कंप्यूटर पर थिरक रहीं गांव की बेटियों की अंगुलियां
सुदूर गांवों में भी डिजिटल इंडिया का सपना साकार होता दिख रहा है। अब यहां की बेटियां चूल्हा तक ही सीमित नहीं रही है।
सुदूर गांवों में भी डिजिटल इंडिया का सपना साकार होता दिख रहा है। अब यहां की बेटियां चूल्हा तक ही सीमित नहीं रही है। बेटियों की भी उंगलियां कंप्यूटर के की बोर्ड पर नाचती है। रजौली प्रखंड के सुदूर गांवों की बेटियों आज कंप्यूटर क्रांति की नई बयार बहाने को आतुर है।
कल तक यहां के गांवों की अधिकांश बेटियों की शिक्षा मैट्रिक तक ही हो पाती थी। शहर में जाकर पढ़ाई करना उसके लिए सपना था। बदलते दौर में कंप्यूटर शिक्षा के लिए 8 किमी की दूरी तय कर साइकिल से रजौली प्रखंड मुख्यालय स्थित कौशल विकास केंद्र पहुंच रही हैं। वह न सिर्फ डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने में लगी है, बल्कि इसका हिस्सा बन स्मार्ट भी बन रही है। सुखद बात यह है कि माता-पिता भी अपनी बेटियों के अरमानों को पंख देने के लिए सजग हैं। इलाके के फुलवरिया, चितरकोली, हरदिया, धमनी, छपरा, अमावां, दिबौर आदि गांव की दर्जन से ज्यादा बेटियां आज कंप्यूटर की जानकार है। कौशल विकास केंद्र आने वाली सुप्रिया कुमारी, निकिता कुमारी, सपना कुमारी, रानी कुमारी समेत अन्य बताती हैं कि कौशल विकास केंद्र खुलने से उनके सपने साकार हुए हैं। अब तो अधिकांश लड़कियां कंप्यूटर से संबंधित सारा काम खुद कर लेती है। समाजसेवी कविद्र कुमार कहते हैं कि आज गांव की बेटियां भी स्मार्ट बन गई है। ऑनलाइन सेवाओं ने इन बेटियों की जिज्ञासा को ना केवल बढ़ाया है बल्कि, अभिभावकों की सोच को भी बदला है। डिजिटल इंडिया की सकारात्मक सोचने गांव की लड़कियों को काफी प्रभावित किया है।
कौशल विकास के संबंध में अभिमन्यु कुमार ने बताया कि गांव जाकर लड़कियों के अभिभावक को कंप्यूटर शिक्षा के प्रति प्रेरित किया जाता है। अभिभावक समझ रहे हैं कि आधुनिक युग में कंप्यूटर शिक्षा जरूरी है। ऐसे में वे अपनी बेटियों को इसे सीखने के लिए भेज रहे हैं।
कौशल विकास केंद्र के टीचर मनीष कुमार ने बताया कि कौशल विकास केंद्र में कंप्यूटर सीखने वाले छात्राओं और छात्र को पहले कंप्यूटर के बेसिक जानकारी दी जाती है। उसके बाद केवाईसी के बारे में बताया जाता है। इन लोगों को इतना जानकारी दे दी जाती है कि कहीं भी कंप्यूटर से संबंधित कोई भी काम आसानी से कर सकती हैं।