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AK-47 से पूर्व मेयर की हत्या, शहर का रहा है एेसा आपराधिक इतिहास, जानिए

रविवार की शाम मुजफ्फरपुर के पूर्व मेयर समीर कुमार की एके 47 से हत्‍या कर दी गई। मुजफ्फरपुर शहर के लिए ऐसी वारदात नई नहीं है। वहां पहले भी एेसी हत्याएं हो चुकी हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 24 Sep 2018 10:25 AM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2018 11:47 PM (IST)
AK-47 से पूर्व मेयर की हत्या, शहर का रहा है एेसा आपराधिक इतिहास, जानिए
AK-47 से पूर्व मेयर की हत्या, शहर का रहा है एेसा आपराधिक इतिहास, जानिए

पटना [काजल]। बिहार पुलिस के अपराध नियंत्रण के दावे को धता बताते हुए अपराधी सरेआम बड़ी घटनाओं को अंजाम देकर भाग निकल रहे हैं। शुक्रवार को पटना के कोतवाली थाने से मात्र सौ मीटर की दूरी पर बाइक सवार अपराधियों ने सिवान के पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन के शूटर मो. तबरेज उर्फ तब्बू की दिनदहाड़े हत्या कर दी। इसकी सनसनी अभी कायम ही थी कि रविवार की शाम मुजफ्फरपुर में पूर्व मेयर समीर कुमार को एके 47 से भून दिया गया।
मुजफ्फरपुर की बात करें तो वहां का अतीत ऐसी वारदातों से दागदार रहा है। अतुल शाही, हेमंत शाही व छोटन शुक्‍ला की हाई प्राेफाइल हत्‍याओं से ये शहर पहले भी दहलता रहा है। गैंग वार का इतिहास समेटे इस शहर में एके-47 रायफलें पहले भी गरजतीं रहीं हैं।

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समीर के शरीर से निकलीं 16 गोलियां, ड्राइवर को मारी थीं 11 गोलियां
रविवार को अपराधियों ने मुुजफ्फरपुर में बड़ी घटना को अंजाम देकर पुलिस को चुनौती दी। उन्‍होंने मुजफ्फरपुर के पूर्व मेयर समीर कुमार की गाड़ी को घेरकर एके 47 से ताबड़तोड़ फायरिंग की। कार में बैठे समीर व उनक ड्राइवर के शरीर गोलियों से छलनी हो गए। पोस्टमार्टम में समीर के शरीर से कुल 16 गोलियां निकाली गईं, जबकि ड्राइवर को भी 11 गोलियां मारी गईं थीं। पुलिस के अनुसार इस हत्या को नौ अपराधियों ने अंजाम दिया है। हत्या की वजह प्रॉपर्टी डीलिंग बताई जा रही है। 

पुलिस की लापरवाही के लग रहे आरोप
गोलीबारी की घटना रविवार की शाम करीब साढ़े छह बजे की बताई जा रही है। घटना के बाद स्‍थानीय लोगों की भीड़ जुटी। करीब आधा घंटे बाद नगर थानेदार मौके पर पहुंचे। भीड़ को हटाते हुए शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। इस दौरान कुछ समय के लिए स्थानीय लोग उग्र होकर थानेदार के विरुद्ध हंगामा करने लगे। इसके बाद नगर डीएसपी ने मौके पर पहुंचकर जांच की।
आश्चर्य की बात तो यह है कि शहर में एके 47 से हत्या की घटना को भी पुलिस के वरीय अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया। घटना के करीब तीन घंटे बाद एसएसपी हरप्रीत कौर मौके पर पहुंची। रात साढ़े दस बजे जोनल आइजी सुनील कुमार घटनास्थल पर पहुंचे। सभी अधिकारियों ने सीसीटीवी के फुटेज खंगाले।

