कम उम्र में भी आर्थरिटिस व अपंगता का शिकार बन रहे लोग
-विश्व गठिया दिवस पर निशुल्क शिविर का आयोजन - ऑस्टियो ऑर्थराइटिस आमतौर पर 55-60 की
-विश्व गठिया दिवस पर निशुल्क शिविर का आयोजन
- ऑस्टियो ऑर्थराइटिस आमतौर पर 55-60 की उम्र में होता है।
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संस, नवादा : विश्व गठिया दिवस पर पुरानी जेल रोड स्थित आदित्य फिजियोथेरेपी सेंटर में मुफ्त शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सदर अस्पताल के फिजियोथेरेपी विशेषज्ञ डॉ. नीरज कुमार ने गठिया रोग के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ऑर्थराइटिस या गठिया की बीमारी किसी को भी हो सकती है। यह रोग बेहद तकलीफदेह है। इसकी वजह से आपका चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। दर्द से लोग परेशान रहते हैं। भारत में ऑस्टियो ऑर्थराइटिस आमतौर पर 55-60 की उम्र में होता है। लेकिन आज के परिवेश में लोग कम उम्र में भी आर्थरिटिस और अपंगता का शिकार बन रहे हैं। ऑस्टियो आर्थराइटिस का असर जोड़ों, विशेष रूप से कूल्हे, घुटने, गर्दन, पीठ के नीचले हिस्से, हाथों और पैरों पर पड़ता है। खास कर ठंड के दिनों में जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है। खान-पान के तरीके भी इस बीमारी का कारण बन चुके हैं, साथ ही शारीरिक एक्टिविटी भी इसका बहुत बड़ा कारण है। महिलाएं कई कारणों से ऑर्थराइटिस का शिकार हो रहे हैं, ऐसे मे आमजनों को खान-पान पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। आप अपना खान-पान सही रखते हुए आप इसके असहनीय दर्द से बच सकते हैं। डॉ. कुमार ने बताया कि फिजियोथेरेपी चिकित्सा गठिया के मरीजों को काफी लाभकारी होता है। मौके पर शशि कुमार, मुकेश कुमार पांडेय तथा कुश कुमार समेत दर्जनों गठिया रोग से ग्रसित मरीज मौजूद थे।