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जहानाबाद जेल को ब्रेक कर 124 बंदियों को कर दिया था फरार, वर्चस्व की लड़ाई ने ले ली जान

जहानाबाद जेल ब्रेक कर 124 कैदियों को छुड़ाने का आरोपित उदय कुमार की शनिवार को देर रात गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना पटना के दरियापुर में घटी। हत्या कर आरोपित फरार हो गए।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 09 Dec 2018 09:19 AM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 09:05 PM (IST)
जहानाबाद जेल को ब्रेक कर 124 बंदियों को कर दिया था फरार, वर्चस्व की लड़ाई ने ले ली जान
जहानाबाद जेल को ब्रेक कर 124 बंदियों को कर दिया था फरार, वर्चस्व की लड़ाई ने ले ली जान

पटना, जेएनएन। पीपुल्स वार ग्रुप के हार्डकोर सदस्य और जहानाबाद जेल ब्रेक कांड के आरोपित कुख्यात उदय यादव की पटना के दरियापुर गांव में देर रात गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना के बाद से पूरे इलाके में तनाव है। उदय की हत्या बालू के अवैध कारोबार और लेवी वसूली में वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा भी मानी जा रही है। पीपुल्स वार ग्रुप के ही एक गुट पर वारदात को अंजाम देने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

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परिजनों के मुताबिक देर रात गांव का ही कामता नामक व्यक्ति उदय को घर से बुलाकर ले गया था और अपराधियों के साथ मिलकर उसकी हत्या करवा दी।  सूचना पर पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए दानापुर भेजा। इस बाबत मृतक के पुत्र सोनू कुमार ने ग्यारह लोगों के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई है। पुलिस ने नामजद लोगों में प्रमोद पासवान, मनोज पासवान एवं सूरज कुमार को गिरफ्तार कर लिया है।

दो गुटों में बंट गया था दो ग्रुप

घटना के बाद इलाके में चर्चा है कि कुछ दिनों से पीपुल्स वार ग्रुप बालू के अवैध कारोबार और लेवी को लेकर दो गुटों में बंट चुका था। एक गुट के सदस्य दूसरे गुट के खून के प्यासे हो गए थे। दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। स्थानीय लोग उदय की हत्या को इसी का परिणाम मान रहे हैं। बालू माफिया के भी हाथ होने की बात सामने आ रही है। पुलिस के अनुसार उदय यादव 2005 में जहानाबाद जेल ब्रेक  कांड के अलावा कई नक्सली घटनाओं को अंजाम दे चुका है। पत्नी के साथ भी उसके संबंध ठीक नहीं चल रहे थे। दोनों के बीच काफी दिनों से विवाद चल रहा था।

हथियारबंद लोगों ने दिया था घटना को अंजाम

विदित हो कि 13 नवंबर 2005 को प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के हथियारबंद लोगों ने जहानाबाद जेल ब्रेक कांड को अंजाम दिया था। माओवादियों द्वारा मंडल कारा, आरक्षी केंद्र पर कब्जा जमा लिया गया था। मंडल कारा में बंद अपने साथियों को छुड़ाने को माओवादियों द्वारा घटना को अंजाम दिए जाने के कारण जेल से 124 बंदी फरार हो गए थे।


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