आम के स्वाद संग कहीं जहर तो नहीं खा रहे आप, जानें कैसे बचा जाए इससे
मीठे पके ताजे आम को खाने को मजा ही कुछ और है। अगर आप भी फलों के राजा का स्वाद लेना चाहते हैं तो कुछ जानकारी भी लेनी जरूरी है। यहां पढ़ें।
By Edited By: Published: Fri, 17 May 2019 06:00 AM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 08:41 AM (IST)
पटना, जेएनएन। गर्मी का मौसम, फलों के राजा आम का मौसम भी है। आम एक ऐसा फल है, जिसका इस्तेमाल कच्चा और पका हुआ, दोनों हालत में अलग-अलग रेसिपी में जमकर होता है। लेकिन, मीठे, पके, ताजे आम को खाने को मजा ही कुछ और है। दिक्कत यह है कि आम की ज्यादातर किस्में मई का महीना आधा बीतने के बाद ही प्राकृतिक तौर पर पकनी शुरू होती हैं। दूसरी तरफ, डिमांड पूरी करने के लिए व्यवसायी इससे पहले ही पका हुआ आम बाजार में उतार देते हैं। इसके लिए कार्बाइड जैसे केमिकल का इस्तेमाल होता है।
यह केमिकल फलों को कम समय में पका देता है, लेकिन मानव शरीर के लिए काफी घातक है। डॉक्टर इसके इस्तेमाल के कई खतरे बताते हैं। मुसल्लहपुर मंडी में रोजाना आ रहा 19 से 20 ट्रक आम आंध्रप्रदेश, ओड़िसा और अपने प्रदेश के भागलपुर से आम की कई किस्में फलों की थोक मंडी बाजार समिति, मुसल्लहपुर में पहुंच रही हैं। प्रतिदिन 19 से 20 ट्रक आम की आवक मंडियों में हो रही है।
कार्बाइड के इस्तेमाल से इन्कार करते हैं व्यवसायी
मंडियों में आ रहा अधिकांश आम कच्चा और हरा है। इसे मंडियों के अंदर धुआं घर में केमिकल व काबाईड का उपयोग कर पकाया जा रहा है। केमिकल से पक कर तैयार यह आम पीला और रसीला होने के कारण खरीदारों को अपनी ओर खींचता है। इस मामले में मंडी के व्यापारियों का कहना है कि धुआं घर में आम को संग्रह कर धुआं देकर उसे पकाया जा रहा है। काबाईड और केमिकल के उपयोग की बात बात व्यापारी नहीं स्वीकार करते हैं।
थोक मंडी में आम की कीमतों पर नजर प्रति किलो
कच्चा पका आम
ओडि़सा मालदह : 60 से 80 रुपये 80 से 100 रुपये
भागलपुर मालदह : 45 से 60 रुपये, 60 से 80 रुपये
बंबइया : 35 से 50 रुपये, 50 से 60 रुपये
आंध्र की गुलाब खास : 40 से 60 रुपये, 50 से 60 रुपये
तोता परी आम : 25 से 30 रुपये, 30 से 35 रुपये
टमटम लंगड़ा आम : 40 से 50 रुपये, 50 से 60 रुपये
परंपरागत तरीका इस्तेमाल करते हैं दुकानदार
इनकम टैक्स गोलंबर फल मंडी के एक फल विक्रेता सन्नी ने कहा कि फल को कागज वाली पेटी में चारों ओर से अखबार को मोटा कर रख देते हैं। फिर पेटी को आम से भर देते हैं, और ऊपर से भी तीन-चार अखबार को मोटा कर पैक कर देते हैं। इसे चीनी वाले बोरे से लपेट कर रख देते हैं। इससे आम का हवा से संपर्क नहीं हो पाता और दो से तीन दिन में आम पक जाता है। मालदह का रंग भी हल्का पीला हो जाता है।
मालदह, गुलाब खास, तोता परी और लंगड़ा की आवक मंडी के व्यापारियों ने बताया कि बीते माह से थोक मंडी में आम की आवक बढ़ गई है। ओड़िसा से आ रहे मालदह आम की खेप लेकर मंडी में प्रतिदिन दो से तीन ट्रक पहुंच रहे हैं। इसी प्रकार से आंध्रप्रदेश से गुलाब खास, तोता परी व टमटम अर्थात लंगड़ा आम भी प्रतिदिन पांच से छह ट्रक मंडी में आ रहा है। भागलपुर से आ रही मालदह और बंबइया आम की खेप भी 10 ट्रक के आसपास प्रतिदिन मंडी में आ रही है। कारोबारियों की मानें तो एक ट्रक में 18 टन आम होता है। इस प्रकार से मंडियों में प्रतिदिन 360 से 365 टन आम की आवक हो रही है।
