तीन बदमाशों के पास हैं लूट के 16 लाख रुपये के सिक्के, पुलिस कर रही तलाश Patna News
नौबतपुर के पितवास के पास 15 जुलाई की रात निजी कंपनी के रिस्क मैनेजर और चालक को बंधक बनाकर सिक्कों की लूट हुई थी।
By Edited By: Published: Fri, 09 Aug 2019 10:44 PM (IST)Updated: Sat, 10 Aug 2019 10:06 AM (IST)
पटना। नौबतपुर के पितवास के पास 15 जुलाई की रात निजी कंपनी के रिस्क मैनेजर और चालक को बंधक बनाकर पिकअप वैन सहित 18.41 लाख रुपये मूल्य के सिक्कों की लूट मामले में बेउर के तत्कालीन थानेदार सहित पांच पुलिसकर्मी और लूट में शामिल बदमाश व उनके शरणदाता दस आरोपितों को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। लेकिन लूट के 16 लाख रुपये मूल्य के सिक्के अभी तक बरामद नहीं हो सके हैं। इस मामले में पुलिस ने लूटी गई पिकअप वैन और इस्तेमाल कार को भी बरामद कर लिया है। लेकिन, सवाल यह है कि आखिर सिक्के किसके पास हैं। पुलिस की मानें तो लूटकांड में शामिल तीन बदमाश फरार हैं। इसमें एक अनुज है। पुलिस के अनुसार बाकी के सिक्के फरार अनुज व उसके दो अन्य साथियों के पास ही हैं। नहीं हुआ था सिक्कों का बंटवारा, तीन गाड़ी का इस्तेमाल सिक्कों की लूट के दौरान बोलरो और एक कार में सवार होकर बदमाश आए थे। लूट के बाद करीब 20 किमी. आगे बढ़ने पर सिक्कों को कार व बोलेरो में लोड किया गया था। कुछ बदमाश खाली पिकअप वैन लेकर बख्तियारपुर की तरफ भागे, जबकि कार सवार बदमाश बेउर थाना क्षेत्र की तरफ निकले और बाकी के बदमाश बोलेरो में सवार हो चले गए। घटना की रात ही बेउर थाने की गश्ती टीम ने कार में सवार तीन बदमाशों को पकड़ लिया था। उस समय दो लाख रुपये मूल्य के सिक्के भी मिले, लेकिन बेउर थाने की पुलिस ने रिश्वत लेकर बदमाशों को छोड़ दिया था। हालांकि बाद में एसआइटी ने वारदात में इस्तेमाल कार और उसमें सवार तीनों बदमाशों को दो लाख मूल्य के सिक्कों के साथ गिरफ्तार किया। साथ ही बेउर के तत्कालीन थानेदार सहित पांच पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इस मामले में पिकअप वैन चालक ही मास्टरमाइंड निकला। पुलिस ने उसकी निशानदेही पर छह अन्य बदमाशों और उन्हें शरण देने वालों को भी दबोचा था। पांच दिन पूर्व लूट में शामिल एक और बदमाश मूंगा गोप को पुलिस ने नौबतपुर के चिरौता से गिरफ्तार किया था। उसने पूछताछ में बताया कि सिक्का अनुज और उसके दो अन्य साथियों के पास है। गिरोह ने अभी सिक्कों का बंटवारा नहीं कर सका था, इसी बीच कई की गिरफ्तारी हो गई। अनुज व उसके दोनों साथियों का मूंगा ने मोबाइल नंबर भी दिया, लेकिन वह नंबर बंद है। लूट के बाद भी दूसरे थानों की पुलिस पर नहीं पड़ा फर्क पुलिस का दावा है कि वारदात के बाद वायरलेस के जरिए जिले के सभी थानों को लूट की पिकअप वैन का नंबर व रंग फ्लैश किया गया था। पुलिस का कहना था कि फोरलेन से लेकर चौक-चौराहों पर हर पिकअप वैन की चेकिंग की जा रही है। जबकि वह पिकअप वैन 16 जुलाई से ही बख्तियारपुर फोरलेन पर टिलहार गांव के समीप लावारिस खड़ी थी। हैरत की बात यह है कि एक सप्ताह से एक ही जगह गाड़ी खड़ी थी और पुलिस को खबर तक नहीं थी। मतलब साफ था कि बाकी की थाना पुलिस पर इस घटना से कोई फर्क नहीं पड़ा था। सात दिन बाद ग्रामीणों की सूचना पर खुसरूपुर थाने की पुलिस पिकअप वैन के पास पहुंची। तब पता चला कि यह वही गाड़ी है, जिससे बदमाशों ने सिक्का लूटा था। इससे पुलिसिया कार्यशैली का सहज अंदाज लगाया जा सकता है। थाना पुलिस व मैनेजर की कार्यशैली पर उठे सवाल -सिक्का पटना से रांची रीजनल ऑफिस जा रहा था तो रिस्क मैनेजर ने आर्म्स सिक्योरिटी गार्ड क्यों नहीं लिया? -पिकअप वैन में लोड सिक्कों को ढंका भी नहीं गया। रांची जाने के लिए मैनेजर रात में ही क्यों सिक्के लेकर निकले? -जेल भेजे गए पुलिस पदाधिकारी लूट की वारदात से क्यों थे बेखबर? क्या रात में गश्ती टीम वायरलेस नहीं सुनती है? -बख्तियारपुर फोरलेन पर सात दिनों से लूट की पिकअप वैन खड़ी थी, फिर पुलिस किस गाड़ी की तलाश करती रही?
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