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अड़सनिया गांव में पेयजल के लिए मचा है हाहाकार

प्रखंड के ज्यूरी पंचायत की वार्ड 14 अड़सनिया गांव में पीने का पानी के लिए हाहाकार मचा है। लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। पीने का पानी का संकट है सो लोगों का इस चिलचिलाती धूप में भी नहाना मना है। यह हाल तब है जबकि सात निश्चय के तहत वार्ड में बोरिग कराया गया है और हर घर नल भी लगा गया है। समस्या पानी की है और नल में पानी ही नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 11:10 PM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 11:10 PM (IST)
अड़सनिया गांव में पेयजल  के लिए मचा है हाहाकार
अड़सनिया गांव में पेयजल के लिए मचा है हाहाकार

प्रखंड के ज्यूरी पंचायत की वार्ड 14 अड़सनिया गांव में पीने का पानी के लिए हाहाकार मचा है। लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। पीने का पानी का संकट है सो लोगों का इस चिलचिलाती धूप में भी नहाना मना है। यह हाल तब है जबकि सात निश्चय के तहत वार्ड में बोरिग कराया गया है और हर घर नल भी लगा गया है। समस्या पानी की है, और नल में पानी ही नहीं है। ग्रामीण बताते हैं कि बोरिग है लेकिन टंकी नहीं लगया गया है। बोरिग गांव से दक्षिण दिशा में है। गांव की उत्तर दिशा में बसी आबादी उंचाई पर रहने के कारण 60-70 घरों तक पानी नहीं पंहुच पाती है। समस्या से वार्ड सदस्य को अवगत कराया गया लेकिन कोई समाधान नहीं निकाला गया।

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वार्ड में 100 घरों की आबादी

-इस वार्ड में 100 से भी अधिक घर हैं, परंतु 60-70 घर तक पानी नहीं पहुंच रहा है। अर्थात दो तिहाई करीब लोग प्रभावित हैं। इस पूरे वार्ड में मात्र एक पहाड़ी चापाकल है। जो कि दिन के के 10 बजे बाद पानी भी उगलना कम कर देता है। गांव की आबादी लगभग 600 के आसपास से है। इसी चापाकल से पीने से लेकर नहाने के साथ-साथ मवेशियों के भी पीने के पानी का इंतजाम ग्रामीणों को करना पड़ रहा है।

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जल-नल की स्थिति

- वार्ड में जल-नल का भी कार्य पूरा हो चुका है। बोरिग का कार्य फरवरी 2019 में ही हुआ। वार्ड के सभी घरों को नल-जल योजना से जोड़ दिया गया है। परंतु बोरिग का लेयर काफी उपर है। जिसके कारण जैसे-जैसे जलस्तर नीचे जा रहा है बोरिग भी पानी उगलना कम कर रहा है। ग्रामीण राधे पासवान कहते हैं कि लाभान्वितों की बड़ी आबादी नल-जल के लाभ से वंचित है। आलम ये कि बोरिग को खुले स्थान पर ही छोड़ दिया गया है। टंकी भी नहीं लगाया गया है। इसकी शिकायत करने पर वार्ड सदस्य झुंझला जाते है।

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क्या कहते है ग्रामीण

-सरकार की नल-जल योजना सिर्फ नाम का है, कोई काम का नहीं है। इससे अच्छा तो चापाकल ही था। जिससे जरूरत के वक्त पानी मिल जाती थी। परंतु नल-जल ले लाभ के चक्कर में प्यासे रहना पड़ता है। दो महीने पहले नल-जल के तहत पाइप तो लगा परंतु कुछ दिनों के बाद ही पानी मिलना बंद हो गया है।

आशा देवी,अड़सनिया। फोटो-18

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-नल-जल के फेल हो जाने से पानी के लिए सुबह से ही चापाकल पर नम्बर लगाना पड़ता है। पूरे वार्ड में मात्र एक चापाकल ही 60-70 घरों के लगभग 600 लोगों की प्यास बुझा रही है। कभी-कभी तो पूरे वार्ड के लगभग 1000 लोगों की निर्भरता इसी पर हो जाती है। वार्ड सदस्य के द्वारा टंकी नही लगाया गया है।

राधे पासवान,ग्रामीण,अड़सनिया। फोटो-14

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-जैसे-जैसे गर्मी तपती है वैसे-वैसे पेयजल संकट गहराता जा रहा है। गले को तर करने के लिए पानी नसीब नहीं हो पा रही है। काफी मशक्कत के बाद दिनभर में 5-6 बाल्टी पानी मिल पाता है। घर में नल-जल का कनेक्शन तो है, परंतु पानी उससे नही गिर पाता है।

सुमित्रा देवी,ग्रामीण,अड़सनिया। फोटो-17

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-घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं, ऐसे में घर में चापाकल नहीं होने से परेशानी बढ़ गई है। पानी के लिए चापाकल पर नंबर लगाना पड़ता है। घर में लगा नल-जल का कनेक्शन शोभा की वस्तु बनी हुई है। पूरे वार्ड में में मात्र एक ही चापाकल है। उसी से पानी लाने के लिए दिनभर नंबर लगाना पड़ता है। कभी-कभी तो चिलचिलाती धूप में भी पानी लाने की मजबूरी होती है।

रूनी देवी ,ग्रामीण,अड़सनिया,फोटो-15

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-इस तपिस भरी गर्मी में भी 3-4 दिन बाद स्नान करना पड़ता है। क्योंकि पानी है नहीं। गांव से पानी लाना पड़ता है। घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं। पानी लाएं की बच्चे की देखभाल करें। इसलिय पीने भर ही पानी किसी तरह लेकर चली आती हूं।

सोना देवी ,ग्रामीण,अड़सनिया। फोटो-16


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