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Pressure Politics in Mahagathbandhan: शरद के बहाने RJD पर सहयोगी बना रहे दबाव, लालू तैयार नहीं

बिहार में प्रेशर पॉलिटिक्‍स शुरू है। महागठबंधन में राजद पर रालोसपा हम व वीआइपी पार्टियां दबाव बना रही हैं। कांग्रेस इससे फिलहाल अलग है। वहीं शरद के नाम पर लालू तैयार नहीं हैं।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Tue, 18 Feb 2020 07:12 PM (IST)Updated: Tue, 18 Feb 2020 07:23 PM (IST)
Pressure Politics in Mahagathbandhan: शरद के बहाने RJD पर सहयोगी बना रहे दबाव, लालू तैयार नहीं
Pressure Politics in Mahagathbandhan: शरद के बहाने RJD पर सहयोगी बना रहे दबाव, लालू तैयार नहीं

पटना [अरुण अशेष]। वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव (Sharad Yadav) के बहाने महागठबंधन (Mahagathbandhan) में एक दबाव समूह बन गया है। इसका प्राथमिक लक्ष्य सबसे बड़े दल राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) को बराबरी पर लाकर बिठाना है। बेशक, विधानसभा चुनाव में एनडीए (NDA) को परास्त करना अंतिम लक्ष्य है, लेकिन फिलहाल यह प्राथमिकता सूची में दूसरे नंबर पर है।

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नहीं सुलझ पाया नेतृत्‍व का विवाद

मालूम हो कि तीन दिन पहले रालोसपा (RLSP) अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha), हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा (Hindustani Awam Morcha) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) ने शरद से मुलाकात कर नेतृत्व का विवाद सुलझाने का आग्रह किया था। इसके बाद शरद रांची गए। राजद अध्यक्ष लालू यादव (Lalu Yadav) मुलाकात हुई। नेतृत्व का विवाद सुलझ नहीं पाया। 

लालू से मिल दिल्‍ली लौट गए शरद 

कुशवाहा, मांझी और सहनी का कहना था कि उन्हें तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) का नेतृत्व स्वीकार नहीं है। शरद खुद महागठबंधन का नेतृत्व करें। प्रस्ताव तो यह भी था कि महागठबंधन शरद को ही विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्य चेहरा के तौर पर पेश करे। खबर है कि लालू यादव इसके लिए तैयार नहीं हुए। शरद उसी शाम दिल्ली लौटे, लेकिन ये तीन दल अपने एजेंडा पर काम करते रहे। अगले दिन गांधी मैदान में धरना का कार्यक्रम था। उसमें इन दलों के अलावा वाम दलों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। उपेंद्र कुशवाहा ने बैठक में कहा था कि महागठबंधन में वाम दलों को शामिल करने से मजबूती मिलेगी। इस तर्क से मांझी और सहनी भी सहमत हुए। 

 

राजद मान रहा राज्‍यसभा जाने की कवायद

फिलहाल, वाम दलों के साथ महागठबंधन के गैर राजद दल दोस्ती जारी रखेंगे। मकसद यह है कि एनडीए और राजद से अलग राज्य में तीसरे मोर्चे का ढांचा तैयार हो जाए, ताकि राजद से मोल-जोल करने में सहूलियत हो। राजद और एनडीए से अलग राय रखने वालों को इससे जोड़ा जाए, लेकिन यह सब मोलजोल की क्षमता बढ़ाने के लिए ही होगा। तीसरा मोर्चा के नाम पर अलग चुनाव अंतिम या मजबूरी का विकल्प होगा। वैसे, राजद का एक हिस्सा पूरी कवायद को शरद यादव के राज्यसभा में वापसी का उपाय से अधिक कुछ नहीं मान रहा है।

 

वाम के सवाल पर बोली कांग्रेस

उधर, कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष डॉ मदन मोहन झा (Madan Mohan Jha) ने कहा कि भाजपा का परास्त करने के लिए समान विचार धारा के सभी दल एक मंच पर आ जाएं तो अच्छी बात है। इस पर महागठबंधन के किसी दल को संभवत: एतराज न हो।


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