पूरी तरह पीला हो तो मालदह खरीदने से बचें
एक विक्रेता ललन ने बताया कि कुछ विक्रेता कार्बाइड से भी आम पकाते हैं। कार्बाइड से आम जल्द पक जाता है। महज 24 घंटे में ही आम पक जाएगा। रंग भी पूरी तरह से पीला दिखाई देने लगेगा। अगर मालदह का रंग पूरी तरह पीला है तो यह समझना चाहिए कि पकाने में कार्बाइड का उपयोग किया गया है। इस तरह के आम की खरीदारी से बचना चाहिए। आंध्र से आता है केमिकल मंडी के सूत्रों की मानें तो फलों और आम को पकाने के लिए जिस केमिकल का उपयोग किया जाता है, वह आंध्रप्रदेश से आम के साथ ही आता है। इसके अलावा पटना की मंडियों से भी कार्बाइड खरीद कर लाते हैं। धुआं घर बनाने की मांग कर रहे कारोबारी कारोबारियों का कहना है कि फलों को पकाने के लिए धुआं घर की व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि यहां फलों को पकाने के लिए केमिकल का उपयोग नहीं होता है।
मंडी में जो धुआं घर है, उसकी जर्जर छत को दुरुस्त करने और खाली जगह पर नया धुआं घर बनाने की आवश्यकता है, ताकि आम, केला और अन्य मौसमी फलों को पकाने के लिए फलों को धुआं देने में दिक्कत नहीं हो। केमिकल से बचने के लिए घर में पका सकते हैं आम यूं तो पेड़ पर पके आम का जवाब नहीं, लेकिन यह सभी को नसीब नहीं हो सकता। केमिकल के खतरे से बचने के लिए एक बेहतर तरीका है कि आप कच्चा आम खरीदकर घर में पका लें।
कैसे घर में पकाएं आम
आम को घर पर पकाना बहुत आसान है। इसके लिए कई तरीके हैं। आम को साफ पानी से धो लें, फिर अखबार में उन्हें अच्छी तरह से लपेटकर सामान्य तापमान पर किसी भी गत्ते के डिब्बे, बर्तन या जार में रख दें। दो-तीन दिन में कच्चा आम पककर तैयार हो जाएगा, वह भी केमिकल का इस्तेमाल किए बिना। अगर आप कच्चे आम को अखबार में लपेटते वक्त उसमें एक पका हुआ आम या केला डाल दें तो पकने की प्रक्रिया और तेज हो जाएगी। कच्चे आम को चावल या गेहूं से भरे बोरे या भूसे के ढेर में दबा देने से भी यह पक जाता है। इस तरीके में बेहतर होगा कि आप हर 12 घंटे पर आम को एक बार चेक कर लें ताकि वह ज्यादा न पक जाए।
यह केमिकल फलों को कम समय में पका देता है, लेकिन मानव शरीर के लिए काफी घातक है। डॉक्टर इसके इस्तेमाल के कई खतरे बताते हैं। मुसल्लहपुर मंडी में रोजाना आ रहा 19 से 20 ट्रक आम आंध्रप्रदेश, ओड़िसा और अपने प्रदेश के भागलपुर से आम की कई किस्में फलों की थोक मंडी बाजार समिति, मुसल्लहपुर में पहुंच रही हैं। प्रतिदिन 19 से 20 ट्रक आम की आवक मंडियों में हो रही है।
कार्बाइड के इस्तेमाल से इन्कार करते हैं व्यवसायी
मंडियों में आ रहा अधिकांश आम कच्चा और हरा है। इसे मंडियों के अंदर धुआं घर में केमिकल व काबाईड का उपयोग कर पकाया जा रहा है। केमिकल से पक कर तैयार यह आम पीला और रसीला होने के कारण खरीदारों को अपनी ओर खींचता है। इस मामले में मंडी के व्यापारियों का कहना है कि धुआं घर में आम को संग्रह कर धुआं देकर उसे पकाया जा रहा है। काबाईड और केमिकल के उपयोग की बात बात व्यापारी नहीं स्वीकार करते हैं।
थोक मंडी में आम की कीमतों पर नजर प्रति किलो
कच्चा पका आम
ओडि़सा मालदह : 60 से 80 रुपये 80 से 100 रुपये
भागलपुर मालदह : 45 से 60 रुपये, 60 से 80 रुपये
बंबइया : 35 से 50 रुपये, 50 से 60 रुपये
आंध्र की गुलाब खास : 40 से 60 रुपये, 50 से 60 रुपये
