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सुशिक्षित समाज निर्माण की नींव ही है कमजोर

नवादा । जिले में कागजों पर साक्षरता दर बढ़ाने में सर्व शिक्षा अभियान को महारत हासिल है। सच्चा

By Edited By: Published: Tue, 19 Jul 2016 07:10 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jul 2016 07:10 PM (IST)
सुशिक्षित समाज निर्माण की नींव ही है कमजोर

नवादा । जिले में कागजों पर साक्षरता दर बढ़ाने में सर्व शिक्षा अभियान को महारत हासिल है। सच्चाई कुछ और बयां करती है। तालिमी मरकज हो या फिर लोक शिक्षा केन्द्र सारे के सारे कागजों पर संचालित हैं। स्कूल-कालेजों का भी बुरा हाल है। कहीं शिक्षक की कमी तो कहीं भवन की समस्या। यह हाल तब है जब सरकार जिले की शिक्षा प्रतिवर्ष 2 अरब 68 करोड़ रूपये से अधिक खर्च कर रही है। महाविद्यालयों में भी प्राध्यापकों के अभाव के कारण मात्र डिग्री बांटने का कार्य किया जा रहा है। हां, इन सबों से अलग सुशिक्षित समाज बनाने में निजी क्षे़त्रों की भूमिका अहम होती जा रही है। यही कारण है कि अब साधारण लोग भी अपने बच्चों को सरकारी विद्यालयों की बजाय निजी विद्यालयों में पढ़ाना श्रेयस्कर समझते हैं।

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नवादा में शिक्षा के लिये इस वर्ष 2 अरब 68 करोड़ 9 लाख 77 हजार राशि खर्च की जानी है। इनमें से आवासीय शिक्षा यानी स्कूलों से बाहर रहने वाले बच्चों के लिये एक करोड़ 11 लाख 45 हजार, गैर आवासीय शिक्षा के लिये 68 लाख 37 हजार,पुस्तक के लिये 9 करोड़ 10 लाख 5 हजार,बालिका पोशाक के लिये 2 करोड़ 49 लाख 78 हजार, शिक्षकों के वेतन मद के लिये 2 अरब 8 करोड़ 52 लाख 40 हजार, बीआरसी-सीआरजीसी कंटीजेंसी मद के लिये 1 करोड़ 87 लाख 44 हजार, विद्यालय विकास के लिये 1 करोड़ 34 लाख 40 हजार, विद्यालय रख रखाव के लिये 1 करोड़ 17 लाख 68 हजार, समावेशी शिक्षा पर 1 करोड़ 23 लाख 36 हजार, बालिका शिक्षा पर 50 लाख, वीएसएस प्रशिक्षण के लिये 35 लाख 55 हजार,नया विद्यालय भवन निर्माण के लिये 34 करोंड़ 33 लाख 6 हजार, प्रबंधन पर 2 करोड़ 57 लाख 93 हजार व कस्तूरबा विद्यालय के लिये 5 करोड़ 41 लाख 16 हजार रूपये खर्च किये जाने हैं। शैक्षणिक सत्र के चार माह समाप्त होने को है अबतक बच्चों को किताबें तक उपलब्ध नहीं करायी गयी है। ऐसे में बच्चों की शिक्षा भगवान भरोसे है तो निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य उज्जवल है।

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छात्रावासों का हाल बेहाल

- सरकार ने कमजार व अल्पसंख्यक छात्रों के लिये छात्रावास की सुविधा उपलब्ध करायी है। प्रखंडों में कस्तूरबा विद्यालयों को अगर अपवाद माना जाए तो शेष स्थानों में सुविधाओं का टोटा है। नगर के अम्बेडकर छात्रावास की ही अगर बातें की जाए तो 35 कमरों वाले छात्रावास में 300 छात्र रह रहे हैं। अल्पसंख्यक छात्रों के लिये बनाये रसूलनगर में बनाये छात्रावास का अबतक शुरूआत तक नहीं हो सका है। अनुसूचित जाति की छा़त्राओं के लिये नारदीगंज रोड में बनाया गया छात्रावास का हाल भी बेहाल है। कई बार तो कुव्यवस्था को ले छात्राओं को हड़ताल तक करना पड़ा बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।

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कम्प्यूटर का हाल बेहाल

- आज के युग में कम्प्यूटर ज्ञान के बगैर आप अशिक्षित हैं। भले ही अंगूठे के निशान के बजाय आपने अपना हस्तक्षर करना सीख लिया हो लेकिन शेष कार्यों के लिये आप आज भी निरक्षर है। सरकार किसानों से लेकर हर किसी से आवेदन ऑनलाइन मांग रही है। फिर कम्प्यूटर ज्ञान के बगैर यह संभव नहीं है। जिले के कई मध्य व उच्च विद्यालयों में सरकार ने कम्प्यूटर शिक्षा के लिये उपकरण कराये हैं लेकिन सारे के सारे उपकरण या तो धूल फांक रहे हैं या फिर विद्यालय से चोरी हो गये हैं। यानी कम्प्यूटर शिक्षा आज भी बच्चों के लिये दिवास्वप्न के समान है। दूसरी ओर निजी विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को कम्प्यूटर की शिक्षा दी जा रही है।

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दीमक चट कर रहे पुस्तक

- उच्च विद्यालयों में गरीब बच्चों के लिये पुस्तकालय की व्यवस्था की गयी है। पुस्तकों की खरीद भी हुई लेकिन पुस्तकें दीमक चाट रही है। बार बार के निर्देश के बाद भी पुस्तकालयों के पट नहीं खुल रहे हैं। छात्र-छात्राओं के लिये समाचार पत्र तो देर की कौड़ी है। हालात यह है कि इसके एवज में छात्र-छात्राओं से पुस्तकालय की फीस तो वसूली जा रही है लेकिन इसका लाभ उन्हें नहीं प्राप्त नहीं हो पा रहा है।

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उच्च शिक्षा का हाल बेहाल

- जिले में उच्च शिक्षा का हाल बेहाल है। कहने को तो चार महाविद्यालयों को अंगीभूत किया गया है जिसमें से सबसे पुराना केएलएस महाविद्यालय में भी प्राध्यापकों का अभाव है। फिलहाल मा़त्र 9 प्राध्यापकों के कार्यरत रहने से शिक्षा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जहां तक निजी महाविद्यालयों का सवाल है तो वह भी मात्र डिग्री बांटने का कार्य कर रही ज्ञान का नहीं। ऐसे में सुशिक्षित समाज की कल्पना बेमानी है। हां, शिक्षा के नामपर हर स्तर पर लूट का बाजार गर्म है चाहे वह सरकारी हो या फिर निजी।

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कहते हैं अधिकारी

- शिक्षा में गुणात्मक सुधार के प्रयास किये जा रहे हैं। इसके लिये लगातार निरीक्षण किया जा रहा है। जल्द ही इसके परिणाम सामने आने की संभावना है।

गोरख प्रसाद, जिला शिक्षा पदाधिकारी, नवादा।


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