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जलाशयों के पुनर्जीवन योजना में अवैध कब्जा रोड़ा

सरकार ने परंपरागत जलाशयों के पुनर्जीवन की योजनाएं तो बनाई हैं लेकिन अवैध कब्जा इसमें बड़ी बाधा है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 08:00 AM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 08:00 AM (IST)
जलाशयों के पुनर्जीवन योजना में अवैध कब्जा रोड़ा
जलाशयों के पुनर्जीवन योजना में अवैध कब्जा रोड़ा

पटना। सरकार ने परंपरागत जलाशयों के पुनर्जीवन की योजनाएं तो बनाई हैं, लेकिन अवैध कब्जा इसमें सबसे बड़ी बाधा बन रहा है। लघु सिंचाई विभाग ने जिला प्रशासन और राजस्व विभाग से अतिक्रमण हटाने की गुहार लगाई, लेकिन मानसून के आगमन के बाद भी अवैध कब्जा नहीं हट सका। नतीजा कार्य अधूरा रह गया। सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2011 में व्यवस्था दी थी कि गैर मजरूआ आम भूमि पर अवैध कब्जा चाहे कितना भी पुराना क्यों न हो, गलत है। सिविल अपील 1132/2011 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला 28 जनवरी 2011 को आ चुका है, लेकिन परंपरागत जलाशय, आहर, पइन, चारागाह और तालाबों पर जारी अतिक्रमण में राजस्व विभाग के कर्मचारी और अंचल अधिकारी को कोई रूचि नहीं रह गई।

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पटना जिले के दुल्हिनबाजार अंचल में लघु सिंचाई विभाग ने लालाभदसारा से लक्ष्मी टोला आहर-पइन के जीर्णोद्धार की योजना मंजूर की थी। कार्य के लिए 15 मार्च 19 को ठेकेदार से करार किया गया था। जब कार्य आरंभ हुआ तो ग्रामीण ने खुदाई रोक दी। ग्रामीणों का कहना था कि बहुत पहले तब के जमींदार जंगधारी सिंह ने इसे बंदोबस्त किया था। लघु सिंचाई विभाग, पटना प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता ने इस संबंध में पटना के डीएम, पालीगंज के अनुमंडल पदाधिकारी, भूमि सुधार उप-समाहर्ता और अंचल अधिकारी से लिखित शिकायत की। भूमि की मापी हुई और अंचल अधिकारी से लेकर एडीएम स्तर पर सुनवाई के बाद भी जलाशय का जीर्णोद्धार कार्य नहीं हो सका।

सरकार की जल संरक्षण योजना में बाधा दूर करने के लिए पटना के अपर समाहर्ता (राजस्व) राजीव कुमार श्रीवास्तव ने बीते 11 मई को जमाबंदी रद करने का आदेश दिया है। यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में जारी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर कहा गया कि गैरमजरूआ आम भूमि जमींदार द्वारा बंदोबस्त करना गलत है, कब्जा चाहे कितना भी पुराना क्यों न हो। पटना में भूजल स्तर नीचे सरकने के कारण सरकार जलाशयों का जीर्णोद्धार करना चाहती है, ताकि वर्षा का पानी संचय कर सिंचाई और भूगर्भ जल स्तर सामान्य स्तर पर कायम रहे।

-- गैर मजरूआ भूमि की परिभाषा --

गैर मजरूआ शब्द गैर मंजर वाली भूमि से रही है। ऐसी भूमि जिस पर किसी प्रकार की फसल का मंजर नहीं आता है। गैर मंजर वाली भूमि में परती असिंचित भूमि, चारागाह, खेल मैदान, जलाशय, आहर-पइन, बांध और तालाब आते हैं। आम गैरमजरूआ भूमि सार्वजनिक उपयोग के लिए थे। जिस गैर मंजर वाली भूमि का जमींदार अपने मकसद के लिए उपयोग करते थे, वह गैरमजरूआ खास (निजी अथवा निज) कहा जाता था।

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