नोटबंदी के बाद बिहार-झारखंड में ज्यादा लोग देने लगे टैक्स, जुड़े 13 लाख नए नाम
बहुत सारे विरोध के बीच नोटबंदी के कुछ फायदे भी सामने आए हैं। एक अनुमान के मुताबिक नोटबंदी के दौरान दो सालों में बिहार-झारखंड में 13 लाख नए आयकर दाता जुड़े हैं।
पटना, जेएनएन। नोटबंदी के बाद पिछले दो वर्षों में बिहार और झारखंड में आयकर दाताओं की संख्या में दोगुना से भी अधिक वृद्धि दर्ज की गई है। नोटबंदी से पहले बिहार व झारखंड में जहां कुल 11 लाख आयकरदाता थे वह महज दो वर्षों में बढ़कर 24 लाख से भी अधिक हो गए हैं।
नोटबंदी से पूर्व बिहार व झारखंड में आयकर वसूली का लक्ष्य जहां एक हजार करोड़ हुआ करता था वह वर्ष 2017-18 में बढ़कर 13 हजार, 200 करोड़ का आंकड़ा पार चुका है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में इन दोनों राज्यों से 14 हजार, 600 करोड़ की वसूली का लक्ष्य मिला है, जिसमें 30 नवंबर तक छह हजार करोड़ से अधिक की वसूली हो चुकी है। बता दें कि नोटबंदी से पहले बिहार-झारखंड में आयकरदाताओं की संख्या 11 लाख थी। महज दो वर्षों में इन दोनों राज्यों में आयकरदाताओं की संख्या में 13 लाख से भी अधिक की बढ़ोतरी हुई है।
इनमें बिहार में फिलहाल 13 लाख तथा झारखंड में 11 लाख आयकरदाता हो चुके हैं। जबकि मौजूदा वित्तीय वर्ष में आयकर विभाग के बिहार-झारखंड क्षेत्रीय कार्यालय को पांच लाख, 35 हजार नए आयकरदाताओं को जोडऩे का लक्ष्य दिया गया है। इनमें बिहार में तीन लाख, 25 हजार तथा झारखंड में दो लाख, दस हजार नए आयकरदाता जुड़ेंगे। आयकर विभाग के सूत्रों की मानें तो अबतक बिहार में दो लाख, 55 हजार तथा झारखंड में एक लाख 66, हजार नए आयकरदाता जुड़ चुके हैं।
नोटबंदी के दौरान पहचाने गए नए आयकरदाता
आयकर विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नोटबंदी के बाद आयकर विभाग दवारा शुरू की गई नई योजनाओं के कारण नए आयकरदाताओं की पहचान हुई। आयकर विभाग द्वारा संपत्ति की स्वघोषणा योजना, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना, बेनामी संपत्ति कानून, दिवालिया एक्ट और जीएसटी से नए आयकरदाताओं की पहचान की गई है। नोटबंदी के दौरान ऐसे हजारों बैंक खातों की पहचान की गई जिसमें रद किए गए पांच सौ व एक हजार के नोट बड़ी संख्या में जमा कराए गए थे।