इस गांव का विकास से वास्ता नहीं, उबड़-खाबड़ रास्ते व तंग गलियां है पहचान
-कैथिर पंचायत के मुर्गियाचक गांव में आज तक नहीं पहुंची सरकारी योजनाएं बरसात के दिनों में स्थिति और हो जाती बदतर -------- दुर्दशा.. -रात के समय कोई बीमार पड़ जाए स्वजनों पर टूट पड़ता है मुसीबतों का पहाड़ -शिक्षा और स्वास्थ्य की भी सुविधा नहीं लोग कर रहे उपेक्षित महसूस --------- -70 से 75 घरों वाली इस बस्ती में कची सड़क तक नहीं -02 किलोमीटर कठिन डगर तय कर पहुंचते हैं मुख्य सड़क पर -------------------- फोटो- 0102 ---------------------- संसू हिसुआ
नवादा । इस गांव का विकास से दूर-दूर तक वास्ता नहीं है। उबड़-खाबड़ रास्ते, तंग गलियां, कुएं का प्रदूषित पानी। और तो और शिक्षा और स्वास्थ्य की भी सुविधा नहीं। सरकार की काई योजना यहां आज तक नहीं पहुंची। चुनाव के दौरान बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं और फिर पांच वर्ष तक इस गांव से नेताजी का कोई वास्ता नहीं रह जाता है।
हम बात कर रहे हैं कैथिर पंचायत के मुर्गियाचक गांव की। 70 से 75 घरों वाली इस बस्ती में कच्ची सड़क तक नहीं है। यहां के ग्रामीणों को एक पगडंडी के सहारे ही आना-जाना होता है। बरसात के दिनों में स्थिति और बदतर हो जारी है। रात के समय कोई बीमार पड़ जाए या फिर महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हो जाए तो स्वजनों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ता है। मुर्गियाचक से सिघौली या कैथिर आने के लिए उन्हें डेढ़ से दो किलोमीटर की दूरी तय करना पड़ता है। बरसात के मौसम में मुर्गियाचक वासियों को पईन और टेड़ुआ को पार करना पड़ता है। संपर्क पथ के अभाव में यहां के लोगों को साल के हर मौसम में शहर जाने में परेशानी का सामाना करना पड़ता है। मुर्गियाचक मूलत: अनुसूचित बाहुल गांव है। गांव में पुराने जमाने का बने कुएं से ही ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं। सरकार की नल-जल योजना यहां तक पहुंची ही नहीं है। गांव की नाली एवं गली नहीं बनने से बरसात के दिनों में कीचड़मय हो जाता है। और तो और यहां स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र भी नहीं है। विकास के नाम पर सिर्फ और सिर्फ बिजली ही पहुंची है।
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मुर्गिया चक गांव में संपर्क पथ नहीं रहने से बरसात के दिनों में काफी परेशानी होती है। आवश्यक कार्यवश बाजार जाने के लिए एक पईन एवं एक टेड़ुआ को पार करना पड़ता है।
गणेश मांझी, ग्रामीण
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अनुसूचित जाति बहुल गांव होने के कारण कोई भी जन ्रतिनिधि का ध्यान इस ओर नहीं जाता है। चुनाव के वक्त बड़ी-बड़ी वादे कर वोट ले लेते हैं । उसके बाद जनप्रतिनिधि यहां की समस्या पर ध्यान नहीं देते हैं।
राजेन्द्र मांझी, ग्रामीण
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गांव की नाली और गली कच्ची रहने से बरसात के दिनों में काफी परेशानी होती है। चारों ओर सड़क पकड़ने के लिए ग्रामीण को डेढ़ से दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है ।
शैलेश मांझी, ग्रामीण
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बरसात के दिनों में जब पईन में पानी भर जाता है तो छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल जाने से वंचित होना पड़ता है ।
जितेन्द्र मांझी, ग्रामीण
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मुर्गियाचक गांव का जायजा लिया जाएगा। गांव में बुनियादी सुविधाएं नहीं है तो नली-गली एवं नल-जल योजना को प्राथमिकता दी जाएगी।
डॉ. मृत्युजंय कुमार, प्रखंड विकास पदाधिकारी, हिसुआ