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'फिर एक बार मोदी सरकार' इस नारे से एनडीए को मिल रही बड़ी राहत, जानिए वजह

इस लोकसभा चुनाव में एनडीए के पास सबसे बड़ा मुद्दा है कि इस बार भी मोदी सरकार। इस मुद्दे को लेकर एनडीए निश्चिंत है तो वहीं विपक्ष ने पीएम के चेहरे पर फैसला लेने में देर कर दी।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 10 May 2019 09:59 AM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 11:03 PM (IST)
'फिर एक बार मोदी सरकार'  इस नारे से एनडीए को मिल रही बड़ी राहत, जानिए वजह
'फिर एक बार मोदी सरकार' इस नारे से एनडीए को मिल रही बड़ी राहत, जानिए वजह

पटना [अरुण अशेष]। बिहार में चुनाव प्रचार की शुरुआत भले ही विकास के नाम पर हुई हो, लेकिन अंतिम तौर पर नरेंद्र मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने का मुद्दा ही कारगर साबित हो रहा है। यह एनडीए के हक में जाता नजर आ रहा है। पांच चरण के मतदान के समापन के बाद आखिर के दो चरण के चुनाव प्रचार में यही मुद्दा टिक गया है।

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छठे चरण में आठ सीटों पर 12 मई को मतदान होगा। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के क्षेत्र पूर्वी चंपारण में भी उसी दिन मतदान है। छठे चरण में प्रचारकों को खराब मौसम का सामना करना पड़ रहा है। नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने का मुद्दा एनडीए उम्मीदवारों को सीधा लाभ पहुंचा रहा है।

महागठबंधन ने कर दी देरी

पांच चरण का मतदान खत्म होने के बावजूद विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए किसी का नाम ठोस ढंग से प्रस्तावित नहीं किया गया। महागठबंधन के सबसे बड़े घटक दल राजद को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी में प्रधानमंत्री बनने की संभावना तब दिखी जब आधा चुनाव बीत चुका था।

समस्तीपुर के सभा मंच पर तेजस्वी ने इसका ऐलान किया। जबकि इससे पहले तेजस्वी को भी राहुल गांधी का नाम लेने से परहेज था। ढुलमुल सरकारें और बार-बार के चुनाव का तजुर्बा लोगों को मोदी के स्थायी शासन की ओर आकर्षित कर रहा है। उसमें भी बसपा प्रमुख मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के प्रधानमंत्री बनने की चर्चाएं राज्य के महागठबंधन विरोधी वोटरों को एनडीए के पाले में धकेल रही हैं।

 

एनडीए में दिख रही एकता, महागठबंधन में एकजुटता का अभाव

महागठबंधन के सभी दलों के नेता एक साथ प्रचार करने से बचने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि एनडीए अंतिमदौर में साझा अभियान पर जोर दे रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी अब एक ही मंच से भाषण दे रहे हैं।

उधर महागठबंधन के नेता कांग्रेसियों को अपने मंच पर यदाकदा ही जगह दे पाते हैं। अच्छी बात यह है कि छठे और सातवें चरण में एनडीए और महागठबंधन के उम्मीदवारों के बीच सीधा मुकाबला है। छठे चरण में बाल्मीकिनगर, पूर्वी एवं पश्चिमी चंपारण, शिवहर, वैशाली, गोपालगंज, सिवान और महाराजगंज में मतदान होना है।

पिछले चुनाव में वैशाली में लोजपा की जीत हुई थी। बाकी सात सीटें भाजपा के पास थी। गोपालगंज और सिवान की जीती हुई सीटें गठबंधन के तहत भाजपा ने जदयू को दे दीं। महागठबंधन में पूर्वी और पश्चिमी चंपारण रालोसपा के हिस्से में है। बाल्मीकिनगर में कांग्रेस के उम्मीदवार हैं। पांच सीटों पर जदयू लड़ रहा है।

विपक्षी दल के निशाने पर है राजद

राज्य में मुख्य विपक्षी दल राजद को केंद्र में रखकर एनडीए प्रचार कर रहा है। लड़ाई पिछले कई चुनावों की तरह सीधी है। इसमें राजद विरोधी वोटों की एकमुश्त गोलबंदी एनडीए की जीत में कारगर साबित होती रही है। यह सिलसिला 2005 के विधानसभा चुनाव से चल रहा है।

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद जेल में हैं। इसके बावजूद दोनों फरीकों के चुनावी मंच पर उनकी हाजिरी अनिवार्य है। दोनों सरकारों के हवाले से अपनी उपलब्धियां गिनाने के बावजूद भाजपा, जदयू और लोजपा के बड़े नेता लालू प्रसाद की चर्चा करना नहीं भूलते।

जनता को उनके शासन की याद दिलाकर सावधान किया जाता है कि महागठबंधन की जीत का मतलब पुराने जंगलराज की वापसी होगी। यह चुनाव भले ही केंद्र में सरकार बनाने के लिए हो रहा हो, फिर भी संदेश यही दिया जा रहा है कि मोदी की सरकार नहीं बनी तो राजद के लोग पुरानी संस्कृति में लौट सकते हैं।

महागठबंधन के केंद्र में हैं लालू 

यह तो एनडीए की बात हुई। महागठबंधन के सभी दल जो केंद्र सरकार की विफलताओं के नाम पर वोट मांग रहे थे, अब लालू प्रसाद के साथ हुई कथित ज्यादती के नाम पर वोट मांगने लगे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने अपने समर्थकों को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार साजिश के तहत लालू प्रसाद को जेल में रखे हुई है। उन्हें जेल से बाहर निकालने के लिए केंद्र में गैर-एनडीए सरकार का बनना जरूरी है। जवाब देने में एनडीए देरी नहीं कर रहा है।

 

 नीतीश-सुशील मोदी जनता को कर रहे आगाह

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भीड़ को बता रहे हैं कि लालू प्रसाद का जेल में रहना कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा है। इसमें केंद्र या राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं है। नीतीश कहते हैं- लालू प्रकरण में सरकारों को घसीटना संविधान का अपमान है।

महागठबंधन अपने वोटरों को नए खतरों के बारे में भी बता रहा है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव अपनी सभाओं में यह कहना नहीं भूलते कि मोदी फिर से सत्ता में आए तो चुनाव, संविधान और आरक्षण खत्म हो जाएंगे। उनके कथन पर वोटर कितना भरोसा कर रहे हैं, यह चुनाव परिणाम से ही जाहिर हो पाएगा।

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