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चूल्हा-चौकी से समय निकाल टैडी बीयर बना समृद्ध हो रहीं महिलाएं

नवादा जिले के हिसुआ प्रखंड का धमौल गांव। यूं तो देखने में यह किसी सामान्य गांव की तरह ही लगता है। लेकिन यहां की अनेक महिलाओं ने अपने गांव को एक नई पहचान दिलाई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 12:07 AM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 06:32 AM (IST)
चूल्हा-चौकी से समय निकाल टैडी बीयर बना समृद्ध हो रहीं महिलाएं
चूल्हा-चौकी से समय निकाल टैडी बीयर बना समृद्ध हो रहीं महिलाएं

नवादा जिले के हिसुआ प्रखंड का धमौल गांव। यूं तो देखने में यह किसी सामान्य गांव की तरह ही लगता है। लेकिन यहां की अनेक महिलाओं ने अपने गांव को एक नई पहचान दिलाई है। इसके पीछे इन महिलाओं की बेहतरीन सोच है। कुछ अलग कर दिखाने का जज्बा है। चुल्हा-चौकी से समय निकालकर दर्जन भर महिलाएं आज टैडी बीयर खिलौना बनाने का काम कर रही हैं। इस हुनर से जुड़ने के बाद इन महिलाओं को समृद्धि की राह आसान दिखने लगी है। महिला सशक्तीकरण की दिशा में इन सबने मिलकर एक कदम बढ़ाया है। हर्ष जीविका महिला सॉफ्ट खिलौना उत्पादन समूह से जुड़कर इन महिलाओं ने टैडी बीयर खिलौनों को बनाने की तरकीब निकाली। समूह की सचिव शोभा देवी बताती हैं कि कल तक घर का काम काज करने में समय बीत जा रहा था। लेकिन जीविका से जुड़ने के बाद उनके अंदर कुछ करने की सोच बनी। आज अपने ही गांव में एक से बढ़कर एक टैडी बीयर खिलौनों को बनते देख काफी खुशी होती है। समूह की अध्यक्ष रितु कुमारी, कोषाध्यक्ष ममता देवी, सदस्य पुष्पा देवी, पिकी देवी, सुषमा देवी, अमृता देवी, सुनीता देवी, सीमा सिंह, डॉली देवी, ज्योति कुमारी आज सभी एक जगह पर खिलौना बनाने का काम करती हैं। एक साथ काम करके सभी खुश हैं।

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पटना से मंगाए गए रूई व कपड़े को सिलकर देती हैं खिलौने का आकार

-टैडी बीयर बनाने में जुटी महिलाएं बताती हैं कि इसके लिए वह पटना से रूई व कपड़े मंगाती हैं। थोक में वहां से समान की खरीदारी होती है। इसके बाद गांव के एक घर में बैठकर सभी महिलाएं समूह में तरह-तरह की टैडी बीयर खिलौने को आकार देती हैं। इसके लिए इन्हें सिलाई-कटाई का काम करना पड़ता है। हर रोज समूह में महिलाएं करीब चार से पांच घंटे तक खिलौना बनाती हैं।

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पटना के सरस मेला में टैडी बीयर की रही अच्छी मांग

-समूह की सचिव शोभा देवी बताती हैं कि गांव में बने हुए खिलौने को बाजार में बेचा जाता है। इसके अलावा मेला में भी स्टॉल लगाया जाता है। पटना के सरस मेला में समूह के द्वारा स्टॉल लगाकर बेचा गया। जहां टैडी बीयर की अच्छी मांग रही। इसके अलावा हिसुआ दुर्गा पूजा मेला में भी समूह के द्वारा स्टॉल लगाया गया था। जिले भर के गिफ्ट कॉर्नर दुकानों से भी इन टैडी बीयर की खरीदारी होती है। नवादा के कई दुकानदार तैयार खिलौना ले जाते हैं। धमौल गांव की महिलाओं के द्वारा बीते एक साल में करीब 800 से 900 छोटा-बड़ा हर साइज का टैडी बीयर व दूसरे खिलौने मसलन तोता, हाथी, बंदर, गिलहरी, डॉगी आदि बनाए गए हैं। जो काफी खूबसूरत होते हैं। इधर, नवादा सदर प्रखंड कार्यालय के पान घर में भी बिक्री के लिए इन टैडी बीयर खिलौनों को उपलब्ध कराया गया है।

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जीविका से मिली आर्थिक मदद, आर-सेटी ने किया ट्रेंड

-धमौल में पीसीसी सड़क के किनारे हर्ष खिलौना का बोर्ड लगा है। समूह की महिलाएं बताती हैं कि 14 अगस्त 2018 से खिलौना बनाने की शुरूआत हुई। 5 साल से गांव में महिलाओें का ग्राम संगठन चल रहा है। जुही जीविका महिला ग्राम संगठन से शुरू में 20 हजार की मदद ली। जिससे टैडी बीयर बनाने की शुरूआत हुई। बाद में जीविका की ओर से समूह को 60 हजार रुपए और दिए गए। वहीं गांव की इन महिलाओं को टैडी बीयर बनाने का प्रशिक्षण पंजाब नेशनल बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान(आर-सेटी) की ओर से दिया गया। आर-सेटी के निदेशक सर्वेश प्रसाद ने कहा कि गांव की इन महिलाओं को 13 दिनों की ट्रेनिग दी गई। प्रशिक्षण के दौरान महिलाओं ने खूब रुचि दिखाई। टैडी बीयर बनाने का यह पहला बैच उनके प्रशिक्षण संस्थान में ट्रेंड हुआ।

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क्या कहते हैं रोजगार प्रबंधक:

गांव की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए जीविकोपार्जन से जोड़ा जा रहा है। धमौल की महिलाओें को पहले ग्राम संगठन और फिर जीविका के माध्यम से 80 हजार रुपए की मदद दी गई। साथ ही प्रशिक्षण भी दिलाई गई। गांव की महिलाओं ने अब तक बहुत ही सुंदर काम किया है। सरस मेला, पटना में गांव में बनी इन टैडी बीयर खिलौनों की अच्छी मांग रही। जीविका ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

दिलीप कुमार, रोजगार प्रबंधक, जीविका, नवादा।


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