संप हाउस हादसा : 60 के दशक में बनी श्रीकृष्णापुरी कॉलोनी और नाला
राजधानी के सुनियोजित विकास के लिए नगर निगम की स्थापना के बाद 1955 में पटना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट की स्थापना हुई थी।
पटना । राजधानी के सुनियोजित विकास के लिए नगर निगम की स्थापना के बाद 1955 में पटना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट (पीआइटी) का गठन किया गया था। श्रीकृष्णापुरी आवासीय कॉलोनी और एएन कॉलेज के लिए 1956 में राजापुर और मैनपुरा मौजे की भूमि अर्जित की गई थी। कॉलोनी के साथ सड़क और नाला का निर्माण 60 के दशक में पूरा हुआ। बदलते समय के साथ आवासीय कॉलोनी व्यावसायिक क्षेत्र में बदल गई और लोग नक्शा विचलित कर बहुमंजिली इमारत बनाते चले गए। नक्शा विचलन और अतिक्रमण कर श्रीकृष्णापुरी में हुए निर्माण के कारण नाले में गिरे दीपक की खोज में बाधा आई है।
पटना शहर के पहले मास्टर प्लान बनाने की जिम्मेदारी भी पटना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट को ही दी गई थी। आवासीय कॉलोनी, औद्योगिक क्षेत्र, व्यावसायिक क्षेत्र, नाला और रोड का प्लान 1965 में बनकर तैयार हुआ, लेकिन अमल नहीं हुआ। 1977 में पटना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट भंग कर दी गई और पटना क्षेत्रीय विकास प्राधिकार का गठन कर उसे शहरी विकास के प्लान की जिम्मेदारी सौंप दी गई।
श्रीकृष्णापुरी मोहल्ले के जिस नाले में दीपक की खोज हो रही है उसका निर्माण 1962 में हुआ था। पटना क्षेत्रीय विकास प्राधिकार के टाउन प्लानर रहे आरपी श्रीवास्तव के अनुसार राजेन्द्र नगर और एसकेपुरी के लिए जमीन एक साथ ली गई थी। राजेन्द्र नगर पहले तैयार हुआ। 1962 में एसकेपुरी कॉलोनी तैयार हुई और लोग बसने लगे। पटना शहरी क्षेत्र में नाला और संप हाउस की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के जिम्मे रही है। बाद में बिहार राज्य जल पर्षद का गठन किया गया। नाले की सफाई नगर निगम करता रहा है, क्योंकि यहा मैनहोल में घुसकर सफाई करने वाले विशेषज्ञ कार्यरत थे।
शहर में अनियोजित निर्माण का आलम यह है कि लोगों ने नाले पर कब्जा कर उसपर घर बना लिया है। नतीजा यह रहा कि सफाई का काम भी बंद हो गया। श्रीकृष्णापुरी से पुनाईचक के बीच रेलवे लाइन के किनारे जहां नाले में दीपक गिरा है उसकी सफाई कब हुई, कोई बताने वाला नहीं है। आरंभ बिंदु पर ही दो-दो मकान बन गए। शेष हिस्सा पीसीसी रोड से ढक चुका है।
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: दीपक के गिरने के बाद घेराबंदी :
पटना : दीघा रेलखंड के नीचे से होकर बहने वाले नाला आरंभ से ही खुला था। पुनाईचक और श्रीकृष्णापुरी के बीच लोग इस नाले से होकर आते-जाते थे। दीपक के इस नाले में गिरने के बाद सोमवार को आनन-फानन में रास्ते की बैरिकेडिंग और प्लास्टिक शीट से घेराबंदी शुरू की गई। श्रीकृष्णापुरी में श्रीकांत शर्मा और धर्मदेव प्रसाद के मकान के बीच से लोग आते-जाते थे, उसे बंद कर दिया गया।
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