मौसम का हाल: सावन तो बरस गया, पर बारिश को तरस रहा भादो; सूखे रह गए जलाशय
बरसात के लिए पुरानी कहावत है सावन से भादो दूबर (कमजोर)! कालांतर में दोनों माह में इतनी वर्षा होती थी कि परंपरागत जलावन का संकट उत्पन्न हो जाता था। लेकिन अब मौसम बदल रहा है।
पटना, जेएनएन। बरसात के लिए पुरानी कहावत है, 'सावन से भादो दूबर (कमजोर)!' कालांतर में दोनों माह में इतनी वर्षा होती थी कि परंपरागत जलावन का संकट उत्पन्न हो जाता था। जलवायु परिवर्तन के नतीजे बता रहे हैं कि सावन और भादो में किसानों को सूखे का सामना करना पड़ रहा है। पटना के ग्रामीण क्षेत्रों में इस बार परंपरागत आहर, पईन, तालाब व जलाशयों में पानी नहीं है। बरसात में लोग पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। कई जगहों पर तो बाल्टी लेकर प्रदर्शन भी हो चुका है। हालांकि सावन तो कुछ हद तक बरस गया, लेकिन भादो बारिश के लिए तरस रहा है।
मौसम विभाग की ओर से जारी पूर्वानुमान के अनुसार मानसून अवधि में इस बार जून से सितंबर तक अच्छी बारिश की उम्मीद थी, मगर परिणाम पूर्वानुमान के बिल्कुल विपरीत साबित हुआ है। आगे के पूर्वानुमान में अगस्त तक बिहार में मानसून के सक्रिय रहने की संभावना कम है। यदि सितंबर तक अच्छी बारिश नहीं हुई तो खरीफ फसल को भारी नुकसान हो सकता है। हालांकि किसानों को अभी भी कम बारिश की वजह से धान की फसल की सिंचाई करनी पड़ रही है।
जहां तक पटना जिले की बात है तो वर्ष 2013 के बाद मानसून अवधि के दौरान किसी माह में सामान्य वर्षा नहीं हुई। इस वर्ष जून में 67 परसेंट और जुलाई में 17 परसेंट कम वर्षा हुई है। अगस्त में अब तक सामान्य से 61 परसेंट कम बारिश रिकॉर्ड की गई है। बीते साल जून में वर्षा में सामान्य से 45 परसेंट की कमी थी, लेकिन जुलाई व अगस्त में अच्छी बारिश के कारण क्रमश: 10 व 15 परसेंट की कमी रह गई थी।
जून 2013 में सामान्य से पांच परसेंट और अगस्त 2014 में सामान्य से 70 परसेंट अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई थी। जून 2011 में सामान्य से 98 परसेंट और अगस्त में 16 परसेंट अधिक बारिश हुई थी। बीते एक दशक में लगातार सामान्य से कम और असामान्य बारिश होने का असर इस बार अधिक देखने को मिल रहा है। हाल यह कि पटना जिले के पांच प्रखंडों में भू-जल स्तर सर्वाधिक नीचे चला गया है।
बरसात के दिनों में धनरुआ, नौबतपुर, पुनपुन, संपतचक, फुलवारीशरीफ, पालीगंज सहित कई जगहों पर पेयजल का संकट बना हुआ है। लोग बाल्टी लेकर पानी के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। आहर, पईन और तालाब बरसात के सीजन में भी सूखे रह गए हैं।