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सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बिहार सरकार 54,000 करोड़ रुपये पाकर हुई मालामाल, जानिए

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति बंद करने की अनुमति दे दी है। इस फैसले से बिहार सरकार को 54000 करोड़ रुपये की बचत हुई है। जानिए पूरी खबर...

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 13 May 2019 05:29 PM (IST)Updated: Mon, 13 May 2019 08:41 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बिहार सरकार 54,000 करोड़ रुपये पाकर हुई मालामाल, जानिए
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बिहार सरकार 54,000 करोड़ रुपये पाकर हुई मालामाल, जानिए

पटना, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में नेबरहुड स्कूलिंग के जरिए शिक्षा में प्रगति, बालिकाओं के स्कूल आने में बढ़ोतरी, जन्मदर में भारी कमी को देखते हुए स्थायी शिक्षकों की भर्ती को बंद करने की अनुमति दे दी है। बता दें कि राज्य में नियोजित शिक्षकों की संख्या पांच लाख है जबकि नियमित शिक्षक 60 हजार ही हैं। इस कैडर को सरकार ने डाइंग कैडर कहा है जिसे बंद किया जा रहा है।

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नियमित शिक्षकों की भर्ती बंद करने के फैसले से बिहार सरकार को 54,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है जो उसे नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन देने पर एरियर के रूप में देनी पड़ती। इतना ही नहीं राज्य सरकार को 10,460 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत भी हुई हुई। ये रकम वेतन में बढ़ोतरी के कारण हर साल शिक्षकों को देनी पड़ती। .

बिहार सरकार ने कहा है कि नियमित शिक्षकों की भर्ती में राज्य से बाहर के लोगों के आने की आशंका रहती है, इस भर्ती में समय लगता है। वहीं भर्ती के बाद उनके ट्रांसफर पोस्टिंग का भी मुद्दा रहता है। जबकि नियोजित शिक्षकों में  यह समस्या नहीं है, एक तो इनकी भर्ती जल्द होती है, क्योंकि ये भर्ती पंचायत, ब्लॉक, नगर पंचायत और स्थानीय निकाय करते हैं तथा स्थानीय उम्मीदवारों को ही भर्ती किया जाता है।

बता दें कि राज्य में चार लाख नियोजित शिक्षक है और एक लाख भर्ती और हो रही है जबकि सरकारी शिक्षकों कि संख्या 60 हजार है और सरकार ने कोर्ट में बताया है कि इस कैडर को मुआवजा देकर हटाने की योजना भी है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की इस दलील को स्वीकार किया कि बिहार में अब स्कूल से बाहर रह गए बच्चों का फीसदी एक रह गया है, जो दस साल पहले 12 था। कोर्ट ने कहा कि डाइंग कैडर के साथ वेतन बराबरी की बात नहीं की जा सकती। जो कैडर समाप्त हो रहा है उसके वेतन को आधार नहीं बनाया जा सकता।.

सरकार पर 20 हजार का जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने अपील दायर करने में 728 दिनों की देरी करने पर बिहार सरकार पर 20 हजार रुपये का जुर्माना ठोका है। कोर्ट ने कहा जुर्माने की यह रकम संबंधित अधिकारी से वसूली जाए। कोर्ट ने यह भी कहा राज्य सरकार वसूली का प्रमाणपत्र कोट में पेश करेगी। यह रकम सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस को जाएगी। 

इस फैसले का दूरगामी असर है। क्योंकि केंद्र सरकार ने भी इसके कारण 36,998 करोड़ रुपये की सालाना बचत कर ली है, जो उसे राज्यों के शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करने के लिए देनी पड़ती। देश के हर राज्य में आरटीई की जरूरतों को पूरा करने के लिए शिक्षा मित्रों और नियोजित शिक्षकों (अस्थायी शिक्षकों) को रखा गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की इस दलील को स्वीकार किया बिहार में अब स्कूल से बाहर रह गए बच्चों का फीसदी एक रह गया है, जो दस साल पहले 12 था। कोर्ट ने कहा कि डाइंग कैडर के साथ वेतन बराबरी की बात नहीं की जा सकती। जो कैडर समाप्त हो रहा है उसके वेतन को आधार नहीं बनाया जा सकता।

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