जिले में फल-फूल रहा सफेद बर्फ का धंधा, स्वास्थ्य से हो रहा खिलवाड़
जिले में सफेद बर्फ का धंधा फल-फूल रहा है। शासन-प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं होने के कारण नियम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है।
जिले में सफेद बर्फ का धंधा फल-फूल रहा है। शासन-प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं होने के कारण नियम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है। ऐसे में स्वास्थ्य के साथ भी जमकर खिलवाड़ हो रहा है। जिले भर में फैली बर्फ फैक्ट्रियां खाद्य पदार्थों को ठंडा करने के नाम पर इसकी बिक्री कर रही हैं। लेकिन इसकी सच्चाई कुछ और है। गंदे व जैसे तैसे पानी से बनाए जा रहे ये बर्फ जूस, लस्सी, ठंडई आदि में मिलाए जा रहे हैं। सफेद बर्फ स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक माना जाता है। ऐसे में लोग ई-कोलाई, टायफाइड, जौंडिस, बुखार व दस्त समेत कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।
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04 मई 2018 से लगी है रोक
- केंद्र सरकार के एफएसएसआइ ने 04 मई 2018 को एक सर्कुलर जारी कर सफेद बर्फ के प्रयोग व उत्पादन पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही नीला रंग मिलाने का आदेश निर्गत किया था। लेकिन इस पर अबतक अमल तक आरंभ नहीं कराया जा सका है। परिणाम है कि सफेद बर्फ का धंधा धडल्ले से जारी है।
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पेय पदार्थों में मिलाए जा रहे अखाद्य बर्फ
- जिले में पेय पदार्थों की ब्रिकी होने से बर्फ की मांग अधिक होती है। जूस, लस्सी से लेकर अन्य पेय पदार्थों को ठंडा करने के लिए बर्फ का इस्तेमाल किया जाता है। मात्र 200 रुपये खर्च कर ठेले वाले व अन्य दुकानदार अपनी जरूरतों को पूरी कर लेते हैं। जिले भर में इनकी संख्यों हजारों में है जो अखाद्य बर्फ का प्रयोग धडल्ले से कर रहे हैं। लेकिन इस पर लगाम लगाने की फिक्र किसी को नहीं हैं। यहां तक कि अधिकारी भी इस प्रकार के बर्फ का उपयोग करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
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नहीं दिखता नीला बर्फ
- जिले भर में कहीं भी नीले रंग का बर्फ खोजे नहीं मिलता। एफएसएसआइ के 04 मई 2018 के आदेशानुसार खाद्य व अखाद्य बर्फ की पहचान के लिए बर्फ फैक्ट्रियिों के मालिकों को इंडिगो कारमाइन या ब्रिलिएंट ब्लू कलर मिलाना अनिवार्य कर दिया था। लेकिन फूड एवं ड्रग ऑथरिटी की लापरवाही के कारण आजतक इसे लागू नहीं किया जा सका है। इसलिए जिले में कहीं भी नीले रंग का बर्फ दिखाई नहीं दे रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से बचाना था। नीले रंग के बर्फ का उपयोग मांसाहारी व शाकाहारी खाद्य पदार्थों जैसे मीट,मछली, दूध-दही फल व सब्जियों को अधिम समय तक सुरक्षित बनाए रखने के लिए ठंडा किए जाने के लिए करना था।
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स्थानीय निकाय की भी है जिम्मेवारी
- ऐसी भी बात नहीं है कि कार्रवाई की जिम्मेवारी सिर्फ फूड व ड्रग ऑथरिटी को ही है। नगर निकाय को भी अपने क्षेत्रों में कार्रवाई करने की जिम्मेवारी सौंपी गई है। अकेले नगर में ही करीब आधे दर्जन से अधिक बर्फ फैक्ट्रियां सफेद बर्फ बनाने व बिक्री का धंधा कर रही है, लेकिन इस पर रोक लगाने के मामले में नगर निकाय उदासीन है। इतना ही नहीं ऐसी फैक्ट्रियों को नगर निकाय से अनुज्ञप्ति लेना अनिवार्य है। लेकिन नगर व आवास विभाग में मामला लटके होने के कारण धंधा धड़ल्ले से जारी है।
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शुद्धता का नहीं रखा जाता ध्यान
- बर्फ की फैक्ट्रियों में अगर आप चले जाएं तो आपको खुद ब खुद घृणा हो जाएगी। कार्य कर रहे तीन से चार मजदूरों के कंधों पर पानी डालने से लेकर जमे बर्फ को निकालने की जिम्मेवारी होती है। गंदे पैर व हाथ से ये किसी प्रकार के पानी से बर्फ बना डालते हैं। सबसे खराब हालात मशीन की होती है जिसकी सफाई वर्ष में मात्र एकबार विश्वकर्मा पूजा में ही होती है। बर्फ ले जाने के क्रम में भी इनकी शुद्धता का ख्याल नहीं रखा जाता। जैसे तैसे बोरा या प्लास्टिक से ढक कर ले जाया जाता है। रास्ते में धूल-कण पडना आम बात है।
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कहते हैं चिकित्सक
- अगर आप बाहर में पेय पदार्थ पी रहे हैं और इसमें बर्फ का उपयोग किया जा रहा है तो सावधान हो जाएं। क्योंकिे इस प्रकार के ठंडक आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। इससे आप कई प्रकार की बीमारियों जैसे ई-कोलाई, जौंडिस, उच्च बुखार के साथ डायरिया की चपेट में आ सकते हैं। इसके साथ ही आप टाइफाइड बुखार की चपेट में भी आ सकते हैं। फलत: सफेद बर्फ का प्रयोग से हर संभव बचने का प्रयास करें।
डॉ. एके अरूण, जेनरल फिजिशियन, नवादा।
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कहते हैं अधिकारी
- खाद्य मानकों की सुरक्षा का पालन हर हाल में सुनिश्चित किया जाएगा। किसी को आम लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ की अनुमति प्रदान नहीं की जाएगी। जल्द ही संबंधित विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर धंधे पर रोक लगाई जाएगी। नियम का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी।
अनु कुमार, सदर एसडीएम, नवादा।