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परमा के आहर, पईन व तालाब का नहीं हो सका जीर्णोद्धार

प्रखंड के परमा गांव स्थित आहर पईन व तालाब की साफ-सफाई करीब एक दशक से नहीं की गई है। यहां के ग्रामीण इन जलस्रोतों की जीर्णोद्धार की आस लगाए हैं। यह आहर गांव के उतर दिशा में है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Jun 2019 12:59 AM (IST)Updated: Sat, 08 Jun 2019 06:32 AM (IST)
परमा के आहर, पईन व तालाब  का नहीं हो सका जीर्णोद्धार
परमा के आहर, पईन व तालाब का नहीं हो सका जीर्णोद्धार

प्रखंड के परमा गांव स्थित आहर, पईन व तालाब की साफ-सफाई करीब एक दशक से नहीं की गई है। यहां के ग्रामीण इन जलस्रोतों की जीर्णोद्धार की आस लगाए हैं। यह आहर गांव के उतर दिशा में है। आहर के अलावा तालाब व पईन की भी खुदाई नहीं हुई है। इसके जीर्णोद्धार को लेकर ग्रामीणों द्वारा लघु सिचाई विभाग के अधिकारियों को कई बार आवेदन दिया है, लेकिन समस्या जस की तस है। बता दें कि इस इलाके के किसान आहर, पईन व तालाब की पानी से सिचाई करते हैं। इस गांव के अलावा आस-पास के दर्जनों गांव के किसानों के लिए सिचाई का मुख्य साधन है। करीब एक दशक से आहर, पईन व तालाब की खोदाई नहीं कराई गई है। जिसके कारण बारिश का पानी संचय नहीं हो पाता है। करीब एक साल से जलस्रोत सूखा पड़ा है। कृषि कार्य भी काफी प्रभावित हो रही है। जलस्तर में गिरावट आने के बाद ग्रामीणों को पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है। इस भीषण गर्मी में 100 फीट बोरिग वाले अधिकांश चापाकल भी सूख गए हैं। गांव के तालाब, आहर, पईन की खुदाई नहीं की गई तो बारिश का पानी संचय करना संभव नहीं हो पाएगा। इस पंचायत की मुखिया दर्शनिया देवी, वार्ड सदस्य राजो मांझी, अजीत कुमार, गोपाल महतो, केदार चौहान, सूर्यदेव सिंह, शैलेन्द्र सिंह, अर्जुन मांझी समेत अन्य ग्रामीणों ने बुधवार को लघु सिचाई विभाग के अधिकारी का आवेदन सौंपकर जीर्णोद्धार की मांग की है।

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कहते हैं ग्रामीण

- परमा गांव स्थित आहर, पईन व तालाब कई साल से सूखा पड़ा है। करीब एक दशक से खोदाई नहीं की गई है। जिसके कारण कृषि कार्य पर बुरा असर पड़ रहा है। खोदाई के प्रति अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।

अभय सिंह, परमा। फोटो-18.

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- करीब एक दशक से आहर, तालाब की खोदाई नहीं हुई है। किसानों को फसल पटवन में काफी परेशानी होती है। जलस्तर में भी गिरावट आने से पेयजल की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। इसकी खोदाई के लिए लघु सिचाई विभाग के अधिकारी को आवेदन दिया गया, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ।

अजीत कुमार, परमा। फोटो-19.

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- विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण यह स्थिति बनी है। जबकि जल संचय का साधन कुआं, नदी, तालाब, पईन व आहर है। इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है। ताकि जल की संकट उत्पन्न नहीं हो। अधिकारियों को विशेष ध्यान देना चाहिए।

जर्नादन सिंह, परमा। फोटो-20.

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- परमा गांव का आहर, पईन व तालाब में सालों भर पानी भरा रहता था। यहां के किसानों को फसल पटवन में काफी सहूलियत होती थी। इसके साथ ही जलस्तर में गिरावट नहीं आता था। करीब एक दशक से खुदाई का कार्य नहीं हुआ है। जिसके कारण पानी की समस्या से लोगों को जूझना पड़ रहा है।

महेश्वरी सिंह, परमा। फोटो-21.


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