Move to Jagran APP

समेकित कृषि में कम लागत, एक बीघे में 1.50 लाख कमाई

किसान अन्न उपजाते हैं। अन्न में ब्रह्मा का वास होता है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 08:27 PM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 08:27 PM (IST)
समेकित कृषि में कम लागत, एक बीघे में 1.50 लाख कमाई
समेकित कृषि में कम लागत, एक बीघे में 1.50 लाख कमाई

पटना। किसान अन्न उपजाते हैं। अन्न में ब्रह्मा का वास होता है। सरकार भी चिंतित है कि किसानों की आमदनी को कैसे दोगुना किया जाए। बदलते परिवेश में एकल खेती के बजाए समेकित खेती में लागत कम और आय अधिक हो सकती है। एक बीघा जमीन वाले किसान भी यदि समेकित कृषि करें तो मछली, अंडा, फल, सब्जी और अनाज से साल में 1.50 लाख रुपये तक कमाई कर सकते हैं। नीम, गो-मूत्र, तंबाकू की जड़, हरी खाद और अमरलता से जैविक कीटनाशी बना सकते हैं। दैनिक जागरण के संपादकीय महाअभियान के तहत शनिवार को दुल्हिनबाजार के काब में उक्त बातें पौधा संरक्षण के संयुक्त निदेशक डॉ. प्रमोद कुमार ने कहीं।

loksabha election banner

फसल या फल-सब्जी पर किसी भी कीट को देखते ही रासायनिक कीटनाशी छिड़कने लगते हैं। इससे फसल के मित्र कीट भी मारे जाते हैं। किसी किटनाशी का 100 ग्राम उपयोग करते हैं तो पौधा सिर्फ दो ग्राम ग्रहण करता है। शेष 98 ग्राम हमारे वातावरण, जमीन और पानी को खराब करता है। चिंतन का विषय है कि आखिर गांव-गांव में कैंसर के मरीज क्यों मिल रहे हैं? मूल वजह रासायनिक उर्वरक और कीटनाशी हैं। किसान भाई देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। किसान हैं तो नौकरी है। किसान जिस दिन अन्न उपजाना बंद कर देंगे तो जीवन ठप हो जाएगा। बच्चों को भी खेती की परंपरा से जुड़े रहने की जरूरत है। नौकरी छोड़कर भी लोग खेती करने आ रहे हैं। कॉरपोरेट कंपनियां किसानों की उपज पर चल रही है।

जलवायु परिवर्तन हो रहा है और जैविक फल, सब्जी और अनाज के लिए लोग मुंहमांगा दाम दे रहे हैं। आज प्रबंधन की नौकरी छोड़कर युवा आधुनिक तरीके से खेती करने गांव लौट रहे हैं। समेकित खेती एक फसल का अपशिष्ट दूसरे फसल के लिए पोषक और उर्वरक के उपयोग में आता है। तालाब में बत्तख पालें तो मछली को आहार मिलेगा। मछली के अपशिष्ट युक्त पानी से मेड़ पर सब्जी की सिंचाई करें तो उर्वरक बचेगा। गाय का गोबर मछली और पेड़-पौधे की खुराक बनेगा। फसल की डंठल और हरी घास गाय का आहार बनेगी। समेकित कृषि को कॉस्ट कट कल्टिवेशन कहा जाता है। फूल की खेती भी कर सकते हैं। समेकित खेती का मतलब किसानों को सालो भर किसी न किसी फसल से नकद आय हो सके। लाही व भुआ पिल्लू होंगे नष्ट

किसान भाई अपने घर में कपड़ा धोने के बाद जो डिटर्जेट का पानी नाली में बहाते हैं, उसे कीटनाशी के रूप में उपयोग कर देखें। कपड़ा धोने के बाद डिटर्जेट युक्त पांच लीटर पानी को 15 लीटर बनाकर सरसों, सेम या अन्य फल-सब्जी पर छिड़काव करें। इससे फसल को चूसने वाले कीट जैसे भुआ पिल्लू और लाही खत्म हो जाएंगे। कीटनाशी का खर्च बचेगा और पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होगा। इसे कहते हैं कॉस्ट कट कल्टीवेशन। खर्च कम होगा तो आय बढ़ेगी। सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने की दिशा में काम कर रही है। और भी हैं जैविक कीटनाशी

खेती में लागत कम करने के और भी उपाय हैं। नीम की पत्ती, नीम के बीज, तंबाकू की जड़ और अमरलता से जैविक कीटनाशी घर में बना सकते हैं। अमरलता को पानी में खौलाकर काढ़ा बनाएं और एक लीटर काढ़ा में पांच लीटर पानी मिलाकर कीटनाशी के रूप में छिड़काव करें। इसी तरह तंबाकू की जड़ का काढ़ा बनाकर एक लीटर में 10 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें। आपके गांव में गो-मूत्र सुलभ है। एक लीटर गो-मूत्र को 15 लीटर पानी में फसल पर छिड़काव कर देखें तो रासायनिक कीटनाशी पर खर्च बचेगा। नीम के बीज की खल्ली बनाकर खेतों में छिड़काव करें तो कीटनाशी का काम करेगा। मिट्टी जांच के कई फायदे

किसान भाई फसल लगाने के पहले मिट्टी जांच करा लें तो पता चल जाएगा कि नाइट्रोजन की कमी है या फास्फोरस की। अम्ल है या नहीं। जांच नहीं कराने के कारण जो तत्व अधिक होते हैं, उसे अधिक डालते हैं और कमी वाले तत्वों की भारपाई नहीं होने से फसल प्रभावित होती है। खेती के बारे में कोई भी जानकारी किसान कॉल सेंटर से ले सकते हैं। 100 रुपये में किसान डायरी मिलती है, जिसमें कृषि विभाग के सभी पदाधिकारियों का नंबर है। किसी समय कॉल कर जानकारी या शिकायत कर सकते हैं। खेतों में डालें हरी खाद

खेतों में बिना कोई अतिरिक्त लागत के हरी खाद डाल सकते हैं। गर्मा मूंग की फसल लगाएं और 70-75 दिनों में फल तोड़कर जुताई कर दें। मूंग की डंठल और पत्ती खेत में हरी खाद का काम करेगी। यदि खेत खाली है तो ढ़ैचा लगा दें। मानसून के पहले जुताई कर दें तो खरीफ फसल के लिए हरी खाद का काम करेगा। सूखाग्रस्त क्षेत्र की निगरानी

सूखाग्रस्त क्षेत्र के लिए सरकार ने आकलन कमेटी बना दी है। नियंत्रण कक्ष बना दिया गया है। अधिकारियों का धावा दल गठित किया गया है। किसान ऑनलाइन सूखा राहत के लिए आवेदन करें। आवेदन में उतनी जमीन दर्ज करें, जिसका कागज आपके पास हो। यदि बटाइदारी करते हैं कि भू-स्वामी के जमीन का कागज अपलोड करें। किसानों के बैंक खाते में इनपुट भुगतान हो, इसकी मॉनिटर¨रग के लिए धावा दल को शिकायत की जांच का जिम्मा दिया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.