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बच्चों के लिए अपने व्यवहार में लाएं परिवर्तन, दोस्त बनकर रोकें अपराध की प्रवृति

समाज कल्याण विभाग द्वारा पटना के शास्त्रीनगर में प्रशिक्षु आइपीएस अधिकारियों ने बाल अपराध से जुड़े मनोविज्ञान की जानकारी ली। इस दौरान उन्हें बच्चों से व्यवहार की तरीके बताए गए।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 07:50 PM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 07:50 PM (IST)
बच्चों के लिए अपने व्यवहार में लाएं परिवर्तन, दोस्त बनकर रोकें अपराध की प्रवृति
बच्चों के लिए अपने व्यवहार में लाएं परिवर्तन, दोस्त बनकर रोकें अपराध की प्रवृति

पटना, जेएनएन। बिहार पुलिस अकादमी और सारथी संस्था के संयुक्त तत्वावधान में समाज कल्याण विभाग द्वारा शास्त्रीनगर में संचालित 'अपना घर परिसर में प्रशिक्षु आइपीएस अधिकारियों ने बाल अपराध से जुड़े मनोविज्ञान की जानकारी ली। प्रशिक्षु अफसरों को मनोवैज्ञानिक ने किशोरों में अपराध की प्रवृत्ति रोकने और उन्हें भटकी हुई दिशा से वापस समाज की मुख्य धारा से जोडऩे के तरीकों के बारे में जानकारी दी। इस दौरान सब्जी नहीं देने पर नाबालिग को लुटेरा बता जेल भेजने की घटना पर भी विस्तृत रूप से चर्चा की गई।

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मनोवैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि 18 साल की उम्र से कम आयु के किशोरों में पनप रही आपराधिक प्रवृत्ति को बढऩे से रोका जा सकता है। इसके लिए पहले किशोरों के मन को समझना पड़ेगा। अक्सर देखा गया है कि छोटी-मोटी घटनाओं में भी पकड़े गए किशोरों के साथ थाने में पुलिसकर्मी अपराधियों जैसा व्यवहार करते हैं। इससे उनमें आक्रोश और बढ़ता है।

यदि पुलिस उनके साथ दोस्ताना व्यवहार करे तो वे मन में चल रही उधेड़बुन से बाहर निकल जाएंगे। दोबारा गलत राह पर न जाएं, इसके लिए उनकी काउंसलिंग करानी चाहिए। प्रशिक्षण के दौरान किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधनों को लागू होने में आने वाली कठिनाइयों पर भी चर्चा की गई। इस कार्यक्रम में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष तारकेश्वर सिंह भी उपस्थित थे।


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