आइजी व एसएसपी ने एक निजी विद्यालय में लगे सीटीवीटी के फुटेज देखे। अपराधियों की पहचान के लिए स्कूल के प्राचार्य से देर तक पूछताछ भी की गई। मोहल्ले के लोगों से भी टोह ली जाती रही। कुछ लोगों ने क्रिकेट देखने का बहाना बनाया, तो कुछ ने पुलिस को बताने से परहेज किया।
दो साल पूर्व उनका बॉडीगार्ड हटा लिया गया था
पूर्व मेयर समीर कुमार के करीबियों की मानें तो पुलिस ने करीब दो साल पूर्व उनका बॉडीगार्ड हटा लिया था। इसके बाद समीर कुमार ने कई बार एसएसपी से भी इसकी शिकायत की थी। लेकिन, हमेशा सुरक्षा ऑडिट के बाद बॉडीगार्ड उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया जाता रहा था। .
शहर के लिए नई नहीं ऐसी वारदात
दरअसल, मुजफ्फरपुर में ऐसी वारदात नई नहीं है। प्रोपर्टी डीलिंग में खूनी खेल लगभग दो दशक पहले शुरू हो गया था। हां, पिछले 10 वर्षों में प्रोपर्टी डीलिंग से जुड़ी आपराधिक वारदातों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। सबसे बड़ी बात है कि सबसे अधिक एके 47 प्रोपर्टी विवाद में ही गरजे हैं। इसका ताजा उदाहरण समीर कुमार की हत्या है। 

दो साल पहले अतुल शाही हत्याकांड के वक्त भी समीर कुमार पर हमले की साजिश रची गई थी। इस हत्‍या को भी ठीक उसी तरह अंजाम दिया गया है। मुजफ्फरपुर में बाहुबली विधायक हेमंत शाही, छोटन शुक्ला, जी कृष्णैया और बृज बिहारी के बाद समीर की हत्या ने एक बार फिर मुजफ्फरपुर को दहला दिया है।

 

2016 में ठीक एेसे ही हुई थी अतुल शाही की हत्या
2016 में ठेकेदार अतुल शाही की हत्या मिठनपुरा थाना के वीसी लेने में अंजनी ठाकुर गिरोह ने कर दी थी। ठेकेदार हत्याकांड को भी बाइक सवार अपराधियों ने अंजाम दिया था। इससे पुलिस को आशंका है कि पूर्व मेयर समीर कुमार के हत्या में भी उक्त गिरोह का हाथ हो सकता है। इस बिंदु पर भी पुलिस की विशेष टीम छानबीन में जुटी है। .

1992 में हुई थी हेमंत शाही की हत्या
मुजफ्फरपुर के सांसद रहे कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री एलपी शाही के इकलौते पुत्र और वैशाली के तत्कालीन विधायक हेमंत शाही की हत्या से पूरे देश में खलबली मच गई थी। कई दिनों तक इस हत्या की खबर सुर्खियों में रही थी। बता दें कि मुजफ्फरपुर से सटे वैशाली जिला के गोरौल अंचल कार्यालय में एक मेले के टेंडर को लेकर हुए विवाद में उनकी हत्या कर दी गई थी।

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1994 का छोटन शुक्ला हत्याकांड  
छोटन शुक्ला की चार दिसंबर 1994 को रात के लगभग नौ बजे संजय सिनेमा के पास ओवरब्रिज पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसी तरह उनकी गाड़ी पर अपराधियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर उन्हें भी मौत की नींद सुला दिया था। छोटन शुक्ला की मौत के बाद सनसनी फैल गई थी। 

मिठनपुरा में गरज चुकीं एके 47
नगर थाना क्षेत्र से सटे मिठनपुरा इलाके में भी पहले भी एके-47 गरज चुकी है। कांटी थाने के वीरपुर निवासी ठेकेदार अतुल शाही को भी एके-47 से भून दिया गया था। इसके अलावा मिठनपुरा के चतुर्भुज स्थान-तीनकोठिया इलाके में मोतिहारी के राम प्रवेश की हत्या हुई थी। काफी अरसे बाद एके 47 की तड़तड़ाहट से एक बार फिर मिठनपुरा व इसके सीमावर्ती इलाके दहल उठे।


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