जेल प्रशासन की लेटलतीफी, बंदियों व अधिवक्ताओं को हो रही परेशानी
मंडल कारा नवादा प्रशासन की लेटलतीफी कार्यशैली बंदियों उनके स्वजनों व अधिवक्ताओं के लिए परेशानी पैदा कर रहा है। जेल में बंद कैदियों से वकालतनामा अथवा बेल बॉन्ड प्राप्त करने के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है।
मंडल कारा, नवादा प्रशासन की लेटलतीफी कार्यशैली बंदियों, उनके स्वजनों व अधिवक्ताओं के लिए परेशानी पैदा कर रहा है। जेल में बंद कैदियों से वकालतनामा अथवा बेल बॉन्ड प्राप्त करने के लिए कई दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। इस कारण जेल में कई ऐसे कैदी भी हैं जिन्हें जमानत मिलने के बाद भी मुक्त होने में विलंब होता है। फलस्वरूप अधिवक्ताओं एवं कैदी के स्वजनों में रोष देखा जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि जेल में बंद कैदी का जमानत पत्र दाखिल करने के लिए वकालतनामा की आवश्यकता होती है। जिसके आधार पर अधिवक्ता उक्त कैदी का जमानत आवेदन न्यायालय में दायर करते हैं। कैदी से वकालतनामा प्राप्त करने के लिए वकालतनामा को अधिवक्ता लिपिक या कैदी के स्वजन जेल प्रशासन को सौंपते हैं। जिसे उक्त कैदी से दस्तखत कराने के बाद संबंधित व्यक्ति को लौटा दिया जाता है। उसी प्रकार जमानत होने के बाद बेल बांड पर कैदी के हस्ताक्षर की आवश्यकता होती है। लेकिन इन दिनों खेल ही कुछ बदला हुआ है। वकालतनाम अथवा बेलबॉन्ड को कैदी से दस्तखत कराने में जेल प्रशासन का कोई समय अथवा अवधि निश्चित नहीं है। वकालतनामा अथवा बेल बॉन्ड प्राप्त करने के लिए लोगों को कई दिनों तक जेल के बाहर इंतजार करना पड़ रहा है। बंदी का हस्ताक्षर कराने के लिए जेल का चक्कर लगाना पड़ा रहा
एससी-एसटी एक्ट के तहत जेल में बंद सिरदला थाना क्षेत्र के सोनवे निवासी विवके कुमार के अधिवक्ता सुनील कुमार ने बताया कि उक्त बंदी का वकालतनामा जेल से प्राप्त करने में दो दिन लगे थे। जबकि उत्पाद अधिनियम के तहत जेल में बंद मोहन रावत के अधिवक्ता लिपिक सुरज कुमार ने बताया कि जमानत मिलने के बाद बेल बॉन्ड पर बंदी का हस्ताक्षर कराने में दो दिनों तक जेल का चक्कर लगाना पड़ा। जबकि वहां रहे बंदी के रिश्तेदार जितेन्द्र कुमार, राहुल यादव सहित कई ने बताया कि जेल प्रशासन के अनुचित रवैए के कारण दिनभर जेल के सामने बैठना पड़ रहा है। फिर भी काम होगा कि नहीं कहना मुश्किल होता है। वहीें अधिवक्ता उदय शंकर जमुआर ने कहा कि कोई भी कैदी न्यायिक प्रक्रिया के तहत जेल में बंद रहता है। इसलिए न्यायिक पदाधिकारी को भी इन बातों पर ध्यान देना चाहिए तथा इस समस्या के निदान के पहल करना चाहिए। कहते हैं अधिकारी
- ऐसी कोई बात नहीं है, बेल बॉन्ड या वकालतनामा से संबंधित जो भी मामले जिस दिन आते हैं उसी दिन उसका निष्पादन कर दिया जाता है।
महेश रजक, कारा अधीक्षक, मंडल कारा, नवादा।