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नदी घाट पर सस्ती, बाजार में महंगी हो गई बालू

नवादा। सरकार व जिला प्रशासन आम लोगों को बालू सस्ती उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता जताती है, लेकि

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Dec 2017 06:40 PM (IST)Updated: Sat, 16 Dec 2017 06:40 PM (IST)
नदी घाट पर सस्ती, बाजार में महंगी हो गई बालू
नदी घाट पर सस्ती, बाजार में महंगी हो गई बालू

नवादा। सरकार व जिला प्रशासन आम लोगों को बालू सस्ती उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता जताती है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके विपरीत है। बालू की कीमत में कमी आने के बजाय डेढ़ से दो गुणा तक बढ़ा गया है। 1500-1600 रुपये प्रति सौ सीएफटी का बालू इन दिनों बाजार में 2500 से 3000 रुपये में मिल रहा है। ऐसे में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन, कोई सुधि लेने वाला तक नहीें।

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वाहन मालिकों की मनमानी

-लोगों की मानें तो बालू का दाम बढ़ाने में सिर्फ वाहन मालिकों का दोष है। सरकार की ओर से लागू नए नियम ने लोगों के सामने परेशानी पैदा कर दी है। दरअसल नए नियम के तहत बालू लोडिंग के लिए जीपीएस और ई-लॉ¨कग को अनिवार्य किया गया है। जिस मालवाहक वाहन में जीपीएस लगा होगा, उसी वाहन से बालू का परिवहन होगा। जीपीएस नहीं होने पर ई-चालान ही नहीं कटेगा। अब स्थिति यह है कि जीपीएस लगे वाहनों की संख्या कम है। जिसका परिणाम है कि मांग की अपेक्षा आपूर्ति कम होने की वजह से कीमत में वृद्धि की गई है। ऐसे में

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सीधी मुंह बात करने को तैयार नहीं हैं वाहन मालिक

-बालू की मांग शहर से लेकर गांव तक है। स्थिति यह है कि जिस वाहन में जीपीएस लगा हुआ है उसके मालिक की खुशामद में लोग सुबह से शाम तक लगे रहते हैं। कीमत जो मांगों देने के लिए तैयार रहते हैं। बरसात शुरू होने के पूर्व तक कादिरगंज घाट से नवादा नगर के लोगों को 1500 से 1600 रुपये में 100 सीएफटी बालू मिल जाती थी। सितबंर-अक्टूबर में नदी से बालू उठाव की बंदी के बाद जब बालू निकासी शुरू हुई तब सरकार ने ई-चलान की व्यवस्था कर दी। इसके बाद दर 2000 रुपये प्रति 100 सीएफटी कर दिया गया। इसके पीछे वजह बताया गया कि ई-चलान मिलने में घाट पर काफी समय लगता है। ऐसे में ट्रैक्टर मालिकों को समय व ईधन का नुकसान हो रहा है।

जीपीएस के लिए मारामारी

-बालू परिवहन के लिए जीपीएस को अनिवार्य करने और विभाग द्वारा ही कंपनी निर्धारित करने के बाद बालू जरूरतमंदों की पहुंच से दूर हो गई। दरअसल वाहन मालिक धंधा के लिए जीपीएस लगाने को तैयार हैं, लेकिन जिस दो कंपनी को मानक का बताया गया है वह बाजार में सुलभ तरीके से उपलब्ध नहीं हो रहा है। ऐसे में वाहन मालिक चाहकर भी जीपीएस नहीं लगा पा रहे हैं। परिणाम है कि जिस वाहन में जीपीएस लगा है उसके मालिक बढ़ती मांग के कारण बालू कर दर डेढ़ से दो गुणा तक अधिक वसूल रहे हैं। इस पर नियंत्रण का कोई साधन विभाग के पास नहीं है। मामला रोज कोर्ट-कचहरी में उलझा हुआ है।


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