कार्बाइड से पका आम बना सकता कैंसर का मरीज
फलों के राजा आम का बाजार में आगमन हो चुका है
पटना। फलों के राजा आम का बाजार में आगमन हो चुका है। पीले-पीले आम सभी को लुभा रहे हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को जानकारी है कि पीले आम आपको कैंसर का मरीज बना सकते हैं। व्यापारी आम को पकाने के लिए बड़े पैमाने पर कैल्सियम कार्बाइड का उपयोग कर रहे हैं। इसका इस्तेमाल मानव शरीर के लिए अत्यंत घातक है। इसका अत्यधिक सेवन से व्यक्ति कैंसर का शिकार हो सकता है।
आइजीआइएमएस के फार्माकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. हरिहर दीक्षित का कहना है कि न केवल आम बल्कि केला, पपीता सहित कई फलों को पकाने के लिए व्यापारी बड़े पैमाने पर कैल्सियम कार्बाइड का उपयोग कर रहे हैं। प्राय: आम की टोकरी में व्यापारी थोड़ा-सा कार्बाइड रख देते हैं, जिससे आम बहुत कम समय में पक जाता है और पीला-पीला दिखाई देने लगता है। पीला आम देखकर हर व्यक्ति आकर्षित होता है। इसी कमजोरी का व्यापारी लाभ उठाते हैं।
कार्बाइड वाला आम खाने से ये परेशानियां
डॉ. हरिहर दीक्षित के मुताबिक कार्बाइड से पके आमों के उपयोग करने पर लोगों को उल्टी आना, कमजोरी महसूस होना, सांस लेने में परेशानी होना, सिर में दर्द होना, छाती में जलन होना एवं चमड़े पर घाव सहित कई तरह की परेशानी हो सकती है।
पाचन तंत्र में आ जाती गड़बड़ी
आइजीआइएमएस के गैस्ट्रो विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. संजीव कुमार का कहना है कि कार्बाइड से पके फलों को अधिक दिनों तक खाने से पाचन तंत्र में गड़बड़ी आ सकती है। धीरे-धीरे कार्बाइड आंतों को प्रभावित करने लगता है। कार्बाइड के लगातार सेवन से आंतों में कैंसर होने लगता है। कार्बाइड लिवर कैंसर का कारण भी बन सकता है।
प्रतिबंध के बावजूद बाजार में बिक रहा कार्बाइड
केंद्र सरकार कार्बाइड के उपयोग पर प्रतिबंध लगा चुकी है। इसके बावजूद कार्बाइड का उपयोग बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। सबसे ज्यादा कार्बाइड का उपयोग फलों के पकाने के लिए किया जा रहा है।
कार्बाइड के बदले इक्कीपॉन का उपयोग करें व्यापारी
राज्य सरकार के उद्यान विभाग के वरिष्ठ अधिकारी नितेश राय का कहना है कि व्यापारी फलों को पकाने के लिए कार्बाइड के बदले इक्कीपॉन का उपयोग कर सकते हैं। यह मानव स्वास्थ्य के लिए काफी सुरक्षित है। इसका मानव पर कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ता। उद्यान विभाग आम लोगों तक इसे पहुंचाने के लिए जागरुकता अभियान चला रहा है। यह कार्बाइड से सस्ता भी है और प्रभावकारी भी।
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