक्षण करता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त :
तिथि के मुताबिक: प्रात: 05:02 बजे से पूरे दिन
गुली काल मुहूर्त: प्रात: 06:43 बजे से 08:24 बजे तक
अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11: 19 बजे से 12:13 बजे तक