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सतनाम वाहेगुरु नाटक में हरियाणा के कलाकारों ने दिए गुरु नानक के संदेश

गुरु नानक देव के संदेशों को कलाकारों ने नाटक से बताया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 01:29 AM (IST)Updated: Fri, 23 Aug 2019 01:29 AM (IST)
सतनाम वाहेगुरु नाटक में हरियाणा के कलाकारों ने दिए गुरु नानक के संदेश
सतनाम वाहेगुरु नाटक में हरियाणा के कलाकारों ने दिए गुरु नानक के संदेश

पटना सिटी। सिख पंथ के प्रथम गुरु नानक देव ने हिदू के गुरु तथा मुसलमान के पीर के रूप में विश्व में पहचान बनाई। श्री गुरु नानक देव का जीवन मानवता के लिए सदैव प्रेरणादायक और मार्गदर्शक है। जीवन दर्शन के माध्यम से गुरु जी ने लोगों को जीने की सही राह दिखायी। उक्त बातें गुरुवार की शाम पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव ने रामदेव महतो सभागार में सतनाम वाहेगुरु नाटक देखने के लिए जुटे संगतों से कहीं।

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प्रबंधक समिति के अध्यक्ष सरदार अवतार सिंह हित ने कहा नानक नाम चढदी कला तेरे भाणे सरबत का भला। अर्थात सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय का पालन करें तभी विश्व का कल्याण संभव है। उन्होंने बताया कि गुरु जी ने जाति भेद का जोरदार खंडन करके भारतीय समाज में समता पर बल दिया है। उन्होंने बताया कि गुरु नानक देव ने भारत के कोने-कोने का भ्रमण किया। अनेक तीर्थस्थलों पर अंधविश्वासों व पाखंडों को उजागर करते हुए पटना आए। बिहार में भी उनकी बड़ी संगत व छोटी संगत कायम हुई। उन्होंने वर्ष 1497 से लेकर 1521 के बीच पूरब, पश्चिम, उत्तर व दक्षिण की यात्रा की। इसी दौरान वे गायघाट गुरुद्वारा व पटना सिटी क्षेत्र में आए थे।

हरियाणा के हिसार से आए अभिनय रंगमंच के कलाकारों ने नाटक प्रस्तुत किया। कलाकारों ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा संवत 1526 विक्रमी यानी वर्ष 1469 ई. को ननकाना साहिब में पिता मेहता कालू और माता तृप्ता जी के घर श्री गुरुनानक देव अवतरित हुए। भाई गुरदास की प्रसिद्ध उक्ति है सतगुरु नानक प्रगटिया, मिटी धुंध जग चानन होआ अर्थात संसार से अज्ञान की धुंध समाप्त करके ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले प्रथम पातशाह ने अछ्वुत कौतुक किए। ठगों को साधु, अहंकारियों को सज्जन, दुराचारियों को सदाचारी और परशोषकों को परोपकारी बना दिया। नानक देव ने आपसी भेदभाव, छुआछूत, ऊंच-नीच, भ्रम-वहम को दूर कर भाईचारा को बढ़ावा देने का काम किया। वर्ष 1499 से 1522 तक लोक कल्याण के लिए गुरु जी ने उदासी यात्राएं की। नाटक में सात पात्रों में पांच अतुल, अनूप, मधुर, तेजेंदर और विशाल ने गुरु नानकदेव की शिक्षा पर किस्सा सुनाया। कलाकार चाइनीज गिल और प्रदीप ने अपनी भाव-भंगिमा से जीवंत प्रस्तुति दिया। नाटक के निदेशक मनीष जोशी, सह निदेशक सकलैन शाहिदी, लाइट चिराग कालरा, संगीत निपुण कपूर व बैक स्टेज प्रिस ने सजाया था।

समारोह में प्रबंधक समिति के महासचिव महेंद्र पाल सिंह ढिल्लन, सचिव महेंद्र सिंह छाबड़ा, सदस्यों में हरवंश सिंह, त्रिलोचन सिंह, कमीकर सिंह, राजा सिंह, दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी की बीबी रंजीत कौर, बाललीला गुरुद्वारा के मुख्य सेवादार बाबा गुरमिदर सिंह, त्रिलोक सिंह, दीपक सिंह, भूपेंद्र सिंह साधू, साधना सिंह समेत अन्य थे। सभागार में देश के विभिन्न भागों के संगत व स्थानीय लोग उपस्थित थे।


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