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दिन भर रोजा और सुबह-शाम पानी के लिए जद्दोजहद

कहां तो तय था चिराग हर के लिए, यहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए। कहां तो तय था चिराग हर के लिए, यहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 May 2018 07:20 PM (IST)Updated: Sat, 19 May 2018 07:20 PM (IST)
दिन भर रोजा और सुबह-शाम पानी के लिए जद्दोजहद
दिन भर रोजा और सुबह-शाम पानी के लिए जद्दोजहद

कहां तो तय था चिराग हर के लिए,

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यहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए।

कुछ इसी प्रकार की स्थिति नगर में पेयजल की है। हर-घर नल का जल योजना यहां हांफ रही है। पूर्व की जलापूर्ति व्यस्था से पानी पहुंच रहा था, लेकिन पिछले कुछ माह से नल से जल नहीं पहुंच रहा है। सरकारी चापाकल हैं, जिसमें कुछ फेल हो गए है तो कुछ मरम्मत के अभाव में पानी नहीं उगल रहा है। फिलहाल रमजान का पाक महीना चल रहा है और पानी की संकट लोगों की परेशानी बढ़ा रहा है। हालात यह है कि रोजेदारों को पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है। यहां बातें हो रही है नगर के अंसार नगर की, जो नगर परिषद के वार्ड 32 का हिस्सा है। जहां पानी संकट है। यहां 80 घरों की बड़ी आबादी एक चापाकल के भरोसे है।

पूर्व के जलापूर्ति केंद्र से इस इलाके तक पानी पहुंचता था। उक्त केंद्र से पानी की आपूर्ति बंद है। नए जलापूर्ति केंद्र से पाइप अबतक नहीं बिछाए नहीं गए हैं। एकमात्र चापाकल लोगों की प्यास बूझाने में सक्षम नहीं हो रहा है। पौ फटने के पूर्व से पानी के लिए लम्बी कतार यहां लग रही है। जेठ की तपती दोपहरी के साथ रमजान का महीना चल रहा है, ऐसे में पानी की कुछ अधिक आवश्यकता हर घरों की है। लेकिन यहां पीने के लिए पानी खरीद कर लाना मजबूरी बन गया है। जल उपलब्ध कराने की जिम्मेवारी नगर परिषद की है और नगर परिषद अपनी जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ रही है। पानी के बजाय आश्वासन की घू़ंट अवश्य पिलाई जा रही है। कहते हैं मुहल्लेवासी

दो वर्ष पूर्व तक हर घर में नल का जल उपलब्ध था। जिसके कारण लोग अपने घरों में चापाकल लगाने की जरूरत नहीं महसूस कर रहे थे। फिलहाल सुबह सारा काम छोड़कर पानी के लिए चापाकल पर नम्बर लगाना मजबूरी है। चापाकल के पानी से बर्तनों की सफाई व कपड़े की धुलाई की जाती है। पीने के लिए प्रतिदिन खरीद कर पानी लाना मजबूरी है। पानी का खपत रमजान में अधिक हो रही है। बावजूद प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की जा रही है।

मो. जसीमउद्दीन। भोजन से अधिक आवश्यकता पानी की है। रमजान का महीना चल रहा है। ऐसे में सेहरी के पूर्व अगर चापाकल से पानी नहीं लिया तो फिर परेशानी बढ़ जाती है। बच्चों को विद्यालय भेजने के पूर्व नाश्ता बनाना मुश्किल हो रहा है।

मो. इबरार। घर की जिम्मेवारी महिलाओं के कंधों पर होती है। रमजान के लिए रोजा खोलने से लेकर सहरी तक की व्यवस्था और फिर बच्चों को स्कूल भेजना। ऐसे में जब पानी घर में न हो और इसकी व्यवस्था करनी पड़े तो परेशानियां और बढ़ जाती है।

इशरत परवीन, गृहिणी। जल के बगैर किसी का काम नहीं चल सकता। खासकर रमजान में दिन भर भूखे रहने के बाद रोजा खोलने के पूर्व सबसे पहले पानी की आवश्यकता होती है। उस वक्त ताजा पानी है कि मिलता नहीं। ऐसे में बर्फ खरीदकर पानी को ठंडा कर काम चलाना पड़ रहा है। सबों के लिए पानी खरीद पाना संभव नहीं है।

शाहिदा खातुन, गृहिणी। -हर घर नल का जल के लिए कनेक्शन देने की बात थी। कनेक्शन के लिए राशि कब की जमा कराई जा चुकी है, लेकिन अबतक कनेक्शन उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। रमजान जैसे त्योहार में भी पानी की व्यवस्था न करना प्रशासनिक विफलता का परिचायक है।

-शमिदा खातुन, गृहिणी। कहते हैं वार्ड पार्षद

- खराब पड़े चापाकलों की मरम्मत के लिए एक वर्ष से नगर परिषद का चक्कर लगा रहा हूं। हर बार आश्वासन मिलता है, लेकिन निराशा हाथ लगती है। अबतक मात्र एक चापाकल की मरम्मत की गई है। कार्यपालक पदाधिकारी से रमजान को देखते हुए वैकल्पिक तौर पर टैंकर के द्वारा पानी की आपूर्ति की मांग की गई है।

मो. तनवीर आलम उर्फ लड्डन, वार्ड पार्षद।


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