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बिहार का एक गांव जहां स्मार्टफोन के नाम से सिहर रहे लोग, टूट रहीं शादियां

बिहार के एक गांव के कुछ राह भटके किशोरों ने ऐसी करतूत कर डाली कि वहां की पूरी पढ़ी सजा भुगत रही है। साथ ही ग्रामीण अब स्‍मार्टफोन का नाम तक लेना नहीं चाहते।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 10 Oct 2018 06:32 PM (IST)Updated: Thu, 11 Oct 2018 11:26 PM (IST)
बिहार का एक गांव जहां स्मार्टफोन के नाम से सिहर रहे लोग, टूट रहीं शादियां
बिहार का एक गांव जहां स्मार्टफोन के नाम से सिहर रहे लोग, टूट रहीं शादियां

पटना [राजीव रंजन]। आपको जानकर हैरत होगी, लेकिन सूचना क्रांति के इस युग में भी बिहार का एक गांव ऐसा है जहां लोग स्‍मार्टफोन का नाम सुनकर सिहर जाते हैं। मामला राह भटके कुछ किशोरों द्वारा मोबाइल के सहारे किए गए ऐसे अपराध का है, जिसने पूरे प्रदेश में भूचाल ला दिया था। इसकी सजा पूरी पीढ़ी भुगत रही है। इस करतूत के कारण वे किशोर रिमांड होम व जेलों में बंद हैं तो परिजन खेती-बारी का काम छोड़ प्रतिदिन कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं। गांव की निर्दोष बेटियों की तय शादियां भी टूटने लगी हैं।
यह है मामला
मामला जहानाबाद जिला मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर स्थित भरथुआ गांव का है। यह गांव गत 25 अप्रैल को अचानक सुर्खियों में आ गया था। गांव के ही कुछ नाबालिग बच्चों ने पड़ोस के गांव की एक स्कूली लड़की के साथ न केवल छेडख़ानी की, बल्कि उसका वीडियो बनाकर फेसबुक पर अपलोड कर दिया था। छेडख़ानी का यह वीडियो जंगल की आग की तरह वायरल हो गया। फिर तो वहीं हुआ, जो अाप सोच रहे हैं। तीन दिनों बाद एक रात जहानाबाद पुलिस ने पूरे गांव को घेरकर घटना के आरोप में 13 किशोरों को गिरफ्तार कर जेल या रिमांड होम भेज दिया।

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पुलिस आई तब पता चली किशोरों की करतूत
गांव में इन किशोरों की करतूत का कोई पता नहीं था। ग्रामीण कुणाल बताते हैं कि जिन्‍होंने छेडख़ानी का वीडियो बनाकर फेसबुक पर अपलोड किया था, उन्हें परिणाम की भनक तक नहीं थी। घटना के तीन दिनों बाद जब पुलिसिया एक्शन शुरू हुआ तब ग्रामीणों को अपने बच्चों की इस खुराफात का पता चला।

पुलिस ने अपने स्‍तर पर की कार्रवाई
वीडियो ने जहानाबाद जिला मुख्‍यालय से लेकर पटना तक तूफान खड़ा कर दिया। मामले को राज्‍य की कानून व्‍यवस्‍था व लड़कियों की सुरक्षा से जोड़कर देखा जाने लगा। इसके बाद हरकत में आई पुलिस अपने स्‍तर से जांच कर घटना की तह तक पहुंच गई। पुलिस ने पीडि़त लड़की से भी संपर्क किया और पूरा मामला उजागर हो गया।

रिमांड होम की जगह जेल भेजे गए तीन नाबालिग
ग्रामीण कहते हैं कि अगर किसी ने अपराध किया है तो उसे जरूर सजा मिले। लेकिन, मनमानी न हो। वे बताते हैं कि घटना के 13 आरोपितों में केवल एक नवास पासवान की उम्र ही 18 साल है। वह दमन में मजदूरी करता था। उसी के मोबाइल से छेडख़ानी का वीडियो बनाकर वायरल किया गया था। उसे जेल भेज दिया गया है। लेकिन उसके साथ तीन और नाबालिग भी रिमांड होम की जगह जेल भेजे गए हैं। ग्रामीणों को उन तीन नाबालिग बच्चों की चिंता है, जिन्हें पुलिस ने जेल भेज दिया है। ग्रामीणाें के अनुसार कुछ आरोपित बच्चे तो नौ साल तक के हैं।

कुख्‍यातों की संगत में कहीं पेशेवर अपराधी न बन जाएं ये किशोर
गांव के राजू यादव (काल्‍पनिक नाम) बताते हैं कि उनका 14 वर्ष का बेटा जहानाबाद के काको मंडल जेल में बंद है। कहते हैं कि वे बार-बार पुलिस से आग्रह करते रहे कि उनका बेटा नाबालिग है, लेकिन पुलिस ने रिमांड होम की जगह जेल भेज दिया। ऐसे दो और नाबालिग भी रिमांड होम की जगह जेल भेज दिए गए हैं। ग्रामीणों को चिंता सता रही है कि छेडख़ानी के आरोपी बच्चे जेल में बंद कुख्यात अपराधियों के संपर्क में आकर कहीं पेशेवर अपराधी न बन जाएं।

चार्जशीट व ट्रायल की बात कह एसपी ने झाड़ा पल्‍ला
ग्रामीण कहते हैं कि उन्होंने जहानाबाद के एसपी मनीष से इस संबंध में कई बार गुहार लगाई। उनकी जन्मतिथि के प्रमाण भी पेश किए। लेकिन न्याय नहीं मिला। एसपी मनीष यह कहकर पल्‍ला झाड़ लेते हैं कि इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दिया गया है और ट्रायल शुरू हो चुका है। यदि ग्रामीणों को किसी तरह की आपत्ति है तो वह कोर्ट से गुहार लगा सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि नाबलिग को जेल में रखने में पुलिस अनुसंधान कहां तक जिम्‍मेदार है।

गांव में कटने लगी बेटियों की शादियां
गांव के राजू यादव बताते हैं कि उनकी बेटी की बारात 11 मई को आने वाली थी। लेकिन बेटे की गिरफ्तारी के बाद लड़के वालों ने शादी काट दी। यह कहानी गांव के किसी एक घर की नहीं है। अब तो गांव वालों ने तबतक अपनी बेटियों के लिए वर ढूंढने का काम बंद कर दिया है जबतक उनके बेटों की रिहाई नहीं हो जाती।

स्‍मार्टफोन का नाम नहीं सुनना चाहते ग्रामीण
गांव के लोग अपने बेटों की गलती मानते हैं, लेकिन उनका गुस्‍सा मोबाइल फोन पर भी है। कहते हैं, ये न होता तो बच्‍चे कोर्ट-कचहरी के बदले स्‍कूल जा रहे होते, रिमांड होम के बदले घरों में रहते। गांव की बेटियों की शादियां भी नहीं कटतीं। गांववाले अब स्‍मार्टफोन का नाम तक सुनना नहीं चाहते। हालांकि, गांव के कुछ शिक्षित लोग उन्‍हें समझाते हैं कि गलती स्‍मार्टफोन की नहीं, उसके दुरुपयोग की है।


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