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मुकदमों का बोझ कम करने में अधिवक्ता न्यायिक पदाधिकारियों का सहयोग करें-मुख्य न्यायाधीश

पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही ने कहा कि अब मुकदमे की संख्या कम होगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 01:27 AM (IST)Updated: Fri, 23 Aug 2019 01:27 AM (IST)
मुकदमों का बोझ कम करने में अधिवक्ता न्यायिक पदाधिकारियों का सहयोग करें-मुख्य न्यायाधीश
मुकदमों का बोझ कम करने में अधिवक्ता न्यायिक पदाधिकारियों का सहयोग करें-मुख्य न्यायाधीश

पटना। पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमरेश्वर प्रताप शाही ने कहा कि न्यायिक पदाधिकारियों पर मुकदमे निष्पादन करने का बोझ काफी है। वे काम के दबाव में हैं। निचली अदालतों में 88 प्रतिशत मुकदमों का ट्रायल चलता रहता है। केवल 12 प्रतिशत मुकदमा ही उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में है। न्यायमूर्ति ने अधिवक्ताओं से अनुरोध किया कि इस बोझ को कम करने में अधिवक्ता सहभागी बन न्यायिक पदाधिकारियों का उत्साह बढ़ाएं एवं उनका सहयोग करें। गुरुवार को पटना सिविल कोर्ट परिसर में नव निर्मित आठ मंजिला न्यायालय भवन का उद्घाटन करने के उपरांत वह बोल रहे थे।

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मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री शाही ने कहा कि इस नव निर्मित भवन की उपयोगिता तभी सार्थक होगी जब आम लोगों को न्याय मिलेगा। उन्होंने शायराना अंदाज में कहा कि दोष किसका है बाद में देखा जायेगा। अब इस नाव को आगे बढ़ाते रहना है। निरीक्षक जज न्यायमूर्ति आदित्य कुमार त्रिवेदी ने कहा कि न्यायालय में मुकदमा तेजी से निष्पादित हो इसके लिये आधारभूत संरचना का सुदृढ़ होना जरूरी है। न्यायमूर्ति दिनेश प्रसाद सिंह ने कहा कि समय पर नोटिस की तामीला नहीं होने के कारण 30 प्रतिशत मुकदमा लंबित है। अब जरूरत है कि नोटिस की तामीला में आधुनिक तकनीक की मदद ली जाए।

कार्यक्रम में न्यायमूर्ति हेमंत कुमार श्रीवास्तव, बिरेन्द्र कुमार अनिल कुमार सिन्हा, प्रभात कुमार सिंह, जिला जज रुद्र प्रकाश मिश्रा, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अशोक सिन्हा, निगरानी के कनीय विशेष लोक अभियोजक आनन्दी सिंह, एपीपी सुधीर कुमार सिन्हा, पटना पीपी विजय कुमार सिन्हा सहित सिविल कोर्ट के तमाम न्यायिक पदाधिकारी, कर्मचारी, दर्जनों अधिवक्ता मौजूद रहे। नव निर्मित भवन का उद्घाटन करने के बाद मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीशों ने सिविल कोर्ट परिसर में पौधारोपण किया। विदित हो कि करीब 16 कट्ठा में बने नये भवन में 30 कोर्ट संचालित होगी। इनमें अधिकांश एडीजे की कोर्ट होगी। भूतल में मध्यस्थता केन्द्र होगा। अन्य कोर्ट पुराने भवन में ही चलेगा। न्यायिक पदाधिकारियों की संख्या के अनुपात में कोर्ट रूम की भारी कमी थी। पूर्व में सिविल सर्जन कार्यालय को खाली करा वहां सब-जज कोर्ट स्थापित किया गया था।


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