जिले में घूम-घूमकर योग का अलख जगा रहे सच्चिदानंद पांडेय
बचपन में अपने पिता रिटायर प्रधानाध्यापक विद्यारत्न पांडेय से योग की जानकारी लेने के बाद सच्चिदानंद।
बचपन में अपने पिता रिटायर प्रधानाध्यापक विद्यारत्न पांडेय से योग की जानकारी लेने के बाद सच्चिदानंद आज खुद गांव-गांव में घूम कर योग का अलख जगा रहे हैं। एक छोटा साउंड बॉक्स लेकर साइकिल पर सवार होकर गांवों की ओर जाते हैं। शिविर लगाने से एक-दो दिन पहले गांव के लोगों से मिलकर योग का महत्व बताते हैं। जागरुकता रैली, स्वच्छता अभियान, पौधरोपण के माध्यम से प्रेरित करते हैं और पांच दिनों का शिविर लगाकर योग का गुर सिखाते हैं। नतीजा यह है कि सच्चिदानंद से योग सीखने के बाद कई गांवों में लोग प्रतिदिन एक साथ योग करते हैं। महिलाएं, लड़कियां, बच्चे, युवा व बुजुर्ग इन शिविरों का हिस्सा बनते हैं और योग के जरिए खुद को निरोग बना रहे हैं। ग्रामीण भी मानते हैं कि योग ने उनकी जीवनशैली बदल दी। जबसे योग करना शुरु किया, बीमारियां आसपास भी नहीं फटकती। सच्चिदानंद सेवाव्रती सदर प्रखंड के भदौनी के रहने वाले हैं।
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पिता से सीखा योग
- पिता विद्यारत्न पांडेय प्रतिदिन योग किया करते थे। जिसके चलते वे कभी बीमार नहीं पड़े। छह वर्ष की उम्र में पिता के साथ रहकर सच्चिदानंद ने भी योग की बारीकियां सीखी। सेना में भर्ती होने के उद्देश्य से फिजिकल फिटनेस के लिए योग करते रहे। इसी बीच हरिद्वार में आयोजित आसन प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और पूरे देश में नौवां स्थान प्राप्त किया। इस सफलता के बाद देश के युवाओं में योग की अभिरुचि बढ़ाने के लिए योग की ट्रे¨नग देने लगे।
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वर्ष 2010 से शुरु किया योग शिविर
- सच्चिदानंद ने जनवरी 2010 से योग शिविर का संचालन शुरु किया। अबतक सात सौ से अधिक शिविरों का संचालन कर चुके हैं। 170 पांच दिवसीय और 510 एकदिवसीय शिविर का आयोजन किया है। स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, मंडल कारा के अलावा जिले के गांवों में घूम-घूम कर योग शिविर का संचालन कर चुके हैं। जिसमें करीब 18 हजार लोग भाग ले चुके हैं। अभी भी जिले के 62 स्थानों पर निरंतर योग शिविर चल रहा है।
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कई लोग हो चुके हैं स्वस्थ
- सच्चिदानंद से योग सीखने के बाद कई लोगों ने इसे अपने जीवन में उतार लिया। जिसका काफी फायदा हुआ। हिसुआ के श्रीरामपुर के महेश कुमार, धनवां के प्रवीण कुमार, नारदीगंज के अनिल कुमार सहित सैंकड़ों लोग हैं, जिनकी बीमारी योग के चलते ठीक हुई। रोगों से मुक्ति मिलने के बाद ऐसे लोग खुद योग शिविर का संचालन करने लगे हैं।