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शारदीय नवरात्र कल से, अभिजीत मुहूर्त में 11:45 से 12:23 तक होगी कलश स्थापना

शारदीय नवरात्र का आरंभ 29 सितंबर से होने जा रहा है। देवी दुर्गा के तमाम श्रद्धालु भक्तों में अभी से अपार उत्साह है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Sep 2019 01:09 AM (IST)Updated: Sat, 28 Sep 2019 06:30 AM (IST)
शारदीय नवरात्र कल से, अभिजीत मुहूर्त में 11:45 से 12:23 तक होगी कलश स्थापना
शारदीय नवरात्र कल से, अभिजीत मुहूर्त में 11:45 से 12:23 तक होगी कलश स्थापना

शारदीय नवरात्र का आरंभ 29 सितंबर से होने जा रहा है। देवी दुर्गा के तमाम श्रद्धालु भक्तों में अभी से अपार उत्साह है। नवादा नगर समेत जिले के प्रखंड मुख्यालयों में अभी से नवरात्रा को लेकर चहल-पहल देखी जा रही है। जगह-जगह फुटपाथ पर पूजन सामग्री की बिक्री होने लगी है। नारियल, चुनरी, फूल माला, माता दुर्गा की प्रतिमा आदि की भी दुकानें सज गई हैं। फूल माला की दुकानें भी सज गई हैं। नवादा नगर स्थित प्रजातंत्र चौक पर शुक्रवार को मिट्टी के बर्तन, कलश, चुक्का, कपटी, दीपक आदि की दुकानें सजी हुई दिखीं। श्रद्धालु अपनी जरूरत के अनुरूप इन समान की खरीदारी में मशगुल दिखे। रविवार से सभी पूजा पंडाल व श्रद्धालुओं के घरों में कलश स्थापना के साथ मां की अराधना शुरू हो जाएगी।

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इस बार पूरे नौ दिनों की नवरात्रा, मनोवांछित फल देंगी मां दुर्गा

इस बार की नवरात्र कई मायनों में खास है। पूरे नौ दिनों की नवरात्रा इस बार ज्योतिषिय पंचांगों में है। ऐसे में हर दिन माता के अलग-अलग स्वरूप की पूजा-अर्चना होगी। कलश स्थापना 29 सितंबर को होगी। नवादा नगर के ज्योतिषविद् दिव्यांशु शेखर पाठक ने बताया कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार अभिजीत मुहूर्त समय दिन में 11:45-12:23 तक है। वैसे इस दिन सुबह से भी कलश स्थापना की जा सकेगी। प्रात: मुहूर्त 6:35 -9:30 तक है। उन्होंने बताया कि कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रा की शुरूआत हो जाएगी। पहले दिन माता शैलपुत्री की अराधना होगी। वह बताते हैं कि सच्चे मन से और पवित्रता के साथ माता का ध्यान व पूजन करना काफी लाभकारी है। माता दुर्गा अपने सभी भक्तों का कष्ट हरने वाली हैं। वह सबको मनोवांछित फल देती हैं।

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कलियुग में शक्ति की उपासना व साधना प्रभावशाली : दिव्यांशु पाठक

- ज्योतिषविद् दिव्यांशु पाठक ने कहा कि कलियुग में शक्ति की उपासना एवं उनकी साधना काफी प्रभावशाली मानी गई है। तांत्रिक मंत्रों की ²ष्टि से दुर्गा सप्तशती सर्वोपरि हैं। दुर्गा सप्तशती में देवी के लिए 700 शक्तिशाली एवं प्रभावशाली श्लोकों की रचना की गई हैं। देवी की आराधना में दुर्गा सप्तशती एक महत्वपूर्ण कुंजी है। जो साधक नवरात्रि में देवी के निमित्त दुर्गा सप्तशती का सम्पूर्ण पाठ नौ दिनों तक करते हैं, वह दुर्लभ सिद्धियों को प्राप्त करते हैं।

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ग्राफिक्स

नवरात्रा में हर दिन अलग-अलग देवी की उपासना

तारीख-देवी की अराधना

29 सितंबर: मां शैलपुत्री की उपासना

30 सितंबर: मां ब्रह्मचारिणी की उपासना

1 अक्टूबर: मां चंद्रघंटा की उपासना

2 अक्टूबर: मां कुष्मांडा की उपासना

3 अक्टूबर: मां स्कंदमाता की उपासना

4 अक्टूबर: मां कात्यायनी की की उपासना

5 अक्टूबर: मां कालरात्रि की पूजा, पत्रिका प्रवेश एवं सरस्वती अराधना

6 अक्टूबर: महागौरी की पूजा, महाअष्टमी व्रत तथा निशा पूजा

7 अक्टूबर: मां सिद्धीदात्री की आराधना, नवमी व्रत और हवन

8 अक्टूबर: विजयादशमी


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