तोता परी आम : 25 से 30 रुपये, 30 से 35 रुपये
टमटम लंगड़ा आम : 40 से 50 रुपये, 50 से 60 रुपये
परंपरागत तरीका इस्तेमाल करते हैं दुकानदार
इनकम टैक्स गोलंबर फल मंडी के एक फल विक्रेता सन्नी ने कहा कि फल को कागज वाली पेटी में चारों ओर से अखबार को मोटा कर रख देते हैं। फिर पेटी को आम से भर देते हैं, और ऊपर से भी तीन-चार अखबार को मोटा कर पैक कर देते हैं। इसे चीनी वाले बोरे से लपेट कर रख देते हैं। इससे आम का हवा से संपर्क नहीं हो पाता और दो से तीन दिन में आम पक जाता है। मालदह का रंग भी हल्का पीला हो जाता है।
मालदह, गुलाब खास, तोता परी और लंगड़ा की आवक मंडी के व्यापारियों ने बताया कि बीते माह से थोक मंडी में आम की आवक बढ़ गई है। ओड़िसा से आ रहे मालदह आम की खेप लेकर मंडी में प्रतिदिन दो से तीन ट्रक पहुंच रहे हैं। इसी प्रकार से आंध्रप्रदेश से गुलाब खास, तोता परी व टमटम अर्थात लंगड़ा आम भी प्रतिदिन पांच से छह ट्रक मंडी में आ रहा है। भागलपुर से आ रही मालदह और बंबइया आम की खेप भी 10 ट्रक के आसपास प्रतिदिन मंडी में आ रही है। कारोबारियों की मानें तो एक ट्रक में 18 टन आम होता है। इस प्रकार से मंडियों में प्रतिदिन 360 से 365 टन आम की आवक हो रही है।
पूरी तरह पीला हो तो मालदह खरीदने से बचें
एक विक्रेता ललन ने बताया कि कुछ विक्रेता कार्बाइड से भी आम पकाते हैं। कार्बाइड से आम जल्द पक जाता है। महज 24 घंटे में ही आम पक जाएगा। रंग भी पूरी तरह से पीला दिखाई देने लगेगा। अगर मालदह का रंग पूरी तरह पीला है तो यह समझना चाहिए कि पकाने में कार्बाइड का उपयोग किया गया है। इस तरह के आम की खरीदारी से बचना चाहिए। आंध्र से आता है केमिकल मंडी के सूत्रों की मानें तो फलों और आम को पकाने के लिए जिस केमिकल का उपयोग किया जाता है, वह आंध्रप्रदेश से आम के साथ ही आता है। इसके अलावा पटना की मंडियों से भी कार्बाइड खरीद कर लाते हैं। धुआं घर बनाने की मांग कर रहे कारोबारी कारोबारियों का कहना है कि फलों को पकाने के लिए धुआं घर की व्यवस्था होनी चाहिए, क्योंकि यहां फलों को पकाने के लिए केमिकल का उपयोग नहीं होता है।
मंडी में जो धुआं घर है, उसकी जर्जर छत को दुरुस्त करने और खाली जगह पर नया धुआं घर बनाने की आवश्यकता है, ताकि आम, केला और अन्य मौसमी फलों को पकाने के लिए फलों को धुआं देने में दिक्कत नहीं हो। केमिकल से बचने के लिए घर में पका सकते हैं आम यूं तो पेड़ पर पके आम का जवाब नहीं, लेकिन यह सभी को नसीब नहीं हो सकता। केमिकल के खतरे से बचने के लिए एक बेहतर तरीका है कि आप कच्चा आम खरीदकर घर में पका लें।
कैसे घर में पकाएं आम
आम को घर पर पकाना बहुत आसान है। इसके लिए कई तरीके हैं। आम को साफ पानी से धो लें, फिर अखबार में उन्हें अच्छी तरह से लपेटकर सामान्य तापमान पर किसी भी गत्ते के डिब्बे, बर्तन या जार में रख दें। दो-तीन दिन में कच्चा आम पककर तैयार हो जाएगा, वह भी केमिकल का इस्तेमाल किए बिना। अगर आप कच्चे आम को अखबार में लपेटते वक्त उसमें एक पका हुआ आम या केला डाल दें तो पकने की प्रक्रिया और तेज हो जाएगी। कच्चे आम को चावल या गेहूं से भरे बोरे या भूसे के ढेर में दबा देने से भी यह पक जाता है। इस तरीके में बेहतर होगा कि आप हर 12 घंटे पर आम को एक बार चेक कर लें ताकि वह ज्यादा न पक जाए।
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