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बारिश एवं हवा से सैंकड़ों एकड़ खेतों में लगी धान की फसल बर्बाद

दो दिन पूर्व तक चित्रा नक्षत्र में रात रातभर हुई तेज हवा के साथ बारिश ने किसानों के खेतों में तैयार धान की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। बारिश के साथ हवा के झोंको ने किसानों के खेत में लगभग तैयार हो चुकी फसलों को जमीन पर सुला दिया है। जबकि कुछ फसल में अभी दाना बन रहा था उसमें धान में खखरी होने की संभावना है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 09:46 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 09:46 PM (IST)
बारिश एवं हवा से सैंकड़ों एकड़ खेतों में लगी धान की फसल बर्बाद
बारिश एवं हवा से सैंकड़ों एकड़ खेतों में लगी धान की फसल बर्बाद

संसू, वारिसलीगंज : दो दिन पूर्व तक चित्रा नक्षत्र में रात रातभर हुई तेज हवा के साथ बारिश ने किसानों के खेतों में तैयार धान की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। बारिश के साथ हवा के झोंको ने किसानों के खेत में लगभग तैयार हो चुकी फसलों को जमीन पर सुला दिया है। जबकि कुछ फसल में अभी दाना बन रहा था उसमें धान में खखरी होने की संभावना है। खेतों में गिरे फसल को देख किसान काफी परेशान हैं। काफी पूंजी लगाकर किसान बिचड़ा के नर्सरी की तैयारी से लेकर खेतों की जोताई, रोपनी तथा फसलों के लिए महंगे मूल्य पर उर्वरकों को फसल में डाल अब कटनी की तैयारी में था। लेकिन चित्रा नक्षत्र की तूफानी बारिश से किसानों की मंशा पर पानी फेर दिया है। कुछ ही दिनों में फसल तैयार होने को था लेकिन दो दिन पहले हुई मूसलाधार बारिश खासकर मंगलवार को रातभर तेज बारिश और हवा के झोंकों ने नहरी इलाके के खेतों में तैयार होने के कगार पर पहुंच चुका लहलहाती सैकड़ों बीघा धान की फसलों को जमींदोज कर दिया है। काफी समय के बाद इसबार लगातार हो रही मानसूनी बारिश और नहर में आ रहे लाल पानी से जहां धान की फसल को संजीवनी मिला है। वही तीन चार दिनो तक इलाके में लगातार हुई बारिश ने अत्यधिक बढ़े हुए व बाली निकल चुके आगात किस्म के हाइब्रिड व अन्य प्रकार के धान की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। बता दें कि कृषि प्रधान क्षेत्र वारिसलीगंज में पिछले कई वर्षों के बाद हाल के दो वर्ष से अच्छी मानसूनी बारिश होने से खेतों में धान की फसल लहलहा रही है। जिसमें अच्छी फसल होने की संभावनाओं से किसान काफी उत्साहित थे। लेकिन क्षेत्र के पश्चिमी भाग जहां सकरी नहर का पानी खेतों तक पहुंचती है। खासकर हाजीपुर, मंजौर, मकनपुर, भुआलचक, मसूदा, लीला बिघा, कुटरी, नारोमुरार, खानापुर, कोरमा, मोसमा, कोचगांव, माफी, सिमरी आदि दर्जनों गांव के खेतों में नहर का पानी पहुंचती है। वहां के खेतों में लगाए गए सीता वैरायटी के धान लगभग तैयार होने के कगार पर है या फिर बाली निकलना शुरू कर दिया है। जिसमें पिछले दिनों तेज बारिश के कारण काफी क्षति हुई है।

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कई वर्षों से कम बारिश के कारण किसान लगा रहे हैं अग्रिम प्रजाति की धान

- नहरी क्षेत्र के वैसे किसान जिन्होंने कम बारिश होने की आशंका से अपने अधिकांश खेतों में अग्रिम वेराइटी की फसल जैसे पन्ना मंसूरी, मुग्धा, 6444 समेत अन्य कम समय में तैयार होने वाली धान की फसल को खेतों में रोपनी किया था। पर्याप्त पानी मिलने से समय के साथ फसल भी लहलहाती हुई बालियां देकर खेतों में झूमने लगी है। जिसे देख किसानों में खुशी व्याप्त है। लेकिन चित्रा नक्षत्र में हुई जोरदार बारिश से क्षेत्र के सैकड़ों किसानों के सपने पानी में बह गए। खानापुर गांव के किसान अरविद सिंह, गणेश सिंह, मकनपुर के कुंदन कुमार, मुरारी कुमार, बसंत सिंह, पप्पू सिंह आदि बताते हैं की जो फसल धरती पर गिर गया है। उन फसल की बाली पानी में सड़ जाएगा। जिससे धान की फसल में चावल के स्थान पर सिर्फ खखरी शेष बचा रह जायेगा। जिसे खेत से बाहर करना भी मुश्किल भरा काम होगा।

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गिर गए धान की फसल में दलहन का छिटा नहीं वो सकेंगे किसान

- तैयार धान की फसल कटनी के बाद खेतों में गेहूं के साथ बड़ी मात्रा में दलहन और तिलहन की फसल खेत की जुताई कर वुआई की जाती है। मानसून के अंत में हुए जोरदार बारिश से खेतो में काफी नमी हो आई है। जबकि खेतो में गिरे फसलों को निकालने में काफी परेशानी होगी। अब किसानों को सड़े गले फसलों को खेत से निकलवाने में अतिरिक्त व्यय करना होगा। वहीं जब तक खेत खाली नहीं होता है तब तक छीटा के रूप में मटर, मसूर, तीसी, खेसाडी आदि की फसल लगाना काफी परेशानी भरा कार्य है।


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