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गरीबों के लिए वरदान है रेडक्रॉस की ये मुहिम, अब नहीं होगी चश्मे की दिक्‍कत

रेडक्रॉस सोसाइटी ने गरीबों को चश्‍मा देकर उनकी जिंदगी में रोशनी करने की अनोखी मुहिम शुरू की है। इस मुहिम में आप भी भागीदार हो सकते हैं। जानिए कैसे।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 11 Oct 2018 07:20 PM (IST)Updated: Thu, 11 Oct 2018 11:31 PM (IST)
गरीबों के लिए वरदान है रेडक्रॉस की ये मुहिम, अब नहीं होगी चश्मे की दिक्‍कत
गरीबों के लिए वरदान है रेडक्रॉस की ये मुहिम, अब नहीं होगी चश्मे की दिक्‍कत

पटना [अनिल सिंह झा]। आंखों की मंद पड़ती ज्योति को फिर से जलाकर गरीबों का जीवन रोशन करने की अनूठी पहल में लगी है रेडक्रॉस  सोसाइटी। इस पहल से हर आम और खास को जोड़ते हुए रेडक्रॉस ने 'चश्मा तो दान करो' मुहिम छेड़ी है। बाबा की वो आंखें जो दुनिया देखना चाहती हैं ... अम्मा की वो आंखें जो किसी तरह से जीवन बसर करने के लिए दो डेग आगे बढऩा चाहती हैं...इनकी सुध अब रेडक्रॉस ले रहा है। रेडक्रॉस इस अभियान के तहत पुराने चश्मे को दान में लेगी और इसे प्रयोग लायक बनाकर जरुरतमंदों को मुहैया कराएगी।

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लाखों लोग चश्मा खरीद पाने में असमर्थ
राष्ट्रीय अंधापन कार्यक्रम के तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को नि:शुल्क आंखों की जांच एवं चश्मा देने का प्रावधान है। सरकारी अस्पताल में नि:शुल्क आंखों की जांच तो हो जाती है, लेकिन चश्मा बाहर से बनवाना पड़ता है। प्राइवेट में जांच कराने एवं चश्मा बनवाने में कम से कम दो हजार से ढाई हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। यह राशि दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करने वालों के लिए बहुत बड़ी होती है।

चश्मा के अभाव में बढ़ती जाती दृष्टि दोष की समस्या
सरकारी या स्वयंसेवी संगठन के शिविर में निश्शुल्क नेत्र की जांच कराने के बाद पैसे के अभाव में बड़ी संख्या में लोग चश्मा नहीं खरीद पाते हैं। इससे समस्या बढ़ती जाती है और आंखों की रोशनी समाप्त हो जाती है। इससे हजारों लोग ताउम्र अंधेपन की समस्या से जूझते रहते हैं। 

15 अगस्त को शुरू की मुहिम
रेडक्रॉस बिहार शाखा के अध्यक्ष डॉ. विनय बहादुर सिन्हा ने बताया कि रेडक्रॉस में आंखों की जांच  50 रूपये एवं चश्मा के लिए 250 रूपये लिए जाते हैं। यह राशि भी बहुत से लोग देने में असमर्थ होते हैं। तब पुराने चश्मे को आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को उपलब्ध कराने का विचार आया।
15 अगस्त के बाद रेडक्राॅस में आंखों की जांच कराने वालों से पुराना चश्मा दान करने की अपील की गई। प्रचार के लिए बैनर लगाए गए, पुराना चश्मा देने को एक बॉक्स भी रख दिया गया। चश्मा दान करने वालों का नाम व पता लिखने के लिए रजिस्टर भी रखा गया है। रोजाना दान में चार से पांच पुराने चश्मे आ जाते हैं। चार सौ से अधिक पुराना चश्मा जमा हो जाने का अनुमान है। सभी जिला शाखाओं में भी जल्द ही चश्मा दान की मुहिम शुरू की जाएगी।    

पुराने चश्मे के पार्ट्स का होगा इस्तेमाल
जिस चश्मे को लोग बेकार समझ कर फेंक देते हैं उसका एक-एक पार्ट जरूरतमंद के काम की चीज साबित होगी। चश्मे के फ्रेम को मरम्मत करा दोबारा इस्तेमाल के लायक बनाया जाएगा। लेंस और यहां तक कि स्क्रू को भी इस्तेमाल में लाया जाएगा।


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