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श्रद्धा से समर्पण और समर्पण से सेवा की आती है भावना

साधना श्रद्धा समर्पण और सेवा इस्सयोग के चार सीढि़यां है। साधना से श्रद्धा बढ़ती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jul 2019 01:43 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jul 2019 06:32 AM (IST)
श्रद्धा से समर्पण और समर्पण से सेवा की आती है भावना
श्रद्धा से समर्पण और समर्पण से सेवा की आती है भावना

पटना। साधना, श्रद्धा, समर्पण और सेवा इस्सयोग के चार सीढि़यां है। साधना से श्रद्धा बढ़ती है। श्रद्धा से समर्पण और समर्पण से सेवा की भावना आती है। इनकी उपलब्धि है कि इससे साधक में निखार आता है। उसमें अलौकिक शक्तियां आती हैं और अहंकार समाप्त होता है। साधना में पीड़ा होती है, किंतु इससे जो आनंद प्राप्त होता है, वह अलौकिक है। कुछ ऐसी हीं बातें बापू सभागार में मंगलवार को सुनने को मिला। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय इस्सयोग समाज की ओर से सत्संग व भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। सत्संग के दौरान सद्गुरु मां विजया ने कहा कि फूलों को सुई से गूंथा जाता है कोई फूल जब चुभन का दर्द सहता है तब उसे सुंदर हार का हिस्सा बनने का गौरव प्राप्त होता है। उसी प्रकार साधना के पथ पर अग्रसर रहने वाले व्यक्ति को भी विभिन्न प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है तब जाकर परम पद की प्राप्ति होती है। इस्सयोगी साधक अब आध्यात्मिक दृष्टि से तेजी से आगे बढ़ रहा है। उनमें दिव्य शक्तियों का प्रवेश होने लगता है। भारतीय समाज में महर्षि वेद व्यास के जन्मदिन पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। आज के दिन हीं शिष्य अपने गुरु की पूजा कर उनके प्रति सम्मान का भाव रखते हैं। ऐसे में गुरु शिष्य परंपरा का प्रमुख दिन है। महोत्सव का उद्घाटन इस्सयोग के संस्थापक महात्मा सदगुरु देव सुशील महाराज के तस्वीर पर पुष्प अर्पित करने के साथ संस्था के उपाध्यक्ष बडे भैया संजय कुमार, संस्था के संयुक्त सचिव अभियंता उमेश कुमार एवं दीनानाथ शास्त्री ने किया। सभागार में एक से बढ़कर एक भक्ति गीतों की प्रस्तुति होने के साथ श्रद्धालु गीतों में खूब गोते लगाते रहे। मौके पर बड़े भैया संजय कुमार ने कहाकि गुरु मां के सानिध्य में बहुत कुछ सीखने को मिला है। गुरु चरणों के प्रति हमेशा आदर का भाव जरूरी है। हमें गुरु के प्रति समर्पण का भाव रखने की जरूरत है। मौके पर लक्ष्मी प्रसाद साहू, डॉ. अनिल सुलभ, अनीता राज, सरोज गुटगुटिया, महेंद्र सिंह, दीनानाथ शास्त्री, नितिन साहू, सुमन सुहासरिया, हरि पंडा ने अपने विचार दिए। समारोह के दौरान श्रद्धालुओं को आंतरिक साधना आरंभ करने के लिए शक्तिपात-दीक्षा का कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मां विजयी ने सैकड़ों लोगों को शक्तिपात दीक्षा प्रदान की। समारोह के दौरान संगीता झा, रेणु गुप्ता, नीना दुबे, शिवम झा, अनंत कुमार साहू, श्रीप्रकाश सिंह, विजय रंजन, माया साहू, युगल किशोर प्रसाद, सीएल प्रसाद, विनोद तकियावाला, दुर्गादास पंडा, एके खरे, प्रभात झा, राजीव कुमार रंजन सहित कई श्रद्धालु मौजूद थे।

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