यस बैंक में फंसे बिहार के निवेशकों के 102 अरब, पटना में ब्रांच के बाहर लंबी लाइन
राज्य के लोगोंं की 102.16 अरब से अधिक राशि बैंक में फंस गई है। हालांकि बैंक बिहार में 11 अरब से ज्यादा के लोन भी बांट चुका है।
नलिनी रंजन, पटना। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से निजी क्षेत्र के Yes Bank की कई सेवाओं में रोक लगने के बाद से इस बैंक के ग्राहकों की समस्याएं बढ़ गई हैं। यस बैंक की बंदी के एलान के बाद बिहार में जमा पूंजी को लेकर लोगों में संशय हैं। राज्य के लोगोंं की 102.16 अरब से अधिक राशि बैंक में फंस गई है। हालांकि, बैंक बिहार में 11 अरब से ज्यादा के लोन भी बांट चुका है।
ब्रांच के बाहर लगी कतार
शनिवार को राजधानी की एक्जीबिशन रोड स्थित बैंक की शाखा के बाहर और अंदर ग्राहकों की भारी भीड़ जुट गई। लेकिन 50 हजार से अधिक निकालने की अनुमति किसी को नहीं दी जा रही थी। बैंक के बाहर और अंदर लगी नोटिस को देख ग्राहकों में अफरातफरी का माहौल बना रहा। दोपहर तक यही स्थिति बनी रही। कमोवेश यही हाल शुक्रवार को भी रहा।
बिहार में तीन शाखाएं कार्यरत
राज्यस्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की हाल में हुई बैठक में रखे गए विवरण के मुताबिक यस बैंक की बिहार में तीन शाखाएं कार्यरत बताई गई हैं। शुक्रवार को राजधानी में एक्जीबिशन रोड स्थित शाखा के बाहर और अंदर ग्राहकों की भारी भीड़ जुट गई, लेकिन 50 हजार से अधिक निकालने की अनुमति किसी को नहीं मिली। दोपहर तक अफरातफरी की स्थिति रही। बाद में ग्राहकों के चेक लिए गए। दोपहर बाद ग्राहकों को पैसे का भुगतान करना कर्मियों ने शुरू किया।
एटीएम कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग सेवाएं ठप
दरअसल, यस बैंक के एटीएम कार्ड, मोबाइल तथा इंटरनेट बैंकिंग सेवाएं पूरी तरह ठप हैं। इससे ग्राहकों को जमा पूंजी डूबने की चिंता सताने लगी है। हालांकि बैंक अधिकारी व कर्मी राशि को सुरक्षित बता रहे हैं। किदवईपुरी से पहुंची सुमन ने कहा कि बैंक में उनके तीन खाते हैं। लॉकर ले रखा है। यदि बैंक डूब गया, तो हम सड़क पर आ जाएंगे। बाकरगंज से आए मनीष कुमार ने बताया कि डिजिटल लेनदेन बंद होने से परेशानी हो गई है।
अधिकांश कर्ज डूबे
मालूम हो कि यस बैंक की ओर से बांटे गए अधिकांश कर्ज डूब गए हैं। बैंक इस समस्या से जूझ रहा है। यस बैंक को नई पूंजी जुटाने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से बैंक ने दिसंबर 2019 की तिमाही नतीजे भी घोषित नहीं किए हैं। एनपीए की वजह से बैंक की सुरक्षित पूंजी कम हो गई है।