बिहार: CAG की रिपोर्ट में खुलासा, एक हजार 835 करोड़ की हुई है वित्तीय गड़बड़ी
सीएजी ने वित्तीय वर्ष 2016-17 से संबंधित रिपोर्ट सदन में पेश किया, जिसमें एक हजार 835 करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ी सामने आयी है, जो राजस्व का 7.02 प्रतिशत है।
पटना, जेएनएन। बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के चौथे दिन सदन के पटल पर सीएजी, महालेखाकार की वित्तीय वर्ष 2016-17 से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी, जिसमें वाणिज्य कर, भू-राजस्व, परिवहन, उत्पाद एवं निबंधन विभाग से जुड़े चुनिंदा दस्तावेजों की जांच की गयी। इसमें एक हजार 835 करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ी सामने आयी है, जो राजस्व का 7.02 प्रतिशत है।
इससे संबंधित विभागों ने एक हजार 244 करोड़ की गड़बड़ी को मानते हुए 13 करोड़ 78 लाख की वसूली की है।इसके अलावा वाणिज्य कर, राजस्व एवं भूमि सुधार, परिवहन कर, निबंधन और स्टांप ड्यूटी से वसूल होने वाले राजस्व का अवलोकन किया गया।
इसमें पाया गया कि संबंधित विभागों की लापरवाही और कहीं-कहीं कुछ स्तर पर गड़बड़ी की वजह से चार हजार 550 करोड़ रुपये कम का राजस्व वसूला गया। संबंधित विभागों ने माना कि कर निर्धारण और वसूली में गड़बड़ी के कारण एक हजार 320 करोड़ रुपये की गड़बड़ी हुई है।
इसमें कार्रवाई करते हुए विभागों ने 29 करोड़ 63 लाख रुपये की वसूली भी की है। इसके अलावा कई तरह के उद्योगों और खनन करने वाली कंपनियों पर छह हजार 327 करोड़ का बकाया है। ये राजस्व संबंधित संस्थानों से वसूली नहीं की जा सकी है। इसमें 801 करोड़ रुपये ऐसे हैं, जो पिछले पांच साल से बकाया हैं। इन रुपयों की वसूली आज तक संबंधित विभाग नहीं कर पाये हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान राज्य सरकार को सभी मदों और संसाधनों से एक लाख पांच हजार 584 करोड़ रुपये राजस्व के रूप में प्राप्त हुए थे। इसमें राज्य सरकार ने अपने स्तर पर 26 हजार 143 करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह किया था, जो कुल राजस्व का 24.76 प्रतिशत है।
वहीं, केंद्र सरकार से 79 हजार 439 करोड़ रुपये प्राप्त हुए हैं और इसमें 58 हजार 880 करोड़ रुपये राज्य को केंद्रीय टैक्स पुल से हिस्सेदारी के रूप में प्राप्त हुई थी।
शराबबंदी और नोटबंदी का असर राजस्व के संग्रह पर पड़ने की वजह से ही वित्तीय वर्ष 2016-17 में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में कम राजस्व संग्रह हो पाया था। रिपोर्ट में अहम बात कही गयी है कि वित्त एवं राजस्व विभाग ने कर संग्रह और राजस्व बकाये से संबंधित डाटाबेस ही तैयार नहीं किया है। इसका डाटाबेस तैयार करना अनिवार्य है।