यह कीमती साल बर्बाद हो गया, चिंता उभर आ रही छात्राओं के चेहरे पर
15 छात्राओं का भविष्य महज दो सौ रुपये के लिए अधर में लटका दिया गया। आरोप तो यही है। संबंधित विद्य
15 छात्राओं का भविष्य महज दो सौ रुपये के लिए अधर में लटका दिया गया। आरोप तो यही है। संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक इसे निराधार बता रहे। सच्चाई जो हो, लेकिन उन छात्राओं का यह कीमती साल तो बर्बाद हो ही गया। इसकी चिंता उनके चेहरे पर उभर आ रही। छात्राओं के मुताबिक प्रवेश पत्र में सुधार के लिए प्रधानाध्यापक द्वारा प्रति छात्रा चार सौ रुपये की मांग हुई। जिन छात्राओं ने चार सौ दिए उनके प्रवेश पत्र दुरुस्त हो गए। कुछ छात्राएं महज दो सौ रुपये दे पाई थीं, उनके प्रवेश पत्र ज्यों के त्यों, यानी त्रुटिपूर्ण, रह गए। परीक्षा से वंचित छात्राएं केवल दो सौ रुपये का भुगतान कर पाई थीं, यानी दो सौ रुपये के लिए उनका भविष्य अधर में लटका दिया गया। वीक्षक ने बताया कि उन छात्राओं के प्रवेश पत्र पर महज दो दिनों की परीक्षा तारीख दर्ज है। इस कारण उनके लिए केंद्र पर उत्तर पुस्तिकाएं आई ही नहीं। इसी कारण उन्हें परीक्षा केंद्र से बाहर किया गया। रजौली के एसडीएम चंद्रशेखर आजाद परीक्षा केंद्र पहुंच स्थिति से अवगत हुए। प्रधानाध्यापक के विरुद्ध वे छात्राओं को लिखित शिकायत की सलाह दिए, ताकि कार्रवाई की जा सके। उन्होंने बिहार बोर्ड को भी मामले से अवगत कराने का आश्वासन दिया। प्रधानाध्यापक कपिल प्रसाद का कहना है कि जिन छात्राओं ने समय रहते संपर्क किया, उनके प्रवेश पत्र में सुधार हो गया। जो चूक गई, उनके प्रवेश पत्र में ऑनलाइन सुधार की गुंजाइश नहीं बनी। इसके लिए वे कतई जिम्मेदार नहीं हैं। दोष छात्राओं का है। वैसे उन छात्राओं को कंपार्टमेंटल परीक्षा में बैठने का मौका मिल सकता है। गौरतलब है कि बिहार बोर्ड द्वारा दोषपूर्ण प्रवेश पत्र में सुधार के लिए 16 और 17 फरवरी की तिथि निर्धारित की गई थी।