शोभा की वस्तु बना है सरकारी एंबुलेंस का एयर कंडीशन
राज्य सरकार स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को सु²ढ़ करने के लिए पानी की तरह रुपये बहा रही है।
राज्य सरकार स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को सु²ढ़ करने के लिए पानी की तरह रुपये बहा रही है। लेकिन उन सेवाओं का लाभ आम लोगों तक नहीं पहुंच रहा है। सदर अस्पताल सहित सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को सरकारी स्तर पर एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया है। पर उससे गुणवत्तापूर्ण सेवा नहीं मिल पा रही है। एंबुलेंस के रखरखाव के निर्धारित व्यवस्था में पूरी तरह कोताही बरती जा रही है। कहने को तो सरकारी एंबुलेंस 102 एयर कंडीशन समेत कई प्रकार की सुविधाओं से लैस है। लेकिन एसी का लाभ रोगियों को नहीं मिल रहा है। सरकारी एंबुलेंस में लगा एसी शोभा की वस्तु बना है। पिछले कई सालों से मरीजों को लाने और वापस घर पहुंचाने वक्त एंबुलेंस का एसी चालू नहीं किया जा रहा है। मरीजों के परिजनों के पूछने पर कहा जाता है कि एसी खराब है। जबकि राज्य स्वास्थ्य समिति का साफ तौर पर निर्देश है कि एंबुलेंस के जरिए मरीजों को गुणवत्तापूर्ण सेवा मिलनी चाहिए। जले हुए मरीजों के लिए वैसे एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचना किसी त्रासद से कम नहीं है। एक एंबुलेंस चालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जबसे सम्मान फाउंडेशन के माध्यम से वाहनों का संचालन किया जा रहा है, तबसे स्थिति बिल्कुल खराब है। स्थिति तो यह रहती है कि कई बार ईंधन का अभाव हो जाता है। ऑक्सीजन नहीं रहता है। मरीजों के परिजन यह मानने के लिए तैयार नहीं होते हैं और नौबत मारपीट तक पहुंच जाती है।
---------------------
कई मरीजों को दी जानी है निश्शुल्क सेवा
- संस्थागत प्रसव सहित नवजात शिशु, दुर्घटनाग्रस्त मरीजों, बीपीएल परिवार, वरीय नागरिकों को एंबुलेंस 102 की निश्शुल्क सेवा देने का प्रावधान है। जिला स्वास्थ्य समिति के माध्यम से एंबुलेंस संचालन को लेकर भुगतान किया जाता है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि एक एंबुलेंस के संचालन पर एक लाख रुपये से अधिक खर्च हो रहे हैं। जबकि जैन व्हील्स का एग्रीमेंट खत्म होने के बाद पीएचसी स्तर पर एंबुलेंस का भुगतान किया जाता था तो खर्च 70 हजार रुपये के आसपास आता था।
---------------------
कहते हैं सिविल सर्जन
- एंबुलेंस 102 का संचालन करने वाली एजेंसी पशुपति एंड सम्मान फाउंडेशन को सभी एंबुलेंसों में एसी दुरुस्त कराने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए एजेंसी को दंडित किया जा चुका है और रुपये की भी कटौती की गई है।
डॉ. श्रीनाथ प्रसाद, सिविल सर्जन, नवादा।