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वारिसलीगंज प्रखंड में 67 सौ हेक्टेयर में धान रोपने का लक्ष्य

-चीनी मिल बंद होने के बाद खेती योग्य भूमि पर लगाई जाती है धान की फसल ससमय मानसून की अछी बारिश होने की स्थिति में धान रोपनी का लक्ष्य पूरा होगा ----------- संसू वारिसलीगंज

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 12:04 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 12:04 AM (IST)
वारिसलीगंज प्रखंड में 67 सौ  हेक्टेयर में धान रोपने का लक्ष्य
वारिसलीगंज प्रखंड में 67 सौ हेक्टेयर में धान रोपने का लक्ष्य

नवादा । उन्नत कृषि के साथ ही धान का कटोरा कहा जाने वाला वारिसलीगंज क्षेत्र में इस वर्ष 6700 हेक्टेयर में धान फसल लगाने का लक्ष्य निर्धारित है। ससमय मानसून की अच्छी बारिश होने की स्थिति में क्षेत्र के किसान धान रोपनी का लक्ष्य पूरा करेंगे। इसके लिए क्षेत्र के किसानों ने जोर शोर से नर्सरी लगाने से लेकर खेतों की जोताई कोड़ाई शुरू कर दी है।

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जानकारी हो कि वारिसलीगंज चीनी मिल बंद होने के बाद से प्रखंड क्षेत्र के किसान अपनी सभी खेती योग्य भूभाग पर धान की खेती की करते हैं। चीनी मिल चालू होने की स्थिति में किसान नगदी फसल के रूप में अपने खेती लायक भूभाग में से आधे से अधिक पर किसान गन्ना की खेती करते थे, जबकि मिल बंद होने के बाद से गन्ने की खेती में किसानों की रुचि नहीं रही। अब मात्र पानी अनुपलब्धता वाले कुछ जमीन पर सब्जी आदि की खेती बाद शेष समस्त भूभाग पर धान की खेती की जाती है। पिछले दो तीन वर्षों से कम बरसात होने व सकरी नदी व नहर में कम पानी आने के कारण धान रोपनी मात्र 30 से 40 फीसदी भूमि पर ही धान की रोपनी संभव हो सकी थी।

वैज्ञानिक के अनुसार, इस बार अच्छी बारिश की संभावना से किसान उत्साहित हैं। अच्छी बारिश व सकरी नदी और नहर में पर्याप्त पानी होने की स्थिति में धान की रोपनी आषाढ़ माह से ही शुरू हो जाएगी जो सावन के अंत तक समाप्त हो जाएगी। इसके लिए किसानों द्वारा बिचड़ा डालने का काम जोर शोर से किया जा रहा है। अच्छी पैदावार के लिए अधिकांश किसान हाइब्रिड और अन्य उत्तम वेराइटी का बीज बाजार से खरीद कर नर्सरी तैयार कर रहे हैं। कुछ सरकारी दर पर उपलब्ध कराए जा रहे बीज खरीद कर खेतों में बिचड़ा डाल रहे हैं।

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बीज अनुदान के भुगतान

से किसान क्षुब्ध

सरकारी अनुदानित दर पर मिलने वाले बीज की खरीद बाद अनुदान की राशि संबंधित किसानों के खाते में काफी विलंब से आने के कारण किसान अनुदानित बीज लेने से मना करते हैं। बताया जाता है कि पिछले दो वर्षो से अधिक समय हो चुका है। फिर भी अनुदान की राशि किसानों के खाते में नहीं पहुंची है। इस बार अनुदानित दर पर बीज खरीदने में किसानों को कोई दिलचस्पी नहीं है।

अनुदान की राशि भुगतान में विलंब के कारण बीज खरीदने के प्रति किसानों की दिलचस्पी कम होने की सूचना वाद कृषि विभाग इस बार धान के बीज पर किसान को अनुदानित राशि काटकर भुगतान करने का निर्देश दिया है।

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अच्छी बारिश होने के बाद क्षेत्र के 67 सौ हेक्टेयर भूमि में धान की फसल अच्छादन का लक्ष्य रखा गया है। बताया कि किसानों को अनुदान राशि काटकर भुगतान करने के बाद बीज खरीदने में दिलचस्पी बढ़ी है। किसानों के लिए मात्र 15 किलो अच्छी किस्म की धान का बीज मात्र 120 में उपलब्ध कराया जा रहा है।

पंकज कुमार, कृषि समन्वयक


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